क्रिसमस अब चंद कदम ही दूर है। आगामी 25 दिसंबर को फिर से क्रिसमस ट्री सज जाएगी। जिंगल्स बेल की आवाज भी गूंजेगी। सफेद दाढ़ी व बालों के साथ सांता क्लॉज लाल व सफेद रंग की ड्रेस पहने बच्चों के लिए ढेरों तोहफे लेकर आएंगे। तो चलिए यहां हम आपको बताते हैं सांता क्लॉज के इतिहास(Santa Claus History In Hindi) के बारे में।
एक प्राचीन चरित्र
प्राचीन समय से ही एक चरित्र के रूप में सांता क्लॉज़(Santa Claus History In Hindi) की पहचान रही है। इन्हें संत निकोलस, क्रिसमस पिता (फादर) और क्रिस क्रींगल के नाम से भी जाना जाता है। तुर्किस्तान के washingtonpost मायरा में जीसस के जन्म के लगभग 280 वर्षों के बाद संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में हुआ था।
जरूरतमंदों के मददगार
निकोलस एक ऐसे व्यक्ति थे, जो जरूरतमंदों की मदद हमेशा करते रहते थे। खासकर ईसा मसीह के जन्मदिन के दिन यानी कि क्रिसमस के मौके पर वे बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि कोई दुखी रहे या भूखा रहे। यही वजह थी कि वे जरूरत की चीजें जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए निकल पड़ते थे। वे इसके लिए आधी रात का वक्त चुनते थे, ताकि कोई उन्हें देख नहीं सके।
गरीबों को भोजन
इस तरह से गरीबों को जहां वे खाना बांटते थे, वहीं बच्चों के लिए खिलौने लेकर पहुंचते थे। खुशियां बांटने की वजह से संत निकोलस संत भी कहे जाने लगे। जब संत निकोलस इस दुनिया में नहीं रहे, तो उसके बाद तो वेश बदलकर सांता बनने और गरीबों तक मदद पहुंचाने की एक परंपरा ही शुरू हो गई।
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यहां से मिला नाम
संत निकोलस को सांता क्लॉज(Santa Claus History) का नाम डेनमार्क के लोगों ने दिया था। कोका-कोला के विज्ञापन में 1931 से लेकर 1964 तक हैडन संडब्लोम नामक एक कलाकार सांता के रूप में दिखे थे, जो कि सांता के वर्तमान स्वरूप की पहचान बन गया।