Chittorgarh Fort History In Hindi: राजस्थान जिसकी माटी में वीरों ने जन्म लिया….यानि इसे वीर भूमि कहा जाए तो कुछ गलत ना होगा। जो गवाह रही है कई साम्राज्यों के उतार चढ़ाव की…जिसने देखे हैं कई उदय और कई पतन। राजस्थान की शाही विरासत देखनी हो तो यहां के किलों व दुर्ग को करीब से देखना चाहिए। एक ऐसा ही किला है चित्तौड़गढ़ का किला (Chittorgarh Ka Kila) जो भारत का सबसे बड़ा दुर्ग कहा जाता है। फिल्म पद्मावत तो आपने देखी ही होगी। रानी पद्मावती को पाने के लिए खिलजी के जुनून, हज़ारों वीरांगनाओं का जौहर और राजा रतन सिंह का वीरगति को प्राप्त हो जाना… चित्तौड़गढ़ का किला इन किस्सों का गवाह रहा है। इस किले की महत्ता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चित्तौड़ के दुर्ग को 21जून, 2013 में युनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया है।
सातवीं सदी में बना ये ऐतिहासिक दुर्ग 16वीं सदी तक मेवाड़ पर राज करने वाले गहलोत व सिसोदिया राजवंशों का निवास स्थल रहा लेकिन साल 1568 में इस पर अकबर ने कब्जा कर लिया शानदार किले पर सम्राट अकबर ने अपना आधिपत्य जमा लिया। ऐसा माना जाता है कि मौर्य शासकों द्वारा निर्मित इस भव्य दुर्ग पर पंद्रहवीं और सोलहवीं सदी के दरमियान मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी ने तीन बार छापा मारा था।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के लिए हुई कई खूनी लड़ाईयां(Chittorgarh Fort History In Hindi)
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग की भव्यता का ही नतीजा रहा कि इसे हर हिंदू राजा व मुस्लिम शासक ने पाना चाहा। इसलिए ये कई खूनी लड़ाईयों का गवाह भी रहा है।
- साल 738 में राजा बप्पा रावल ने राजपूताने पर राज्य करने वाले मौर्यवंश के अंतिम शासक मानमोरी को हराकर यहां राज किया था।
- इसके बाद मालवा के परमार राजा मुंज ने इसे गुहिलवंशियों से छीनकर अपने राज्य में मिला लिया।
- सन् 1133 में गुजरात के सोलंकी राजा जयसिंह (सिद्धराज) ने यशोवर्मन को हराकर परमारों से मालवा छीना
- इसके बाद जयसिंह के उत्तराधिकारी कुमारपाल के भतीजे अजयपाल को परास्त कर मेवाड़ के राजा सामंत सिंह ने यहां अपना एकाधिकार स्थापित किया।
- साल1303 में यहाँ के राजा रावल रत्नसिंह बने जिनका युद्ध मुस्लिम शासक अलाउद्ददीन खिजी से हुआ। जिसमें खिलजी ने चालाकी चली और युद्ध में विजय हासिल की। ये युद्ध रानी पद्मावती को पाने के लिए था लेकिन रानी युद्ध में विजयी होने के बाद भी उसे पद्मावती नहीं मिली। जिसके बाद उसने अपने पुत्र खिज्र खाँ को यह राज्य सौंप दिया खिज्र खाँ ने वापसी पर चित्तौड़ का राजकाज कान्हादेव के भाई मालदेव को सौंप दिया।
रानी पद्मावती के जौहर का गवाह है चित्तौड़गढ़ दुर्ग
राजस्थान के राजपूतों में जौहर प्रथा बेहद प्रचलित रही है। जब भी राजपूत शासक युद्ध में हार जाते थे, तो वो वीरगति को प्राप्त होते थे तो वहीं स्त्रियां जौहर कर लेती थीं। जौहर का मतलब है जलते कुंड में कूद जाना और खुद को जिंदा जला देना। चित्तौड़गढ़ का दुर्ग भी कई बड़े जौहर का गवाह रहा है जिनमें सबसे पहला और सबसे बड़ा जौहर 1303 में हुआ बताया जाता है। 1303 में रावल रत्न सिंह और मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी के बीच चित्तौड़ की महारानी रानी पद्मावती को पाने के लिए हुआ था। इस युद्ध में चालाकी से खिलजी ने रावल रत्न सिंह को मार गिराया। जिसके बाद रानी पद्मावती ने हज़ारों वीरांगनाओं के साथ जौहर किया था।
घूमने के लिए बेहतर डेस्टिनेशन है चित्तौड़गढ़ फोर्ट
अगर आप राजस्थान के किलों में घूमना चाहते हैं तो चित्तौड़गढ़ दुर्ग आपकी लिस्ट में सबसे ऊपर होना चाहिए। क्योंकि यहां आपको केवल राजस्थान की विशाल राजपूत संस्कृति के ही दर्शन नहीं होते बल्कि राजस्थान के सबसे बड़े किले में आकर ही आप इसकी समृद्धता और विशालता का अंदाज़ा लगा सकते हैं। यहां आकर आप कई पर्यटन स्थल के दर्शन कर सकते हैं – इस किले में 4 महल परिसर, 19 मुख्य मंदिर, 4 स्मारक और 20 कार्यात्मक जल निकाय स्थित हैं। सिर्फ यही नहीं यहाँ पर मीरा बाई मंदिर, कुंभ श्याम मंदिर, श्रृंगार चौरी मंदिर और विजय स्तम्भ स्मारक भी मौजूद हैं जिनके दर्शन किए जा सकते हैं। इसके अलावा पर्यटकों को लुभाने के लिए यहां साउंड एंड लाइट शो का आयोजन भी किया जाता है। अगर आप किले के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो इस शो को जरूर देखें। जो रोज़ शाम 7:00 बजे आयोजित किया जाता है। चित्तौड़गढ़ किला सुबह 9.30 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता है जिसमें व्यस्कों के लिए 20 व 15 साल तक के बच्चों के लिए 15 रूपए का टिकट लेकर प्रवेश मिलता है।
चित्तौड़गढ़ फोर्ट घूमने का बेस्ट टाइम (Best Time To Visit Chittorgarh Fort in Hindi)
अगर आप इस किले में घूमना चाहते हैं तो अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच का समय सबसे उपयुक्त है। आप इस दौरान जाएं…हो सके तो दोपहर बाद जाने का कार्यक्रम बनाए इससे आपको भीड़ भी कम मिलेगी और मौसम भी अच्छा रहेगा।
कैसे पहुंचे चित्तौड़गढ़ दुर्ग(How To Reach Chittorgarh Fort in Hindi)
ये किला उदयपुर से लगभग 112 किलोमीटर दूर है लिहाज़ा उदयपुर से टैक्सी या बस के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है इसके अलावा उदयपुर तक ट्रेन या फिर हवाई जहाज के जरिए पहुंच सकते हैं।
इसके अलावा चित्तौड़गढ़ जंक्शन तक डायरेक्ट ट्रेन भी है जहां आप सीधे पहुंच सकते हैं फिर टैक्सी के जरिए किले तक पहुंच सकते हैं।