Citizenship Amendment Bill in Hindi: नागरिकता संशोधन बिल यानि सिटिज़नशिप अमेंडमेंट बिल (CAB) को लेकर विवाद सड़क से लेकर सदन तक देखने को मिल रहा है। भारी विरोध के बावजूद लोकसभा से इस बिल को पास करवा लिया गया है। लेकिन आखिर कारण क्या है कि इस बिल का केवल विपक्ष ही नहीं बल्कि उत्तर पूर्व के राज्य भी खासा विरोध जता रहे है? दरअसल ये बिल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देगा। जबकि मुस्लिम शरणार्थियों को इस बिल से नागरिकता हासिल करने का मौका नहीं मिलेगा। यहीं मुख्य कारण है कि विपक्ष इस बिल के विरोध में हैं । भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा के पिछले कार्यकाल के दौरान भी यह बिल पेश किया था लेकिन वो निष्प्रभावी हो गया था। परन्तु इस बार ये बिल लोकसभा में पारित हो गया है। चलिए आपको विस्तार से इस नागरिकता संशोधन बिल के प्रावधानों की जानकारी देते हैं ताकि आप भी समझ सकें इसके समर्थन और विरोध के असल कारण क्या हैं।
नागरिकता संशोधन बिल के खास प्रावधान (Citizenship Amendment Bill 2019 )

- नागरिक संशोधन बिल कानून बनने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को भारत की नागरिकता उपलब्ध करवाएगा। यानि गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी।
- नागरिकता संशोधन बिल के चलते पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी।
- इस बिल के विरोध में समूचा विपक्ष है और उसका मुख्य कारण यही है कि इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की है और लगातार उसका विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं।
- इस बिल के मुताबिक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी यानि हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- वहीं उत्तर पूर्व के राज्य भी इस बिल के विरोध में हैं लेकिन उनके विरोध की वजह कुछ और हैं। उनका मानना है कि इस बिल के कारण पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को भी नागरिकता प्रदान की जा सकती है। जो उन्हे मंजूर नहीं।
केंद्र सरकार के क्या हैं विचार

ये चार खास प्रावधान ऐसे हैं जिनको लेकर खासतौर से नागरिकता संशोधन बिल का विरोध किया जा रहा है। लेकिन जो सरकार इस बिल को सदन में लेकर आई है उसकी राय काफी अलग है। केंद्र की बीजेपी सरकार की मानें तो ‘अगर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत hi नहीं पड़ती। लोकसभा में इस बिल के पास होने से पहले हुई चर्चा में गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इस बिल के ज़रिए संविधान के किसी भी अनुच्छेद का कोई उल्लंघन नहीं किया जा रहा है और ना ही ये विधेयक किसी भी तरह से देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। ऐसे में विपक्षी दलों का विरोध बेवजह है।‘
रोहिंग्या, अहमदियों, तमिलों को नहीं किया गया है शामिल
खास बात ये है कि इस नागरिकता संशोधन बिल में पाकिस्तान से आए अहमदियों के साथ-साथ म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों और श्रीलंका से आए तमिलों को शामिल नहीं किया गया है। वहीं, इस बारे में गृह मंत्री अमित शाह से भी जवाब मांगा गया तो उन्होने कहा कि अलग-अलग समय में अलग-अलग देशों से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी गई है। विभाजन के बाद जो आए उन सभी शरणार्थियों को नागरिकता दी गई। तो वहीं 1971 में बांग्लादेश से जो आए उन्हें नागरिकता दी गई. फिलहाल ये बिल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लिए लाया गया है।
 
			 
				 
					   
		 
		