Volcano Active On Venus: धरती के आसपास मौजूद ग्रह आज भी वैज्ञानिकों के लिए खोज के विषय हैं। इन ग्रहों के बारे में हमें ऊपरी जानकारी तो मिल जाती है लेकिन इनके भीतर क्या मौजूद है इसकी जानकारी फिलहाल किसी के पास नहीं है। हालाँकि विभिन्न ग्रहों के सतह पर मौजूद चीजों के बारे में वैज्ञानिक अध्ययन जारी है। आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार बीते दिनों धरती के नजदीकी ग्रह पर तीस से भी ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी मिलने की बात सामने आई है। इस दिशा में शोध करने वालों की माने तो ये सभी ज्वालामुखी हाल (Volcano Active) ही में फटे भी थे और कुछ अभी भी सक्रिय हैं। विशेषज्ञों की माने तो यह ग्रह शांत नहीं रह सकता है, इसपर कुछ न कुछ गतिविधि होती ही रहती है। आइये जानते हैं कौन सा है यह ग्रह और कैसे यहाँ ज्वालामुखी विस्फोट से कोरोना (Coronae/Corona) बना है।
धरती के नज़दीकी इस ग्रह पर फ़टे हैं करीबन 37 ज्वालामुखी (Volcano Active On Venus)
यहाँ हम धरती के नजदीकी जिस ग्रह की बात कर रहे हैं वो असल में शुक्र ग्रह है। बता दें कि, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैरीलैंड के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि, शुक्र ग्रह पर हाल ही में एक साथ करीबन 37 ज्वालामुखी फ़टे थे। इस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने उन सभी ज्वालामुखी की खोज कर ली है और इनमें से कुछ के अभी भी सक्रिय होने के दावे किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि, शुक्र ग्रह पर हुए इन ज्वालामुखी विस्फोट (Volcano Active) की वजह से ग्रह के सतह पर कोरोना (Coronae/Corona) जैसा ढांचा बन गया है। जानकारी हो कि, इन कोरोना जैसे ढांचों का मतलब होता है, गोल आकार के घेरे जो काफी गहरे और बड़े हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने शोध में इस बात की पुष्टि की है कि, ये घेरे शुक्र ग्रह की गहराई से काफी अंदर तक विधमान हैं।
शुक्र ग्रह के टेक्टोनिक प्लेट्स में हो रही है हलचल
वैज्ञानिकों की माने तो अभी तक शुक्र ग्रह के टेक्टोनिक प्लेट्स को शांत माना जाता था लेकिन ऐसा नहीं है। बता दें कि, कोरोना जो शुक्र ग्रह की गहराई से काफी अंदर बना एक घेरा है इससे भी ज्वालामुखी के लावा को ऊपर आते देखा गया है। यह बात विशेष रूप से इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि, शुक्र ग्रह के टेक्टोनिक प्लेट्स में अभी भी हलचल हो रही हैं। इसी वजह से वहां हुए ज्वालामुखीय विस्फोट (Volcano Active) की वजह से लगातार भूकंप भी आ रहे हैं। इस विषय में इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स की एक वैज्ञानिक एना गुल्चर का कहना है कि, “शुक्र ग्रह कभी भी भौगोलिक रूप से शांत नहीं था और ना ही भविष्य में इसके शांत रहने की संभावना है।” शुक्र ग्रह पर होने वाले इन ज्वालामुखीय विस्फोटों के बारे में पहले ऐसा माना जाता था कि, यह एक्टिव कोरोना की वजह से होता है लेकिन हाल के शोधों में पता चला है कि ऐसा नहीं है।
यह भी पढ़े
- रंग नहीं सूरज की किरणों से बनाती है ये लड़की खूबसूरत पेंटिंग्स, देखें एक झलक !
- लैंडिंग से 20 मिनट पहले हवा में गायब हुआ प्लेन, आज तक नहीं मिला कोई भी सुराग
इन शोधों में साल 1990 से लेकर अब तक करीबन 133 कोरोना (Coronae/Corona) की जांच की गई है, जिनमें से 37 को अभी भी सक्रिय पाया गया है। किसी भी ग्रह पर ज्वालामुखी विस्फोट (Volcano Active On Venus) होने के बाद उसके लावा के बहने के लिए कोरोना (Coronae/Corona) के गड्ढे होने आवश्यक है। शुक्र ग्रह पर मौजूद ये 37 सक्रिय ज्वालामुखी असल में ग्रह के दक्षिणी गोलार्द्ध पर स्थित हैं। इनमें से सबसे बड़ा कोरोना अर्टेमिस है जिसका व्यास लगभग 2100 किलोमीटर का है।