Naked Festival of Japan: दुनिया में अजीबोगरीब चीजें होती रहती हैं। जो चीजें कल्पना से परे होती हैं, वही जब देखने को मिलती हैं तो उनका सुर्खियां बटोरना लाजमी है। जापान में भी एक धार्मिक उत्सव इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है। कुछ दिनों पहले ही यह समाप्त हुआ है। इसका नाम है नेकेड फेस्टिवल। हाल ही में आयोजित हुए इस फेस्टिवल में 10 हजार से भी अधिक लोग जुटे थे। जापान में आयोजित होने वाला दुनिया का यह एक सबसे अलग तरीके का फेस्टिवल है, जो यहां कई वर्षों से चला आ रहा है।
यहां होता है आयोजन (Naked Festival of Japan)
हाल ही में जापान के होंशू द्वीप में इस नग्न उत्सव का आयोजन हुआ था। नेकेड फेस्टिवल के नाम से मशहूर इस उत्सव में दुनियाभर से लोग आते हैं। इसे जापान में हदाका मस्तूरी के नाम से भी जाना जाता है। बीते दिनों इस फेस्टिवल में करीब 10 हजार जो लोग जमा हुए थे, उनमें लगभग सभी आयु वर्ग के लोग शामिल हुए थे। होंशू द्वीप, जिस पर नग्न उत्सव का आयोजन किया जाता है, जापान का यह सबसे प्रमुख और विशाल आबादी वाला द्वीप है। दुनिया का इसे सातवां सबसे बड़ा द्वीप भी कहते हैं। इंडोनेशिया के बाद यही सबसे बड़ा द्वीप है, जहां विशाल आबादी निवास करती है।
तस्वीरें बयां करती हैं भव्यता
सोशल मीडिया में वायरल हो रही नग्न उत्सव की तस्वीरों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह कितना लोकप्रिय है और कितनी बड़ी संख्या में लोग इसमें भाग लेने के लिए जमा होते हैं। इसमें शामिल हो रहे अधिकतर लोग बहुत ही कम कपड़े पहने हुए नजर आते हैं। इस उत्सव का आयोजन सैईदारी कैनोनिन मंदिर में किया जाता है। फसल अच्छी हो और समृद्धि आए, इसी कामना के साथ इस उत्सव का आयोजन किया जाता है। लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि इस उत्सव में भाग लेने से भाग्योदय होता है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में लोग यहां जमा हो जाते हैं।
क्या होता है फेस्टिवल में?
इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग यहां मंदिर की सबसे पहले चारों ओर परिक्रमा कर लेते हैं। सबसे ताज्जुब की बात यह है कि बर्फीले पानी के कुंड में भी ये लोग बिना किसी हिचक के स्नान कर लेते हैं। उत्सव में सभी को खूब मस्ती करते हुए देखा जा सकता है। इन सबके बाद मंदिर में एक कार्यक्रम भी शुरू होता है, जिसे ही इस उत्सव का असली कार्यक्रम कहते हैं। मंदिर के प्रांगण में इसका आयोजन किया जाता है।
छड़ी पाने के लिए छीना-झपटी
इस मंदिर में जो भीड़ उत्सव के लिए जमा होती है, उस पर पुजारी की ओर से पत्तों की टहनी फेंकी जाती है। इस टहनी को पाने के लिए इन सभी के बीच होड़ मच जाती है। खूब छीना-झपटी होती है और धक्का-मुक्की भी इस दौरान देखने को मिलती है। इससे भी ज्यादा छीना-झपटी और धक्का-मुक्की तब इनके बीच होने लगती है, जब पुजारी द्वारा दो भाग्यशाली छड़ी उनकी ओर फेंकी जाती है। इसे लूटने के लिए होड़ इसलिए लगती है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो भी इनको पा लेगा, पूरा साल उसका बहुत अच्छा बीतेगा, क्योंकि भाग्य उसी के साथ रहेगा।
चोट से फर्क नहीं पड़ता
इस पूरे फेस्टिवल के दौरान मंदिर में कई तरह की आवाज गूंजती रहती है। बस आधे घंटे का यह समारोह होता है, जिसमें भाग लेने के लिए हर कोई लालायित नजर आता है। फेस्टिवल से लौटने के दौरान अधिकतर लोगों के शरीर पर खरोंच के साथ हल्की-फुल्की चोट भी उभर आती है, लेकिन इन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है।