Earth Day 2020: आज 22 अप्रैल को पूरी दुनिया अर्थ डे के रूप में मनाती है। अर्थ यानि पृथ्वी जो हमारा घर है और हमारे होने की वजह भी। अर्थ डे किसी ख़ास देश या राज्य का दिन नहीं है बल्कि इसे पूरी दुनिया के लोग एक साथ मनाते हैं। चूँकि इस समय दुनिया पर कोरोना वायरस का प्रकोप है इसलिए ये इस साल अर्थ डे के अवसर पर कुछ ख़ास नहीं हो पाया। अर्थ डे के अवसर पर पर्यावरण विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि, लॉकडाउन की वजह से धरती और पर्यावरण में बहुत से बदलाव आए हैं। आइये आपको बताते हैं, कौन से हैं वो महत्वपूर्ण बदलाव जिसका जिम्मेदार लॉकडाउन को माना जा रहा है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, आज अर्थ डे के अवसर पर पर्यावरण और भू विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि, लॉकडाउन का ख़ासा प्रभाव धरती पर हुआ है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होनें कहा कि, अगर हम भारत की बात करें तो यहाँ पिछले कई वर्षों से गंगा सफाई अभियान चलाया जा रहा था। भारत में विशेष रूप से गंगा और यमुना दो ऐसी नदियां है जो सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। ऋषिकेश, हरिद्वार और उत्तराखंड में बहने वाली गंगा में लॉकडाउन के बाद से ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि पाई गई है। आपको बता दें कि, गंगा से लिए गए सैंपल में ऑक्सीजन की मात्रा में एक प्रतिशत की वृद्धि पाई गई है। इसके साथ ही साथ गंगा के पानी का रंग भी काफी साफ़ हो गया है। बात करें यमुना नदी की तो, दिल्ली में यमुना का क्या हाल रहा है इससे सभी अवगत हैं। यमुना का पानी आपके किसी काम नहीं आ सकता है लेकिन लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण लेवल कम होने की वजह से इसका पानी भी काफी साफ़ हुआ है।
दिल्ली एनसीआर सहित अमूमन सभी मेट्रो शहरों में सांस लेने वाली हवा काफी ख़राब है। प्रदूषण लेवल बढ़ने की वजह से इन शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं रह गई थी। विशेष रूप से दिल्ली और नॉएडा के हालात काफी बुरे थे। लेकिन लॉकडाउन के बाद से यहाँ की हवा काफी हद तक साफ हुई है, जिस आसमान में धुएं के अलावा और कुछ नजर नहीं आता था वहां अब लोग खुलकर सांस ले पा रहे हैं और साफ़ आसमान भी देख पा रहे हैं। दिल्ली की बात करें तो लॉकडाउन से पहले यहाँ हवा की गुणवत्ता 122 मापी गई थी जो अब घटकर 87 पर आ गई है। इसके साथ ही साथ ओजोन लेयर पर भी इसका बेहद असरदार प्रभाव हुआ है। विशेषज्ञों मानना है कि, विभिन्न कारखाने आदि बंद होने से इसका विशेष लाभ ओजोन परत को भी मिला है। इसके अलावा अब वैज्ञानिक पृथ्वी में होने वाले छोटे पैमाने के भूकंपों का भी आकलन कर सकते हैं। इसके अलावा बारिश के चक्र पर भी इसका व्यापक प्रभाव होगा।
बहरहाल हम कह सकते हैं कि, यदि हमसे एक हाथ से कोई चीज छीनी जाती है तो दूसरे हाथ कोई चीज पाई भी जाती है। लॉकडाउन की वजह से कुछ और ना सही लेकिन पृथ्वी के हालात जरूर सुधरे हैं।
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