Bijli Mahadev Mandir Kullu: हिमालय पर्वत और भगवान भोलेनाथ का संबंध तो समस्त संसार जानता है। महादेव का तपोस्थल हिमालय स्थित कैलाश पर्वत ही है और इसे लेकर समय-समय पर कई तरह के रहस्यों से पर्दा उठता रहा है। हालांकि, महादेव से जुड़े और भी बहुत सारे ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं, जिनके बारे में सदियों से आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है और आज भी वो चमत्कार के रूप में ही जाने जाते हैं।
कुछ ऐसा ही एक चमत्कारी और बेहद ही रहस्यमयी शिव मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है, जिसकी गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है। ऐसा बताया जाता है कि हिमालय की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर पर हर 12 साल में आकाशीय बिजली गिरती है, लेकिन इसके बाद भी मंदिर को आज तक किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ। तो चलिए आज हम जानते हैं इस विशेष शिवालय के बारे में कि आखिर क्या है इस मंदिर का राज और ऐसी कौन सी दैवीय शक्ति है जो इसे इतना चमत्कारी बनाती है।
वैसे तो हमारे देश में भगवान शिव के अनेकों अद्भुत और अलौकिक मंदिर हैं, जिनकी मान्यता बहुत ही ज्यादा है और उन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव का मंदिर (Bijli Mahadev Mandir Kullu)। बताना चाहेंगे कि कुल्लू स्थित इस मंदिर का पूरा इतिहास बिजली महादेव से जुड़ा हुआ है। कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर है (Bijli Mahadev Mandir Kullu)। इस शिवालय की ख़ास बात यह है कि यहां स्थित शिवलिंग पर हर बारह वर्ष में एक बार बिजली गिरती है और यही वो चमत्कारी वजह है जिस कारण यह शिवलिंग बिजली महादेव (Bijli Mahadev) के रूप में पूजा जाता है।
पौराणिक मान्यता (Bijli Mahadev Mandir Kullu Story)
इस विशेष और चमत्कारी मंदिर के पीछे यह मान्यता है कि हिमाचल स्थित कुल्लू घाटी कभी विशाल सांप के रूप में हुआ करती थी और इस सांप का वध खुद भगवान शिव ने किया था। बताया जाता है कि प्रत्येक 12 साल में इस मंदिर पर आकाशीय बिजली गिरती है, जिसकी वजह से शिवलिंग खंडित हो जाता है। फिर अगले ही दिन वहां के पुरोहित इसी शिवलिंग को मक्खन से जोड़ते हैं और एक बार फिर से मंदिर में पूजा का क्रम चल पड़ता है। देखते ही देखते कुछ ही महीनों के बाद शिवलिंग दोबारा एक ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है और फिर से सामान्य स्वरुप में आ जाता है।
बिजली महादेव (Bijli Mahadev Mandir Kullu) से संबंधित पौराणिक कथा भी मशहूर है जिसके अनुसार बताया जाता है कि सदियों पहले कुल्लू घाटी में कुलान्त नाम का दैत्य रहता था। वह बहुत ही कपटी तथा मायावी था। एक बार उसने ब्यास नदी के बहाव को रोक कर घाटी में स्थित सभी जीवों को मारने का प्रयत्न किया। यह देख भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने उस राक्षस को खत्म करने की ठान ली। फिर एक रोज महादेव ने ऐसी माया रची जिससे वह राक्षस मारा जाए।
मान्यता अनुसार एक रोज़ शिवजी उस राक्षस के पास गए और उससे कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है और जैसे ही वह यह देखने को मुड़ा तो भगवान ने उस पर त्रिशूल से वार कर दिया और इस तरह से उस क्रूर व दुष्ट राक्षस का अंत हो गया और उसका शरीर एक विशाल पहाड़ी में तबदील हो गया। आज हम सब इस पहाड़ी को कुल्लू पहाड़ी के नाम से जानते हैं। कुल्लू घाटी का बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और उधर मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलांत के शरीर से निर्मित मानी जाती है। कुलांत से ही कुलूत और इसके बाद कुल्लू नाम पड़ा।
ऐसा भी बताया जाता है कि इस घटना के बाद स्वयं महादेव ने देवराज इंद्र को आदेश दिया था कि वह इस स्थान पर प्रत्येक 12 वर्ष पर बिजली गिराएं, क्योंकि उन्होंने खुद इस स्थान की रक्षा के लिए राक्षस का वध किया था। ऐसे में बिजली गिरने से वह स्थान तहस-नहस होता देख उन्होंने बिजली को खुद के ऊपर गिराने की ठान ली, जिसके बाद से उनका एक नाम बिजली महादेव (Bijli Mahadev) पड़ा और तब से यह प्रथा आज तक चली आ रही है।
कहा जाता है कि शिवलिंग पर बिजली गिराने को इसलिए कहा गया था ताकि उनके भक्तों को जो भी कष्ट आए वह भगवान खुद अपने ऊपर ले लें। इस मंदिर की मान्यता इतनी ज्यादा है कि हर साल यहां भादो के महीने में बहुत बड़ा मेला लगता है। बिजली महादेव के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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