(Sabarimala Temple) सबरीमाला श्री अयप्पा मंदिर दक्षिण भारत के केरल राज्य में बसा है। सबरीमला मंदिर केरल के पेरियार टाइगर अभयारण्य में स्थित है। यहाँ पर विश्व की सबसे बड़ी वार्षिक तीर्थयात्रा होती है इस यात्रा मैं प्रति वर्ष लगभग 2 करोड़ श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।
मान्यता है की यह मंदिर मक्का-मदीना के बाद दूसरा बड़ा तीर्थ स्थल है। यहां करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं हर साल आते है, जिसमें केवल पुरुष ही होते हैं। इस सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।
जानिए क्या है ये 800 साल पुरानी परंपरा (Sabarimala Temple)
भगवान श्री अयप्पा ब्रह्माचारी थे इसलिये 10 से 50 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं का प्रवेश बंद है। इस मंदिर में वे छोटी बच्चियां आ सकती या बूढ़ी औरतें। इस मंदिर में ना तो जात- पात, अमीर गरीब का कोई बंधन नहीं है।
इस मंदिर के द्वार केवल दो बार ही खोले जाते हैं जो की 15 नवंबर और 14 जनवरी को मकर संक्रान्ति के दिन ही खुलते हैं।
यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों को माकरा विलाकू जो कि एक तेज रोशनी होती है, उसके दर्शन आसमान में होते हैं। माना जाता है कि यह भगवान अयप्पा के होने का एहसास होता है।
अय्यप्पा का एक नाम ‘हरिहरपुत्र’ हैं। हरि यानी विष्णु और हर यानी शिव के पुत्र, बस भगवान इन्ही के अवतार माने जाते हैं। हरि के मोहनी रूप को ही अय्यप्पा की मां माना जाता है। सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पर पड़ा है। सबरी वही है जिनका जिक्र रामायण में हुआ है।
जो श्रद्धालु यहां तीर्थयात्रा के उद्देश्य से आते हैं उन्हें इकतालीस दिनों का कठिन वृहताम का पालन करना होता है। तीर्थयात्रा में श्रद्धालुओं को ऑक्सीजन से लेकर प्रसाद के प्रीपेड कूपन तक उपलब्ध कराए जाते हैं। दरअसल, मंदिर नौ सौ चौदह मीटर की ऊंचाई पर है और केवल पैदल ही वहां पहुंचा जा सकता है।