Period: End of Sentence भारत के हाथ बड़ी सफलता लगी है। पीरियड जैसे टैबू पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म “पीरियड इंड ऑफ सेंटेंस” ने 91वें एकेडमी अवॉर्ड्स में बेस्ट डॉक्यूमेंटी का अवॉर्ड जीता है। फिल्म की कहानी, सब्जेक्ट और स्टारकास्ट भारतीय है। ये डॉक्यूमेंट्री उत्तर प्रदेश के हापुड़ में रहने वाली लड़कियों के जीवन पर बनी है।
इसमें दिखाया गया है कि कैसे आज भी हमारे समाज में गांवों में पीरियड्स को लेकर शरम और डर है। माहवारी जैसे अहम मुद्दे को लेकर लोगों के बीच जागरुकता की कमी है।
पीरियड: एंड ऑफ सेंटेंस’ को मिला ऑस्कर अवॉर्ड (Period: End of Sentence)
ऑस्कर के लिए ‘पीरियडः एंड ऑफ सेंटेंस’ की टक्कर ‘ब्लैक शिप’ , ‘एंड गेम’ , ‘लाइफबोट’ और ‘ए नाइट एट द गार्डन’ जैसी दूसरी शॉर्ट डॉक्यूमेंटरीज से थी। ये डॉक्यूमेंट्री 25 मिनट की है. फिल्म की एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा हैं. वे इस डॉक्यूमेंट्री मेकिंग से जुड़ी इकलौती भारतीय हैं। इसे Rayka Zehtabchi ने डायरेक्ट किया है। ऑस्कर अवॉर्ड जीतने के बाद गुनीत मोंगा बेहद एक्साइटेड हैं. उन्होंने ट्वीट कर लिखा-” हम जीत गए, इस दुनिया की हर लड़की, तुम सब देवी हो। अगर जन्नत सुन रही है।”
इसे बनाने में कैलिफोर्निया के ऑकवुड स्कूल के 12 छात्रों और स्कूल की इंग्लिश टीचर मेलिसा बर्टन का अहम योगदान है। वैसे इसे बनाने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। दरअसल, ऑकवुड स्कूल के स्टूडेंट को एक लेख में भारत के गांवों में पीरियड को लेकर शर्म के बारे में पता चला। फिर सबसे पहले बच्चों ने NGO से संपर्क किया, चंदा इकट्ठा किया और गांव की लड़कियों को सेनेटरी बनाने वाली मशीन डोनेट की। फिर जागरुकता लाने के लिए डॉक्यूमेंट्री बनाने का प्लान बना।
फिल्म की कहानी
डॉक्यूमेंट्री की शुरूआत में गांव की लड़कियों से पीरियड के बारे में सवाल पूछा जाता है। पीरियड क्या है? ये सवाल सुनकर वे शरमा जाती हैं। बाद में ये सवाल लड़कों से किया जाता है। जिसके बाद वे पीरियड को लेकर अलग-अलग तरह के जवाब देते हैं। एक ने कहा- पीरियड वही जो स्कूल में घंटी बजने के बाद होता है. दूसरा लड़का कहता है ये तो एक बीमारी है जो औरतों को होती है, ऐसा सुना है।
कहानी में हापुड़ की स्नेहा का अहम रोल है। जो पुलिस में भर्ती होना चाहती है। पीरियड को लेकर स्नेहा की सोच अलग है। वे कहती है जब दुर्गा को देवी मां कहते हैं, फिर मंदिर में औरतों की जाने की मनाही क्यों है। डॉक्यूमेंट्री में फलाई नाम की संस्था और रियल लाइफ के पैडमैन अरुणाचलम मुरंगनाथम की एंट्री भी होती है।सेनेटरी मशीन को गांव में लगाया जाता है।