Namkaran Sanskar in Hindi: यूं तो एक महान नाटककार ने कहा है कि नाम में क्या रखा है लेकिन हिंदू सभ्यता में नाम का बेहद महत्व है। क्योंकि नाम ही किसी व्यक्ति विशेष की पहचान होती है। इसलिए जन्म के बाद शिशु का पहला संस्कार…नामकरण संस्कार कहलाता है। जिसमें नवजात को कोई नाम देकर उसकी खुद की पहचान स्थापित की जाती है। उसी नाम से वो दुनिया में जाना व पहचाना जाता है। यानि नामकरण संस्कार न केवल शिशु का पहला संस्कार माना जाता है बल्कि काफी महत्वपूर्ण भी होता है। इस संस्कार के बारे में स्मृति संग्रह में जिक्र किया गया है जिसके अनुसार नामकरण संस्कार से आयु व तेज में बढ़ोतरी होती है। ऐसा माना जाता है कि इस संस्कार के दौरान शिशु के अभिभावकों और वहां मौजूद व्यक्तियों के मन में शिशु को श्रेष्ठ व्यक्तित्व सम्पन्न बनाने के महत्त्व का बोध होता है। वैसे तो ये संस्कार जन्म के दसवें दिन किया जाता है। लेकिन पाराशर स्मृति के अनुसार ब्राह्मण वर्ण में सूतक दस दिन, क्षत्रियों में 12 दिन, वैश्य में 15 दिन तो शूद्र के लिये एक मास का माना गया है। और नामकरण संस्कार सूतक के आखिरी दिन ही किया जाता है। अगर किसी भी कारणवश दसवें दिन नामकरण संस्कार ना हो पाए तो बाद में किसी भी निर्धारित दिन ये संस्कार करवाया जा सकता है।
नामकरण संस्कार के दौरान की जाने वाली व्यवस्थाएं(Namkaran Sanskar)
- नामकरण संस्कार किसी भी नवजात का पहला संस्कार माना जाता है। लिहाज़ा ये बेहद ही खास होता है। यदि शिशु का नामकरण दसवें दिन ही किया जा रहा है तो आपको घर को पूरी तरह से स्वच्छ करना चाहिए।
- एक कलश लेकर उस पर कलावा बांधना चाहिए, साथ ही रोली से कलश पर ॐ व स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए।
- शिशु की कमर में बाँधने के लिए मेखला की जरूरत होती है जो सूती या रेशमी धागे की हो सकती है। अगर ये ना हो तो इसे बनाने के लिए कलावा सूत्र का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- मधु प्राशन के लिए शहद तथा चटाने के लिए चाँदी की चम्मच भी होनी चाहिए लेकिन अगर आप चांदी की चम्मच ना ले सके तो घर में मौजूद चांदी की अंगूठी या स्टील की चम्मच ले सकते हैं।
- जब नामकरण संस्कार हो तो माता को अपनी गोद में शिशु को लेकर बैठना चाहिए। हवन वेदी के पास भी स्वस्तिक चिह्न बनाना चाहिए, और यही पर बालक को भूमि स्पर्श कराया जाता है।
- वैसे तो साधारण तरीके से भी नाम की घोषणा की जा सकती है लेकिन आप चाहे तो अपने बच्चे के नाम की घोषणा को खास बना सकते हैं। इसके लिए आपको एक सुंदर तख्ती लेनी चाहिए जिस पर बेहद सुंदर और सफाई से बच्चे का नाम रोली व चंदन से लिखा जाना चाहिए। अगर आप क्रिएटिव हैं तो किसी भी अंदाज़ में अपने बच्चे का नाम अलग तरीके से लिख सकते हैं।
- वहीं हवन में विशेष आहुति के लिए खीर, मिठाई या कोई मेवा लिया जा सकता है। जिससे आहुति दी जा सकती है।
- वहीं निर्धारित क्रम से मंगलाचरण, षट्कर्म, संकल्प, यज्ञोपवीत परिवर्तन, कलावा, तिलक एवं रक्षा-विधान का क्रम पूरा करके विशेष कर्मकाण्ड किए जाते हैं।
- अगर नामकरण संस्कार दसवें दिन ना हो तो तो किसी दूसरे दिन बाद में भी उसे सम्पन्न कराया जा सकता है।
कैसे होता है नामकरण संस्कार ? (Namkaran Sanskar Vidhi)
नामकरण संस्कार के दौरान बच्चे को शहद चटाते हैं साथ ही इस दिन बच्चे को सूर्य दर्शन भी कराते हैं ताकि बच्चा सूर्य की भांति ही तेजस्वी हो। सभी देवी-देवताओं का स्मरण करके हवन किया जाता है। हवन वेदी पर ही शिशु का नाम लेकर शिशु की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य व उसके जीवन में सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। जन्म के समय जो ग्रह नक्षत्र मौजूद हो साथ ही शिशु के जातिनाम, वंश, गौत्र आदि का भी ध्यान भी नामकरण के दौरान रखा जाता है।
2 तरह से रखा जा सकता है नाम
विशेष बात ये है कि नाम दो तरह से रखा जा सकता है।एक गुप्त नाम और दूसरा प्रचलित नाम। गुप्त नाम वो नाम होता है जो केवल माता-पिता ही जानते हैं वहीं प्रचलित नाम लोक व्यवहार में बुलाया जाता है। गुप्त नाम खासतौर से इसलिए रखा जाता है ताकि बच्चे को किसी भी तरह के जादू टोने या तांत्रिक क्रियाओं से बचाया जा सके। ये नाम शिशु के जन्म के समय ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति को देखते हुए रखा जाता है। इसे राशि नाम भी कहा जा सकता है। जबकि प्रचलित नाम अपनी पसंद के अनुसार कोई भी रखा जा सकता है। इसके अलावा बालक के गुणों के आधार पर भी ये नाम रखे जा सकते हैं।