यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म ‘काला पत्थर’(Kala Patthar) 24 अगस्त 1979 को रिलीज हुई थी। जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है कि यह फिल्म कोयला खदान से संबन्धित थी। इस फिल्म में शोषित मजदूरों और कोयला खदान के मालिकों के बीच के संघर्ष को दिखाने के साथ ही सितारों की प्रेम कहानी को भी बेहद खूबसूरती से दर्शाया गया था। यह फिल्म यश चोपड़ा की बाकी लार्जर दैन लाइफ फिल्मों के बिलकुल विपरीत थी। आमतौर पर यश चोपड़ा की सभी फिल्मों में गुड लुकिंग हीरो-हीरोइन खूबसूरत लोकेशन पर रोमांस करते नजर आते थे, लेकिन फिल्म “काला पत्थर”(Kala Patthar) में केवल चेहरे पर कोयला लगे, मेहनत करते हुए, पसीने से भीगे मजदूर नजर आए।
यह एक मल्टीस्टारर फिल्म है, जिसमें अमिताभ बच्चन(Amitabh Bachchan), शशि कपूर(Rishi Kapoor), शत्रुघ्न सिन्हा(Shatrughan Sinha), राखी गुलजार(Rakhee Gulzar), नीतू सिंह(Neetu Singh ), परवीन बाबी जैसे दिग्गज सितारों ने काम किया था। अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा के रिश्तों में उन दिनों काफी तनाव चल रहा था, जो की फिल्म की स्क्रिप्ट के हिसाब से फिल्म में भी उभर कर सामने आया। निर्देशक यश चोपड़ा के अनुसार अमिताभ और शत्रुघ्न के शॉट साथ में लेना बेहद जोखिम भरा काम था और उन्हें हमेशा यह डर लगा रहता था कि कहीं सीन के बीच में दोनों में हाथापाई न हो जाए।
इस फिल्म की कहानी 1975 में धनबाद के चासनाला में हुई खान दुर्घटना से प्रेरित थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस दुर्घटना में करीब 375 लोग मारे गये थे। फिल्म में बीग बी ने विजय पाल सिंह नामक एक ऐसे मर्चेन्ट नेवी कप्तान की भूमिका निभाई थी, जो 300 यात्रियों की जान खतरे में डालकर डूबते हुए जहाज से भाग खड़ा होता है। इस वाक्ये के बाद उसका समाज में बेहद अपमान होता है और उसके माता-पिता भी उसे त्याग देते हैं। समाज से तिरस्कृत होकर वह एक छोटी सी जगह जाकर कोयले की खदान में मजदूरी करने लगता है। किरदार के अंदर भरे उस गुस्से को एंग्री यंग मैन ने इस खूबसूरती से निभाया की उनके ताप को सिनेमा हॉल में बैठे हर दर्शक ने महसूस किया।
फिल्म में राखी गुलजार(Rakhee Gulzar) ने डॉक्टर का किरदार निभाया है जो अमिताभ के किरदार विजय से प्रेम करने लगती हैं। फिल्म के एक सीन में राखी अमिताभ से अंग्रेजी में कुछ बोलती है और अमिताभ भी अंग्रेजी में तुरंत जवाब दे देते हैं। एक मजदूर के मुंह से अंग्रेजी सुन कर राखी दंग रह जाती हैं। यह सीन बेहद रोमांचक और उम्दा तरीके से शूट किया गया है।
अभिनेता शशि कपूर(Shashi Kapoor) ने खान के एक प्रभारी इंजीनियर रवि का रोल प्ले किया है, जो अमिताभ का दोस्त है, खदान मालिकों के लिए काम करता है, लेकिन मजदूरों का भी ध्यान रखता है। शॉट गन शत्रुघ्न सिन्हा ‘मंगल’ नामक एक अपराधी के किरदार में हैं जो पुलिस के डर से भाग कर यहां आ छुपता है और कोयले की खदान में काम करता है। अमिताभ और शत्रुघ्न में 36 का आंकड़ा है जो बहुत खूब उभर कर आया है।
परवीन बॉबी ‘अनीता’ और नीतू सिंह ‘चन्नो’ के किरदार में हैं जो क्रमशः शशि कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा की प्रेमिका की भूमिका अदा कर रही हैं। मशहूर विलेन प्रेम चोपड़ा ‘सेठ धनराज’ नामक एक लालची बॉस बने हैं जो मजदूरों पर जुल्म करता है। उन्हें खराब उपकरण देता है, कम सुविधाओं के बावजूद उनसे ज्यादा काम करवाता है और मेडिकल सेवा भी नहीं देता। फिल्म के अंत में खान में काम करते मजदूरों को बचाते हुए शत्रुघ्न सिन्हा के किरदार ‘मंगल’ की मौत हो जाती है।
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फिल्म में संगीत राजेश रोशन ने दिया है। फिल्म के गाने “एक रास्ता है जिंदगी”, “बांहों में तेरी”, “मेरी डोरो से आए बारात” उस जमाने सुपरहिट गानों की लिस्ट में शुमार हुए थे। यह फिल्म, फिल्मफेअर अवार्ड में आठ श्रेणियों में नामांकित हुई थी, लेकिन बदकिस्मती से एक भी अवार्ड अपने नाम ना कर सकी।
फिल्म का प्रदर्शन बॉक्स ऑफिस पर भी औसत ही रहा। यश चोपड़ा जैसे प्रतिष्ठित निर्देशक के निर्देशन, अमिताभ(Amitabh Bachchan) की लोकप्रियता और इतने सारे सितारों के होने के बावजूद यह फिल्म दर्शकों को लुभाने में कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई।