Kedarnath Yatra Kaise Kare: हिंदुओं का प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धामों में से एक है। हिमालय पर्वत की गोद में बसा केदारनाथ का यह मंदिर रमणीय है, माना जाता है कि पांडवों की पुत्र महाराजा जन्म जी ने इस मंदिर का निर्माण कराया था आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर को जीर्णोद्धार करवाया। जून 2013 के दौरान भारत के उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्य में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ तहस-नहस हो गया था परंतु मंदिर का मुख्य सा सुरक्षित रहा केदारनाथ के दर्शन मात्र से ही समस्त पापों के नाश और जीवन की मुक्ति की प्राप्ति होती है। केदारनाथ मंदिर की उद्घाटन तिथि अक्षय तृतीया के दिन महाशिवरात्रि पर घोषित की जाती है और समापन तिथि हर वर्ष नवंबर के दीपावली के दिनों के आसपास की जाती है। केदारनाथ मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है इसलिए बर्फ बारी के चलते कपाट शीतकाल में बंद किए जाते हैं। 2 साल से कुर्ला के चलते कपाट नहीं खोले गए थे परंतु अब जब कपाट खुला तो भक्तों की भारी भीड़ अब तक के सारे रिकॉर्ड पार कर चुकी है।
आइए जानते हैं अगर आप भी केदारनाथ जाने का प्लान कर रहे हैं तो किन किन बातों का विशेष ख्याल रखें।
- किसी भी यात्रा के दौरान अपने डॉक्यूमेंट साथ में रखें जैसे आधार कार्ड ,यात्रा कार्ड
- पहाड़ी स्थानों पर रात की यात्रा करने से बचें।
- पहाड़ों पर बारिश कभी भी हो सकती है इसलिए अपनी पास छाता रेनकोट अवश्य रखें।
- गौरीकुंड से केदारनाथ धाम जाने में कुल पांच 6 घंटे का समय लगता है, इसलिए जल्दबाजी ना करते हुए आराम से चढ़ाई करें, पहाड़ों में ऊंचाई पर ऑक्सीजन की भी क्षमता कम हो जाती है।
- यात्रा पर निकलते समय विंटर क्लॉथस अवश्य रखें।
- यात्रा का समय हमेशा सुबह का ही चुने जिससे वहां पहुंचने के बाद आप 1 दिन आराम करके अगले दिन सुबह गौरीकुंड से वापसी करें।
- एक ही दिन के दर्शन ,चढ़ाई और वापसी का ना सोचें गौरीकुंड से सोनप्रयाग की यात्रा में परेशानी हो सकती हैं, गौरीकुंड से बहुत सी गाड़ियां सोनप्रयाग जाती हैं परंतु रात में काफी दिक्कत होती है गौरीकुंड में होटल और लॉज कम होने के कारण यहां रुम ढूंढने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है, इसलिए रात की यात्रा से बचें।
- केदारनाथ पहाड़ों पर स्थित है इसलिए ऑक्सीजन की मात्रा चढ़ाई के दौरान कम होती जाती है इसलिए 10 साल से कम के बच्चों को कभी भी साथ ना ले जाए, पहाड़ों पर मौसम का कुछ पता नहीं होता और ऑक्सीजन लेवल भी काफी कम होता है जिससे बच्चों या बुजुर्गों की तबीयत खराब हो सकती है।
- अगर आप रात में यात्रा कर रहे हैं तो टॉर्च एक्स्ट्रा बैटरी और फोन को फुल चार्ज में रखें।
- सांप से संबंधित किसी भी बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए यह यात्रा ठीक नहीं है।
- केदारनाथ की यात्रा हेलीकॉप्टर से भी की जा सकती है जिस का किराया ₹7000 है डोली पर बैठकर जाने पर 8 से ₹10,000 लगेंगे, वही खच्चर 5 से 6000 में ले जाती है।
- यात्रा के दौरान बीएसएनल वोडाफोन रिलायंस जिओ का सिम ही इस्तेमाल करें।
- होटल की बुकिंग एडवांस में करें वरना पीक सीजन में रूम मिलने में काफी परेशानी हो सकती है।
- मानसून में यात्रा करने से बचें क्योंकि उस समय भूस्खलन का खतरा रहता है।
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बस से केदारनाथ की यात्रा
केदारनाथ की यात्रा के लिए कोई भी बस डायरेक्ट नहीं है इसके लिए सबसे पहले कश्मीरी गेट अंतरराष्ट्रीय बस अड्डे से हरिद्वार या ऋषिकेश के लिए बस लेनी होगी, रोडवेज बस का किराया ₹300 है आप प्राइवेट बस से भी जा सकते हैं ऋषिकेश पहुंचने के बाद आपको यहां से सोनप्रयाग के लिए बस लेनी होगी, बस जितनी सुबह वाली आप लेते हैं उतनी ही जल्दी शाम तक आप वहां पहुंच जाएंगे इसके बाद गौरीकुंड जाने के लिए सोनप्रयाग से आपको शेयरिंग टैक्सी मिल जाएगी, गौरीकुंड पहुंचने के बाद आपको केदारनाथ धाम के लिए पैदल यात्रा करनी पड़ेगी।
सामान्य जानकारी(Kedarnath Dham Yatra Basic Information In Hindi)
- ऊंचाई-समुद्र तल से 3553 मीटर ऊपर।
- यात्रा का सही महीना-गर्मियों में (मई-जून) सर्दियों में (सितंबर अक्टूबर)
- एयरपोर्ट-देहरादून जोली ग्रांट एयरपोर्ट
- रेलवे स्टेशन- देहरादून रेलवे स्टेशन
- ट्रैकिंग डिस्टेंस-14 से 18 किलोमीटर (वन साइड)
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