Alvida Book Review: अलविदा की खूबी है इसकी ताजगी और विषय वस्तु की विविधता। 27 कविताओं एवं 53 हाइकु (जापानी शैली की कविता) के इस संग्रह में लयबंद से लेकर मुक्तक छंद में कविताएं लिखी गई हैं। पांच खंडों में संकलन को जोड़ा गया है। पहले खंड मैं प्रकृति केंद्र में है। आज जहां पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की चर्चा चहुंओर है, ऐसे में फिलॉसफी पर आधारित यह प्रकृति कविताएं मन को छू जाती है। अगले तीनों खंड जीवन, मानव ह्रदय, ब्रह्मांड, प्रेम रस के विभिन्न सोपान, समय, मृत्यु आदि नाना विषयों को अपने में सहेजें है। खंड ड़ हाइकु कविताओं का संग्रह है जिसमें प्रकृति, प्रेम, शहरी जीवन, लोकतंत्र, अमीर गरीब, धर्म आदि विषयों पर बेहद मार्मिक शैली में विचार प्रस्तुत किए गए हैं। कुल 104 पृष्ठों की यह पुस्तक अपने आप में एक दुनिया होने का आभास देती है। शीर्षक कविता अलविदा जहां बेहद मार्मिक विषय को छूती है, मेरा चित्त इंसान की भटकती जिंदगी दर्शाता है, omaney ‘s house अठारह सौ सत्तावन की क्रांति को आधुनिक समय से जोड़ती है ‘बेंच नंबर 11’ समय के साथ बदलते स्त्री पुरुष के रिश्ते को रेखांकित करती है; इस संग्रह में ऐसी ही अनेक रचनाएं है जो पाठकों को मंत्रमुग्ध करेंगी।
कवि परिचय
श्री योगेश सिंह मोहन (जन्म: जनवरी, 1982) डीएवी कॉलेज सढोरा (यमुना नगर), हरियाणा में पिछले 6 वर्ष से अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्य कर रहे हैं। अंग्रेजी के अलावा इतिहास व मनोविज्ञान आपके प्रिय विषय हैं| बचपन से ही आपको पर्यावरण से विशेष लगाव रहा है।
प्रस्तुत काव्य संग्रह से पूर्व आपका अंग्रेजी कविताओं का संग्रह ‘द डिवाइन विल एंड अदर पोयम्स’ प्रकाशित हो चुका है।
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