कई सीरियल किलर्स की कहानी अब तक आप सुन चुके होंगे, मगर अपने देश में एक ऐसा भी सीरियल किलर हुआ, जिसने दरिंदगी की इंतहां ही कर दी थी। इसके कारनामे ही कुछ ऐसे थे कि यदि इसे अब तक का सबसे खतरनाक सीरियल किलर अपने देश में कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यह मशहूर हुआ था साइनाइड किलर या साइनाइड मोहन के नाम से। यहां हम आपको इसी सीरियल किलर और उसकी काली करतूतों से अवगत करा रहे हैं।
कर्नाटक की घटना
यह वाकया है कर्नाटक का वर्ष 2009 का, जहां अनिता नाम की एक लड़की को एक लड़के से प्यार होने पर उससे अगले दिन शादी करने का वादा मिलने पर वह अपना घर-बाड़ छोड़कर चली जाती है उस लड़के के पास और मंदिर में अगले दिन शादी से पहले एक रात गुजार लेते हैं लॉज में जहां दोनों के बीच जिस्मानी संबंध भी बन जाते हैं। अनिता अगले दिन दुल्हन के कपड़े पहनकर हसन के बस स्टैंड पर प्रतीक्षा कर रहे उसी लड़के के पास पहुंच जाती है, जहां वह लड़का उसे एक टैबलेट गर्भनिरोधक गोली बताकर देता है और समझा-बुझाकर इसे टॉयलेट में जाकर खाने को कहता है, क्योंकि उसके अनुसार इसे खाने से चक्कर भी आते हैं। अनिता वही करती है। टॉयलेट में जाकर गोली खाने के साथ ही उसकी मौत हो जाती है। बाद में सूचना मिलने पर पुलिस अनिता की लाश को बाहर निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजती है, जबकि लड़का गायब हो जाता है और पुलिस को इस बात की भनक तक नहीं लगती कि उसके साथ कोई था भी। सवाल यह उठता है कि आखिर अनिता की मौत हुई कैसे और उसके साथ वाला लड़का था कौन? इस घटना के तार जुटते हैं वर्ष 2003 से, जब इसकी शुरुआत हुई थी।
इसके बाद जागी पुलिस
वर्ष 2003 से 2009 तक दक्षिण कर्नाटक के अलग-अलग शहरों से टॉयलेट से ही पुलिस को 20-32 साल की उम्र की 20 महिलाओं की लाश दुल्हन की ड्रेस में मिली, मगर पुलिस मामले की तह तक पहुंचने में इसलिए नाकाम रही कि पुलिस के बीच आपसी तालमेल का अभाव था। आखिरकार अनिता की मौत के बाद जब गांव वालों ने मामले को साम्प्रदायिक रंग देते हुए एक मुस्लिम लड़के द्वारा अनिता को भगाने का आरोप लगाते हुए पुलिस थाने को जलाने की धमकी दी, तब पुलिस ने पहली बार मामले की गंभीरता को भांपते हुए एक महीने के अंदर जांच पूरी कर दोषी को पकड़ने का वादा किया। अनिता का फोन रिकॉर्ड खंगालने पर पुलिस को यह नंबर कावेरी नामक महिला के नाम पर पंजीकृत मिला।
जोड़ी गईं कड़ियां
कावेरी के घर पहुंचने पर वह महीनों से गायब मिली और उसका फोन रिकॉर्ड खंगालने पर पुष्पा का नंबर मिला। फिर पुष्पा भी वैसे ही गायब मिली। इसके बाद पुलिस कड़ियों को जोड़ते हुए मंगलौर के एक गांव पहुंच गई, जहां इसी तरह से एक गायब हुई लड़की का नंबर चालू मिला और पता चला कि धनुष नाम का एक लड़का इसे चला रहा है। धनुष से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि उसे यह फोन उसके चाचा प्रोफेसर मोहन कुमार ने दिया है। मोहन को हिरासत में लेने के बाद सख्ती से पूछताछ में उसने 32 महिलाओं को मारने की बात कबूली, जिसे जानने के बाद तो पुलिस के पैरों तले जमीन ही खिसक गई।
खुद लड़ा अपना केस
बाद में इसने बयान बदलते हुए कहा कि गरीब लड़कियों से वह बिना दहेज लिए शादी करने की बात कहकर उन्हें अपने प्यार के जाल में फंसाकर घर से भगाकर एक रात उनसे शारीरिक संबंध बनाकर अगले दिन मंदिर में शादी करने के वादे से पहले साइनाइड की गोली गर्भनिरोधक गोली कहकर खिला देता था और उनकी ज्वेलरी आदि लेकर फरार हो जाता था। पेशे से सरकारी शिक्षक रह चुके मोहन ने एक ज्वेलरी दुकान में काम करके काम के बहाने साइनाइड खरीद कर रख लिया था। मोहन लड़कियों को अलग-अलग नाम, उन्हीं की जाति का खुद को बताकर और सरकारी नौकरी में होने की बात कहकर अपने जाल में फंसाता था। मंगलौर की फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2013 में उसे 20 महिलाओं की हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा मुकर्रर की थी और अपने केस को मोहन ने खुद ही लड़ा था।