Web Designing Kya Hai: भारत में ज़्यादातर लोग सरकारी नौकरी करना पसंद करते हैं और प्राइवेट जॉब की तरफ लोगों का आकर्षण कुछ कम होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों के मन में एक धारणा बनी हुई है कि सरकारी नौकरी मतलब आराम की नौकरी। मगर जमाने के साथ-साथ लोगों की ये सोच भी बदल रही है और सरकारी नौकरियां भी कम होते जा रही हैं। ऐसे में युवा शुरुवात से ही सरकारी नौकरी की तरफ न मुड़कर खुद को पहले से ही इस कदर ढाल ले रहा है ताकि वह जहां जाना चाहता है वहां पर उसे कोई परेशानी न आने पाये। ऐसे में सबसे जरूरी बात यह हो जाती है कि वह जिस क्षेत्र में जा रहा हैं वहां पर उसे शत प्रतिशत सफलता भी मिले और नाम भी कमा ले।
ऐसी सोच रखने वाले लोग सरकारी नौकरी के बारे में सोचते भी नहीं और प्राइवेट जॉब में ही अपनी अलग पहचान बना लिया करते हैं। वैसे तो प्राइवेट नौकरी में हम या आप कई तरह के काम कर सकते हैं और पैसे कमा सकते हैं। मगर नाम के साथ-साथ पैसा बनाने के लिए आपके पास कुछ खास गुण भी होने चाहिए ताकि आप लोगों की नजर में जल्दी आ सकें। वैसे तो आजकल एक से बढ़कर एक बेहतरीन विकल्प हैं मगर उन्हीं में से एक है Web Designing। बता दें कि इस क्षेत्र में न सिर्फ पैसा है बल्कि बहुत ही बेहतरीन करियर की संभावना भी है। साथ ही आपको यह भी बता दें कि यह राह इतनी भी आसान नहीं है, क्योंकि एक वेब डिज़ाइनर के पास कलात्मक क्षमता का होना और साथ ही साथ तकनीकी जानकारी का होना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है।
सबसे पहले तो आप ये जान लीजिये कि एक वेब डिज़ाइनर का काम होता क्या है और उसे क्या-क्या करना पड़ता है। बता दें कि कोई भी व्यक्ति जब वेब डिज़ाइनर के रूप में काम करता है तो उसका काम होता है नई-नई वेबसाइट का निर्माण करना। अलग-अलग तरह के क्षेत्र से संबन्धित और अलग-अलग जरूरतों के अनुसार उसे खूबसूरत रंग-रूप देना ताकि वो दिखने में आकर्षक लगे और उसे इस्तेमाल करने वाले को भी आसानी हो यानि कि यूजर फ्रेंडली। अब सवाल यह उठता है कि वेब डिज़ाइनिंग की शुरुवात कैसे होगी यानी कि इस क्षेत्र में आने के लिए आपको किस तरह के पाठ्यक्रमों की आवश्यकता होगी और इसके अतिरिक्त आपको और क्या-क्या सीखना पड़ेगा। तो सबसे पहले ये जान लीजिये कि किसी भी वेबसाइट का निर्माण HTML नामक markup language द्वारा किया जाता है।
इसके Html tag एक वेबसाइट के structure को बनाने में अहम भूमिका निभाते है। आपको पता होना चाहिए कि किसी भी वेब पेज के भीतर एलिमंट लेआउट के स्वरूप को डिज़ाइन करने के लिए CSS का उपयोग किया जाता है। बता दें कि इंटरनेट पर मौजूद सभी वेब पेज HTML व CSS के इस्तेमाल से ही बनाये गए हैं। मतलब की आप बस इतना समझ लीजिये कि वेब डिज़ाइनिंग में काम करने का मतलब की आपके द्वारा बनाया गया कोई भी वेब पेज एक ब्राउज़र में जैसे ‘गूगल’, ‘मोज़िला’ आदि में कैसे दिखाई देगा। वेब डिज़ाइनिंग के लिए यह बेहद ही आवश्यक है कि आपको कुछ विषयों पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। जैसे की ग्राफिक डिज़ाइनिंग (Graphic Designing), एचटीएमएल (Html), सीएसएस (CSS), जावास्क्रिप्ट (Java script), पीएचपी (php) आदि।
बता दें कि वेब डिज़ाइनिंग के लिए आपको ग्राफिक डिज़ाइनिंग की जानकारी आवश्यक हो जाती है क्योंकि कोई भी वेबसाइट या वेब पेज बनाने के लिए आपको डिज़ाइनिंग आदि का आना बेहद महत्वपूर्ण है। एक तरह से आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि यह संदेशो के सवांद करने के लिए visual content बनाने का शिल्प है। इसके अलावा Html की जानकारी होने पर ही Page Structure तैयार कर सकते हैं जो कि किसी भी वेबसाइट का सबसे अहम हिस्सा यानी कि उसकी नींव मानी जाती है। इसके बाद CSS की मदद से वेब पेज में Text, Font Style, Color, Layout डिज़ाइन आदि तैयार किए जाते हैं।
चूंकि वेबसाइट का निर्माण हो जाने के बाद यह भी बेहद ही आवश्यक है कि उसके अंदर कोई सामग्री हो ताकि कोई भी यूजर आए तो वह खाली हाथ न लौटे। इसके लिए Content प्रॉडक्शन का काम किया जाता है। इसके साथ आपको यह भी बता दें कि कभी-कभी ऐसा वक़्त भी आता है जब वेबसाइट पर अत्यधिक भार पड़ता है या फिर किसी अन्य कारणों से उसमे किसी प्रकार की तकनीकी दिक्कत आ जाती है, तो उस दौरान जरूरत पड़ती है Site Maintenance की। इसके अंतर्गत वेबसाइट बनाते समय कोई कमी या खामी आ जाए तो उसे भी ठीक किया जाता है। चूंकि आज हर चीज आधुनिक होते जा रही है और ऐसे में आप अभी भी साधारण सोच रखते हैं तो आप पीछे रह जाएंगे। जमाना जिस तरफ तेजी से मुड़ रहा आप अगर आप उससे भी तेजी से खुद को दौड़ाएंगे, तो ही आप एक सफल इंसान बन पाएंगे।
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