राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया लंबे समय से कर्ज की बोझ तले डूबी है। अब तक एयर इंडिया के पास 50 हजार करोड़ से भी अधिक का कर्ज है। इस कर्ज से बाहर निकलने के लिए केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक अहम फैसला सुनाया है। उन्होंने लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि एआईएसएएम (AISAM) ने एयर इंडिया में भारत सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की अनुमति दे दी है। बीते वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया का कुल अनुमानित घाटा 8,556.35 करोड़ रुपए रहा है। केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में यह भी कहा है कि एविएशन सेक्टर को बेहतर करने के लिए यह प्रयास किए जा रहे हैं।
50 हजार करोड़ का कर्ज़ है एयर इंडिया पर
एयर इंडिया पर अब तक 50 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा कर्ज है। इससे पहले भी 27 नवंबर को केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में कहा था कि एयर इंडिया का निजीकरण नहीं होने के कारण हमे एयर इंडिया को बंद करना होगा। एयर इंडिया ने पिछले वित्त वर्ष में लगभग 4600 करोड़ रुपए का ऑपरेटिंग नुकसान दर्ज किया है। तेल की कीमत बढ़ जाने और विदेशी मुद्रा के नुकसान के कारण कंपनी घाटे में चलती चली गई है। पिछले साल ही सरकार एयर इंडिया को बेचना चाहती थी, परन्तु बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता होने के कारण सरकार ने इसपर रोक लगा दिया था। इस वर्ष फिर से सरकार एयर इंडिया को बेचने के लिए सक्रिय हुई है। इसके साथ ही मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एयर इंडिया के बिक जाने के बाद सभी कर्मचारियों के लिए एक अच्छा सौदा भी तय करेंगे। सभी कर्मचारी के हित्तों को ध्यान में रखते हुए ही कोई भी निर्णय लिया जाएगा।
दस्तावेज तैयार करने में जुटी सरकार
मोदी सरकार ने इस सरकारी कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली दस्तावेज तैयार कर रही है। और इस प्रक्रिया को पूरा करने की समय सीमा 31 मार्च तक निर्धारित की है। अनुमान के मुताबिक एयर इंडिया को एक साल में जितना घाटा हुआ है उतने में वह एक नई एयरलाइंस शुरू कर सकती हैं, इन सभी को ध्यान में रखते हुए एयर इंडिया को बेचने का निर्णय लिया गया है।