Hidden Continent Zealand Birthed New Subduction Zone: करोड़ों साल से समुन्द्र के गर्भ में छिपे हुए आठवें महाद्वीप ने धरती का सीना चीर अब धीरे-धीरे अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है। उसने न्यूजीलैंड(Zealand) के दक्षिण में स्थित, टैसमैन सागर के नीचे, एक और बड़ी दरार यानी सबडक्शन जोन बना दिया है। यानी न्यूजीलैंड की समुद्री सतह के नीचे एक और टेक्नोनिक प्लेट तैयार हो गई है और यदि इसमें हलचल होती है, तो न्यूजीलैंड के आसपास भयानक भूकंप और सुनामी आने की पूरी संभावना है।
हो सकती है भारी तबाही(Hidden Continent Zealand Birthed New Subduction Zone)

यह सबडक्शन जोन(Subduction Zone), न्यूजीलैंड से दक्षिण में स्थित पीसगर ट्रेंच पर बना है, जिस वजह से यहां पर ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट खिसक कर पैसिफिक टेक्नोटनिक प्लेट के नीचे चली गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि यहां थोड़ी सी भी हलचल हुई, तो सन 2004 में सुनामी से हुई तबाही की तरह ही फिर से तबाही मच सकती है। 7.2 या उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप भी आ सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह सबडक्शन जोन अभी नया है। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि आखिर ये दरार कैसे बनी और इसकी शुरुआत कहां से हुई?
आठवें महाद्वीप का नाम क्या है?
इस आठवें महाद्वीप का नाम जीलैंडिया बताया जा रहा है जो कि यह करीब 2.30 करोड़ साल पहले समुद्र में डूब गया था। हाल ही में इस महाद्वीप का नक्शा भी बनाया गया, जिससे यह पता चला कि यह महाद्वीप 50 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है।
जीलैंडिया महाद्वीप, ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट और पैसिफिक टेक्टोनिक प्लेट की सीमा पर स्थित है व प्रशांत महासागर के अंदर 3800 फीट की गहराई में है। नए नक्शे से पता चला है कि जीलैंडिया की जमीन बेहद ऊंची-नीची है। जहां एक ओर ऊंचे पहाड़ हैं तो दूसरी ओर गहरी घाटियां। जीलैंडिया सुपरकॉन्टीनेंट गोंडवानालैंड से 7.90 करोड़ साल पहले टूटा था। हालांकि इस महाद्वीप का कॉन्सेप्ट सन 1995 में आया था, लेकिन इसे चार साल पहले यानि 2017 में खोजा गया और आठवें महाद्वीप का दर्जा दिया गया। तब से वैज्ञानिक इस पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं।
कैसे मिला यह खोया हुआ आठवां महाद्वीप?

लगभग पूरा जीलैंडिया समुद्र के अंदर है, लेकिन लॉर्ड होवे आइलैंड के पास, बॉल्स पिरामिड नाम की चट्टान समुद्र से बाहर निकली हुई है और इसी चट्टान के कारण इस महाद्वीप का पता चल सका।
वैज्ञानिक बताते हैं कि इस जगह का अध्ययन करना काफी जानलेवा है, क्योंकि यहां पर 20 फीट ऊंची लहरें उठती हैं और 48 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलती है। लेकिन ऐसा केवल सामान्य दिनों में होता है। टैसमैन सागर के नीचे लहरों की गति और ज्यादा तेज होती है। इसलिए जब लहरें थोड़ी शांत होती हैं, तभी वैज्ञानिक इसपर अध्ययन करने के लिए समुद्र में जाते हैं।
यह भी पढ़े
- व्हेल की शैतानी से डर कर भागा चिड़ियाघर घूमने आया छोटा सा बच्चा, वीडियो वायरल
- परेशान कर रहा है दाढ़ का दर्द, तो अपनाएं ये आसान से घरेलू नुस्खे
बता दें कि ऐसी भूगर्भीय हरकतें केवल न्यूजीलैंड के पास समुन्द्र के नीचे ही नहीं बल्कि अलास्का के दक्षिण में और वैंकूवर के उत्तर में भी हो रही हैं। यहां भी नई प्लेट बन रही हैं, जिन्हें क्वील शार्लोट फॉल्ट कहा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ये फॉल्ट भी आगे चलकर एक नया सबडक्शन जोन बना सकती है।