Malaria Ke Lakshan: मलेरिया एक ऐसी बीमारी है। जो मादा एनोफिलीज नाम के एक मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर गंदे और दूषित पानी में पनपते हैं। यह मच्छर सामान्यता सूर्यास्त होने के बाद काटते हैं। वहीं डेंगू के मच्छर सूर्यास्त होने के पहले काटते हैं। आमतौर पर यह रोग अप्रैल के महीने से फैलना शुरू हो जाता है। हर साल जुलाई से लेकर नवंबर तक इस बीमारी का प्रकोप रहता है। इस दौरान लाखों लोग मलेरिया के चपेट में आते हैं।
क्या होता है मलेरिया होने का कारण [Malaria Ke Karan]
मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के कारण होता है। इस मच्छर के अंदर प्लाज्मोडियम नामक परजीवी पलता है। जोकि इसके काटने से फैलता है। जैसे ही यह मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है। वैसे ही यह परजीवी ब्लड सरकुलेशन के जरिए यकृत में पहुंच जाता है और अपनी संख्या बढ़ाने लगता है। ऐसे में यह परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालना शुरू कर देता है। आपको बता दें कि मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में ही पाए जाते हैं। यही कारण है कि यह मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति द्वारा ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए दूसरे व्यक्ति तक भी पहुंच जाते हैं। इसके अलावा एक ही सीरींज से दो व्यक्ति को इंजेक्शन देने से भी यह बीमारी फैल सकती है।
आमतौर पर हर व्यक्ति में मलेरिया के एक ही लक्षण दिखते हैं। जिस व्यक्ति को मलेरिया का इंफेक्शन होता है। उसमें एनीमिया के लक्षण नजर आने लगते हैं। इंसान को चक्कर आता है, सांस फूलने लगता है और घबराहट महसूस होती है। सर्दी बुखार और जुकाम की भी परेशानी होने लगती है। कई मामलों में बीमारी से जब बढ़ जाए तब मरीज बेहोश भी हो जाता है। डॉक्टर्स के मुताबिक मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है। इस बीमारी के दौरान बुखार काफी तेजी से बढ़ता है। शरीर का तापमान 101 से 105 डिग्री फॉरेनहाइट तक चला जाता है। मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति का लीवर भी बढ़ जाता है।
वैसे तो कई मामलों में मलेरिया के कुछ घरेलू उपाय भी कारगर होते हैं। लेकिन यह बीमारी जब बढ़ जाती है तब डॉक्टर से मिलना ही ज्यादा फायदेमंद होता है। इस दौरान डॉक्टर एंटीबायोटिक लेने की सलाह देते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी की बात यह है कि तमाम तरह की कोशिशों के बाद आज भी मलेरिया जैसी बीमारी को जड़ से खत्म करने का कारगर तरीका सामने नहीं आ पाया है। ऐसे में सबसे जरूरी है इससे बचाव करना।
मलेरिया से बचने के घरेलू उपाय [Malaria Ka Gharelu Ilaj]
तुलसी
भारतीय संस्कृति में तुलसी को कल्पवृक्ष की संज्ञा दी गई है। हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा भी होती है। इसके पीछे का कारण यह है कि यह कई सारी बीमारियों को खत्म करने में काफी कारगर है। मलेरिया की समस्या के दौरान तुलसी के 5 से 6 पत्ते और काली मिर्च के 7 से 8 दाने को पीसकर सुबह-शाम गर्म पानी में लेने से बुखार ठीक हो जाता है। इसे आप शहद के साथ भी ले सकते हैं। तुलसी का पौधा लगाने से मच्छर भी घर से दूर रहते हैं।
अदरक
भोजन को स्वादिष्ट बनाने में अदरक का अहम किरदार होता है। इसके अलावा अदरक मलेरिया जैसी बीमारी के उपचार में भी प्रयोग किया जा सकता है। अदरक का एक छोटा टुकड़ा लेकर उसे एक गिलास पानी में उबाल लें। इसके साथ दो से तीन चम्मच किशमिश भी डालें। पानी जब उबल कर आधा बच जाए। तब इसे ठंडा करके दिन में दो बार पिएं। इससे काफी आराम मिलता है। इसके अलावा अदरक हरसिंगार के पत्ते का रस के साथ मिश्री को पीसकर उसका सेवन करने से भी मलेरिया में काफी आराम मिलता है।
नीम
नीम का पेड़ कई तरह के वायरस को दूर रखने में कारगर है। मलेरिया जैसी बीमारी में भी नीम का पेड़ काफी मददगार साबित होता है। इसके लिए नीम के तने का छाल निकाल लें और इसका कढ़ा बनाकर। दिन में दो से तीन बार पिए। इससे काफी आराम मिलता है। इसके अलावा नीम के तेल में सरसों या नारियल का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करने से मलेरिया का बुखार उतर जाता है।
गिलोय
गिलोय का बेल एक ऐसा चमत्कारी बेल है। जिसमें कई प्रकार के गुण होते हैं। मलेरिया जैसी बीमारी से राहत पाने के लिए गिलोय के दो से चार पत्तों को पीसकर उसका काढ़ा बना लें। इसे ठंडा होने के बाद दिन में दो से तीन बार 40 से 70 मिलीलीटर की मात्रा में इसका सेवन नियमित रूप से करें। इससे काफी लाभ मिलता है। इसके अलावा गिलोय की बेल को कूच कर किसी मिट्टी के बर्तन में रख दें। अब इसमें दो ग्लास पानी डालकर रात भर के लिए छोड़ दें। सुबह-सुबह खाली पेट में इसे छानकर पिए। इससे मलेरिया के बैक्टीरिया मर जाते हैं और मरीज जल्द ही सामान्य स्थिति में लौट आता है।
अमरूद
मलेरिया की बीमारी के दौरान अमरूद का सेवन करना काफी लाभदायक होता है। हालांकि अगर मरीज को मलेरिया के दौरान खांसी, सर्दी या जुकाम की समस्या है। तो शाम के वक्त अमरूद खाने से परहेज करें। लेकिन दिन में या सुबह खाली पेट अमरूद का सेवन करना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। अमरूद के मुकाबले इसके छिलके में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है। इसीलिए कभी भी अमरूद के छिलके को उतारकर उसका सेवन ना करें। मलेरिया की बीमारी के दौरान शरीर में कमजोरी हो जाती है। इसीलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि इस दौरान ताजा फलों के जूस का सेवन करते रहें। इसके अलावा नींबू पानी भी समय-समय पर लेते रहने से शरीर में मिनरल्स की कमी नहीं होती है और डिहाईड्रेशन की समस्या से बचा जा सकता है।
मलेरिया की बीमारी इतनी खतरनाक है कि इससे बचने के लिए दुनिया भर में जागरूकता फैलाई जाती है। इसके लिए हर साल 25 अप्रैल को ‘वर्ल्ड मलेरिया डे’ मनाया जाता है। यूनिसेफ के द्वारा मनाए जाने वाले इस दिन का उद्देश्य बस इतना है कि लोगों का ध्यान मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के उपाय पर केंद्रित हो और लाखों लोगों की जान बच सकें।