किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में सुनवाई तो हुई है, लेकिन अदालत ने इस सुनवाई को यह कह कर टाल दिया है कि बिना किसानों का पक्ष जाने कोई भी फैसला वे नहीं ले सकते। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस दौरान कई तीखी टिप्पणी भी की गई है, जिसमें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आंदोलन किसानों(Farmers Protest) का अधिकार है। ऐसे में इससे किसी को भी कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
दूसरों को न हो दिक्कत
आंदोलन को किसानों(Farmers Protest) का हक बताते हुए मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि किसी दूसरे व्यक्ति को इस अधिकार की वजह से परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसान प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन रास्ते खुले रहने चाहिए। साथ ही पुलिस को भी कोई एक्शन नहीं लेना चाहिए। समस्या का समाधान बातचीत से निकालने की जरूरत है।
सरकार को दिया सुझाव
इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने सरकार से यह सुझाव भी मांगा कि क्या कुछ समय के लिए कानूनों को होल्ड पर रखना संभव है। इस पर अटार्नी जनरल ने दलील देते हुए यह कहा कि यदि ऐसा किया जाता है तो ऐसे में आगे बात करने के लिए किसान तैयार नहीं होंगे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से
हरीश साल्वे ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील शुरू की थी, जिसमें उन्होंने प्रदर्शन के कारण दिल्ली वालों को हो रही परेशानियों के बारे में बताया था। मुख्य न्यायाधीश ने इसे लेकर यह कहा कि दिल्ली को यदि ब्लॉक किया जाता है, तो ऐसे में दिल्ली के लोगों के भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।
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पी चिदंबरम ने कहा
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पंजाब की तरफ से पेश होते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) द्वारा किसी कमेटी के बनाए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।