Petrol Pump: सल्फर की मात्रा ईंधन में जितनी ही कम होगी, वह इंधन उतना ही साफ होता है और कम प्रदूषण फैलाता है, ऐसा माना जाता है। सल्फर कम होने से इंधन से कार्बन मोनोऑक्साइड, NOx और हाइड्रोकार्बन जैसे प्रदूषण फैलाने वाले गैस कम उत्सर्जित होते हैं। BS6 ईंधन को इसी श्रेणी का माना जा रहा है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की ओर से मार्च के आखिरी सप्ताह से ही देश भर में अपने 28 हजार पेट्रोलपंपों पर इसकी सप्लाई शुरू कर दी गई है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि अपनी पुरानी कार यानी कि BS4 इंजन में यदि आप BS6 पेट्रोल या डीजल डालते हैं तो क्या होगा।
Petrol Pump इंजन पर प्रभाव
आप BS4 इंजन वाली कार में BS6 इंजन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें जो सल्फर मौजूद होते हैं, वे ल्यूब्रिकेंट (Lubricant) के तौर पर काम करते हैं। नये BS6 डीजल में सल्फर की मात्रा बहुत ही कम है। पहले तो यह 500 पीपीएम प्रति मिलियन हुआ करती थी जो कि वर्तमान में 50 पीपीएम है, लेकिन BS6 डीजल में यह 10 पीपीएम प्रति मिलियन रह जाएगी। इंजन भी इससे ज्यादा लंबे समय तक चल पाएगा और नुकसान होने की आशंका भी घट जाएगी। किसी भी BS6 कार को BS6 ईंधन डालकर आसानी से अपडेट किये हुए हार्डवेयर या इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ चलाया जा सकता है। अलग से कई पार्ट्स इन कारों के एग्ज़्हॉस्ट सिस्टम में लगे हुए रहते हैं। ऐसे में यदि इन कारों में अधिक सल्फर वाले ईंधन का प्रयोग किया जाए तो इसकी वजह से इनके जल्दी खराब होने की आशंका बढ़ जाती है।
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बदलवाना उचित नहीं
यदि आपके पास कोई पुरानी कार है तो BS6 स्टैंडर्ड में इसे बदलना संभव तो है, लेकिन यह बहुत ही खर्चीला है। साथ ही भारत सरकार के कानून के मुताबिक यह गैरकानूनी भी है। वहीं, यदि आपका BS6 इंजन है, तब भी आपको भारत के मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक पॉलुशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (Pollution Under Control Certificate) की जरूरत होगी। साथ ही BS6 कार में जो इंजन लगाए जा रहे हैं, वे BS4 की तुलना में अधिक साफ हैं। इससे कार की परफॉर्मेंस थोड़ी सी बेहतर हो जाएगी।
माइलेज पर एक नजर
माइलेज की बात की जाए तो दोनों कारों में इसमें मामूली अंतर देखने को मिलने वाला है। टेस्टिंग के दौरान यह पाया गया था कि BS6 इंजन वाले मारुति डिजायर का माइलेज 21.21 किलोमीटर प्रति लीटर था, जबकि BS4 वाले इंजन का 22 किलोमीटर प्रति लीटर।