Visa Temple in Hyderabad: भारत के लोगों में धार्मिक आस्था कूट-कूट कर भरी है, यही कारण है कि यहाँ मंदिरों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। अपनी-अपनी आस्था के अनुसार यहाँ आपको हर जगह मंदिर और मस्जिद देखने को मिल सकते हैं। कुछ मंदिरों की प्रसिद्धि जहाँ उनकी बनावट और चमत्कारों के लिए हैं तो वही कुछ मंदिरों को सिर्फ लोगों की आस्था और विश्वास की वजह से इतनी प्रसिद्धि मिली है। इन्हीं में से एक मंदिर है हैदराबाद का वीजा मंदिर, आज इस आर्टिकल में हम आपको खासतौर से इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और मंदिर की खासियत के बारे में बताने जा रहे हैं।
क्यों पड़ा मंदिर का नाम “वीजा मंदिर”


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महज एक हफ्ते के अंदर ही उसका वीजा लग गया, तब से लेकर अभी तक इस मंदिर में वीजा लग जाने की मन्नत लेकर हज़ारों लोग आते हैं। इस मंदिर को लेकर लोगों के मन में ऐसी आस्था है कि, यदि आप बाहर जाना चाहते हैं और आपका वीजा नहीं लग रहा है तो इस मंदिर में आकर मन्नत मांगने से जरूर लाभ मिलता है। इसके साथ ही साथ लोगों का ऐसा भी मानना है कि, जिन लोगों को तिरुपति बालाजी का दर्शन करने का मौका नहीं मिलता है वो लोग चिरकुल बालाजी मंदिर आकर अगर दर्शन करें तो उन्हें तिरुपति के बराबर ही फल मिलता है।
हर हफ्ते करीबन एक लाख से भी ज्यादा लोग आते हैं


आपको जानकर शायद हैरानी हो लेकिन इस वीजा मंदिर में हर हफ्ते आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या करीबन एक लाख है। विदेश जाने के इच्छुक लोग वीजा लग जाने की मन्नत लेकर हर हफ्ते यहाँ भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। वीजा लग जाने की इच्छा लेकर यहाँ आने वाले भक्त इस मंदिर के ग्यारह चक्कर लगाते हैं। जिन लोगों की इच्छा पूरी हो जाती है वो वापिस आकर फिर से करीबन 108 बार मंदिर की परिक्रमा करते हैं। इस मंदिर में सबसे ज्यादा संख्या में IT प्रोफेशनल आते हैं। अमेरिका से लेकर अन्य देशों में अपनी वीजा लग जाने की मन्नत लिए आने वाले इन युवाओं में से बहुतों की इच्छा जल्द पूरी हुई है।
बीमारी और अन्य समस्याओं से ग्रसित लोग भी आते हैं दर्शन के लिए (Visa Temple in Hyderabad)


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, भगवान् बालाजी के इस मंदिर में केवल युवा वर्ग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से बीमार और पारिवारिक समस्याओं से ग्रसित लोग भी दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की उत्पत्ति के बारे में ऐसा कहा जाता है कि, एक बार एक बूढ़ा व्यक्ति तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए जाना चाहता था, लेकिन उम्र ज्यादा होने की वजह से वो जा नहीं पाया। एक रात उसके सपने में स्वयं भगवान बालाजी आए और उससे एक ख़ास जगह की खुदाई करने को कहा। उस आदमी ने चिरकुल स्थित उसी जगह की खुदाई शुरू की जहाँ पर आज ये मंदिर है।
खुदाई के दौरान उसके हाथ बालाजी भगवान की मूर्ति लगी, इसे निकालने के बाद उसे इसी जगह पर स्थापित किया गया। बता दें कि, हैदराबाद के सबसे पुराने मंदिरों में से इस मंदिर की गणना की जाती है। वीजा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर को करीबन पांच हज़ार वर्ष पुराना माना जाता है। इस मंदिर की एक बड़ी खासियत यह भी है कि, यहाँ आने वाले भक्तों से किसी प्रकार की कोई दान दक्षिणा नहीं ली जाती है। मंदिर का रखरखाव पार्किंग फीस से मिले पैसों से ही किया जाता है।