ब्रिटिश शासन के उप-उत्पाद के रूप में जीवन की शुरुआत करने के बावजूद, भारतीय रेलवे को देश की एक बड़ी पहचान के रूप में जाना जाता है। भारतीय रेलवे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे प्रणाली है। सन 1853 में स्थापित हुई यह प्रणाली हर दिन लाखों लोगों की सेवा करती है।
चलिए जानते है दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित रेल प्रणालीयों में से एक बनने का इतिहास। (History of Indian Railways In Hindi)
1853 – 1869 – पैसेंजर रेल सेवाओं का आरंभ
हालाँकि भारत में रेल सेवाओं को शुरू में 1830 के दशक में प्रस्तावित किया गया था, लेकिन भारत में पहली व्यावसायिक ट्रेन यात्रा 16 अप्रैल 1853 को बॉम्बे और ठाणे के बीच हुई थी। यह यात्रा लगभग 34 किलोमीटर की थी और इसमें लगभग 45 मिनट लगे थे। ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियंत्रित यह प्रणाली धीरे-धीरे बढ़ी और कलकत्ता – दिल्ली, इलाहाबाद – जबलपुर और अन्य शहरों में पटरियां बिछाई गयी। इस युग के अंत तक, भारतीय रेलवे ने 4000 मील के क्षेत्र को कवर कर लिया था।
1869-1900 – आर्थिक विकास
1857 में भारत में ब्रिटिश राज आ चुका था। इस शासन ने कई कंपनियों को बंद कर दिया और रेलवे को नियंत्रित करने के लिए बाहरी ठेकेदारों को काम पर रखा। सन 1880 तक रेल प्रणाली की लंबाई 9000 मील तक पहुंच गई थी, मुख्यतः बंबई, कलकत्ता और मद्रास के आसपास। सन 1890 के अंत तक, ट्रेनों ने कई सुविधाएं जैसे टॉयलेट, इलेक्ट्रिक लाइट, गैस लैंप और अन्य सुविधाएं हासिल करना शुरू कर दिया था। सन 1895 तक, भारत ने अपने खुद के इंजनों का निर्माण शुरू कर दिया था।
1901-1925 – केंद्रीकरण
इस शताब्दी की शुरुआत तक (1991), भारतीय रेलवे ने लाभ कमाना शुरू कर दिया था। 1907 तक, सरकार ने सभी प्रमुख लाइनों को खरीद लिया था। सन 1925 के अंत तक पूर्व भारतीय रेलवे और GIPR का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, रेलवे विभाग के फंड और अन्य संसाधनों को भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा युद्ध की जरूरतों के लिए स्थानांतरित किया गया था जिसके कारण रेलवे को बहुत नुकसान हुआ था।
1925-1946 – विद्युतीकरण
पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 3 फरवरी, 1925 को बॉम्बे और कुर्ला के बीच चली, जिसने आने वाले वर्षों में विद्युतीकरण के लिए एक मिसाल कायम की थी। सन 1929 तक, रेलवे नेटवर्क 66,000 किमी की कुल लंबाई तक फ़ैल गया था। ब्रिटिश शासन के अंतिम वर्षों के दौरान, रेलवे विभाग आर्थिक रूप से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, लोग रेल के बजाय वैगनों को प्राथमिकता देते थे।
1947-1980 – विभाजन और ज़ोनल निर्माण
सन 1947 स्वतंत्रता के बाद, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने के लिए कई रेल मार्गों का निर्माण किया गया था। सन 1976 में, भारत और पाकिस्तान के बीच पहली ट्रेन, समझौता एक्सप्रेस, अमृतसर और लाहौर के बीच चलने लगी। सभी ट्रेनों का विद्युतीकरण और आधुनिकीकरण किया गया। यह भारतीय रेलवे के लिए बहुत अच्छा दौर था।
1980-2000 – टेक्नोलॉजी
1980 और 1990 के बीच लगभग 4,500 किमी ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया। इस बीच सन 1984 में, कलकत्ता में भारत का पहला मेट्रो सिस्टम भी खोला गया। विशेष रूप से, भारतीय रेलवे ऑनलाइन यात्री आरक्षण प्रणाली 1985 में शुरू की गई थी और धीरे-धीरे दिल्ली, मद्रास, बॉम्बे और कलकत्ता में शुरू की गई थी।
2000- 2019 – ऑनलाइन टिकटिंग प्रणाली
इस दशक में ऑनलाइन टिकटिंग प्रणाली शुरू हुई थी और आज यह ट्रेन की टिकट बुक करने के प्रमुख तरीकों में से एक है। सन 2002 में, इस नेटवर्क के अंतर्गत ईस्ट कोस्ट, साउथ वेस्टर्न, साउथ ईस्ट सेंट्रल, नॉर्थ सेंट्रल और वेस्ट सेंट्रल रेलवे जोन का निर्माण हुआ।
आज के समय में, ट्रेन ट्रैक भारत में 120,000 किमी से अधिक क्षेत्र को कवर करते हैं और वाई-फाई, ग्राहक सूचना प्रणाली, AC, TV, पेंट्री कार जैसी विशेष सुविधाओं ने भारतीय रेलवे को अगले स्तर पर पहुंचाया है।
(History of Indian Railways In Hindi)