Dark Secrets of Aghori Saadhu: जब भी कभी आप किसी अपने या रिश्तेदारों की अंतिम यात्रा पर शमशान पहुंचते हैं तो उस दौरान आपको वहां कई तरह के लोग देखने को मिल जाते होंगे।
क्योंकि ये वो जगह होती है जहां आने के बाद अमीर-गरीब, बड़ा-छोटा सब एक बराबर हो जाया करते हैं। मगर इनके अलावा आपको इसी शमशान में कोई और भी दिखता है। यूं तो उसका भेष किसी साधु के सामान ही होता है मगर उसकी आंखों में ज्वाला और हाथ में चिमटा लिए ये साधु दिखने में जितने डरावने होते हैं, अंदर से उतने ही सहज होते हैं।
जी हां, हमारे लिए तो शमशान जीवन का आखिरी पड़ाव माना जाता है मगर इसी आखिरी पड़ाव पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मुर्दों को नोचकर उनमें जिंदगी तलाशते हैं। आप बिल्कुल सही समझें, हम बात कर रहे हैं अघोरियों (Aghori Saadhu) की जो इंसानी खोपड़ी को प्याला बनाकर उसमें शराब पीते हैं। श्मशान को बिस्तर बनाकर चिता की चादर ओढ़ते हैं और मुर्दों से जिंदगी उधार लेते हैं, मगर हैरान कर देने वाली बात यह है कि उनकी खुद की जिंदगी सदियों से रहस्य बनी हुई है।
लाश के साथ संबंध
जी हां, आपको सुनकर थोड़ा अजीब जरूर लग सकता है लेकिन यह है बिलकुल सत्य। अघोरी लोग लाश के साथ संबंध बनाते हैं। अघोरी महिलाओं से उनकी मर्जी के साथ संबंध बनाते हैं। अपनी मान्यताओं के हिसाब से वह शमशानों में लाश के ऊपर ये क्रिया करते हैं और उनका मानना होता है कि इससे उन्हें किसी आनंद या मजे की अनुभूति नहीं होती बल्कि ऐसा करने से उन्हें भाव समाधि प्राप्त होती है। अघोरियों (Aghori Saadhu) का यह कार्यकलाप अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है।
नरभक्षी होते हैं अघोरी
अघोरी, जिन्हें हम कई तरह से देखते और पुकारते हैं, कुछ लोग इन्हें मुर्दाखोर कहते हैं तो कोई ओघड़ भी कहता है। आमतौर पर अघोरियों (Aghori Saadhu) को एक बहुत ही डरावना या खतरनाक साधु समझा जाता है जो जलती हुई लाशों के साथ कई ऐसे काम करते हैं जिसे देख या सुन कर भी आपको गश्ती आ सकती है। लेकिन अघोर का अर्थ होता है अ+घोर यानी जो घोर नहीं हो, डरावना नहीं हो। जो सरल हो और जिसमें कोई भेदभाव नहीं हो। कहते हैं कि सरल बनना बड़ा ही कठिन होता है। सरल बनने के लिए ही अघोरी बेहद ही कठिन रास्ता अपनाते हैं। इन्हें बहुत ही कड़ी तपस्या करनी पड़ती है जिसके पूरा हो जाने के बाद ये हमेशा के लिए हिमालय में लीन हो जाते हैं।
बताया जाता है कि अघोरियों (Aghori Saadhu) का यह मानना होता है कि उनका भोजन सिर्फ लाश होता है। वह कभी भी जीवित का भोजन नहीं करते। शायद यही वजह है कि वह शमशानों में मरे हुए मनुष्यों को अपना भोजन बनाते हैं। ऐसा भी बताया जाता है कि अघोरी कभी भी भोजन पका नहीं सकते हैं इस वजह से वो हमेशा कच्चा मांस या फिर चिता की अधजली लाश को खाते हैं।
देसी नशा है इनकी पहचान
आपने जब भी कभी किसी अघोरी को देखा होगा तो निश्चित रूप से उसके हाथ में चिलम या गांजा जरुर देखा होगा। बताया जाता है कि गांजा पीना उनके लिए नशा करने जैसा नहीं होता है बल्कि यह उनके लिए भाव समाधि में पहुंचने का एक जरिया होता है, जिसके माध्यम से वो अलौकिक दुनिया में पहुंचते हैं और ध्यान की अवस्था को हासिल करते हैं।
कानूनी मतभेद
वैसे तो हमारे देश में आपको कई तरह के ऐसे कानून देखने को मिल जायेंगे जिसे आप किसी भी स्थिति में अमान्य नहीं कर सकते वर्ना ऐसा करने पर आपको सजा का प्रावधान है। मगर जैसा कि बताया जाता है अघोरी दिन के उजाले में और वो भी खुले में संबंध बनाते हैं। साथ ही साथ बेरोक-टोक मांस भक्षण भी करते हैं जो कि हमारे देश के कानून के अनुसार सही नहीं है। मगर बावजूद इसके काशी के मशहूर घाटों पर आप अघोरियों (Aghori Saadhu) को ऐसा करते देख सकते हैं जो अधजली लाशों या कच्चे मांस को खाते दिख जायेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं ये आपको सार्वजनिक में चिलम, गांजा और इस तरह की और भी कई गंभीर मादक नशे का सेवन करते दिख जायेंगे जो कानूनी रूप से प्रावधान में नहीं है। लेकिन फिर भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उन्हें ऐसा करने के छूट मिल रखी है।
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