Moringa ke Fayde: लंबी फलियों वाली एक सब्जी के पेड़ को सहजन का पेड़ कहते है। इसे भारत समेत दुनिया भर में उगाया जाता है। विज्ञान ने यह प्रमाणित किया है कि इस पेड़ का हर अंग स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता है। ज्यादातर भारतीय सहजन की फली को सब्जी व अन्य भोजन बनाने में उपयोग करते हैं। सहजन को अंग्रेजी में Moringa (मोरिंगा) या Drumstick (ड्रमस्टिक) कहते हैं।
सहजन के पेड़ [Moringa Tree in Hindi]
सहजन के पेड़ को किसी भी जगह बेहद आसानी से लगाया जा सकता है। इसे ज्यादा पानी की आवश्यकता भी नहीं होती और यह काफी तेजी से बढ़ता है। हम भारतीयों के लिए यह इसलिए भी ख़ास है क्योंकि यह मूलतः उत्तर भारत से ही दुनिया भर में फैला है। भोजन और उपचार के अलावा सहजन का प्रयोग पानी साफ़ करने और हाथ धुलने के लिए भी किया जाता है।
सहजन यानि मोरिंगा के फ़ायदे [Moringa ke Fayde]
- मोरिंगा की पत्तियाँ बेहद फायदेमंद होती है। इसकी पत्तियों में प्रोटीन, विटमिन A, विटमिन B6, विटमिन C, विटमिन E, मैगनीशियम, पोटैशियम, आयरन और जिंक जैसे महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं। सहजन की पत्तियों में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम के तत्व होते हैं। इसकी फलियों में विटमिन C होता है। सहजन में एंटीऑक्सीडेंट, बायोएक्टिव प्लांट कंपाउंड भी पाए जाते हैं।
- मोरिंगा की सूखी पत्तियों के 100 ग्राम पाउडर में दूध से 17 गुना अधिक कैल्शियम और पालक से 25 गुना अधिक आयरन होता है। इसमें गाजर से 10 गुना अधिक बीटा-कैरोटीन होता है, जो आँख, स्किन और रोगप्रतिरोधक तंत्र के लिए बहुत लाभदायक होता है। सहजन में केले से 3 गुना अधिक पोटैशियम और संतरे से 7 गुना अधिक विटामिन C होता है।
- मोरिंगा की पत्तियाँ प्रोटीन का भी बेहतरीन स्रोत होती हैं। एक कप ताजी पत्तियों में 2 ग्राम प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन किसी भी प्रकार के मांसाहारी स्रोतों से मिले प्रोटीन से कम नहीं होता क्योंकि इसमें सभी आवश्यक एमिनो एसिड्स पाए जाते हैं।
- मोरिंगा की फली और पत्तियों का सूप पीने या दाल में सहजन की पत्तियाँ मिलाकर बनाने से बदलते मौसम के असर से बचाव होता है। यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाकर ऐसे मौसम में होने वाले सर्दी-जुकाम होने से रोकता है। यहाँ तक कि एड्स के रोगियों को दी जाने वाली Anti-Retroviral therapy के साथ यह हर्बल सप्लीमेंट के रूप में दिया जाता है।
- मोरिंगा पेट की समस्याओं को भी दूर करता है। यह पेट साफ रखने का राम बाण इलाज़ है। इसमे फाइबर पाया जाता है जो कब्ज दूर करता है। मोरिंगा पेट के कीड़े व जीवाणुओं से भी मुक्ति दिलाता है। मोरिंगा की जड़ का पाउडर, पेट में पाए जाने वाले राउंड वर्म (Helminth worms) को जड़ से खत्म कर देता है।
- मोरिंगा वजन घटाने में भी बेहद सहायक है। इसमें डाईयूरेटिक गुण होते हैं जो कि शरीर की कोशिकाओं में मौजूद अनावश्यक जल को कम करता है। इसके एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण शरीर की सूजन कम करते हैं और इसमे मौजूद फाइबर शरीर में फैट अवशोषण कम करता है। इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करके यह अनावश्यक फैट को जमने से रोकता है।
- दूध पिलाने वाली माताओं के लिए मोरिंगा बहुत ही फायदेमंद है। मोरिंगा की पत्तियों को घी में गर्म करके प्रसूता स्त्री को दिए जाने का रिवाज पुराने जमाने से चला आ रहा है। इससे दूध की कमी नहीं होती और जन्म के बाद की कमजोरियों जैसे थकान आदि का भी निवारण होता है। बच्चे का स्वास्थ्य सही रहता है और वजन भी बढ़ता है। मोरिंगा में पाया जाने वाला कैल्शियम किसी भी कैल्शियम सप्लीमेंट से कई गुना अच्छा होता है और इससे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता। गर्भवती स्त्रियों को मोरिंगा की छाल और जड़ से बने पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- मोरिंगा ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल और कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी संतुलित करता है। कोलेस्ट्रॉल कम करने की वजह से यह ह्रदय के लिए भी बहुत अच्छा है।
- मोरिंगा हृदय रोग, मेटाबोलिक डिसऑर्डर जैसे डायबिटीज, इन्सुलिन रेजिस्टेंस आदि की वजह से होने वाली जलन और सूजन से भी राहत दिलाता है। मोरिंगा की पत्तियों के अलावा इसकी फली, फूल, बीज में भी यह गुण पाए जाते हैं। मोरिंगा की सब्जी खाने से भी यह लाभ उठाये जा सकते है।
- मोरिंगा कैंसर प्रतिरोधी भी है। इसके Kaempferol, Quercetin, Rhamnetin जैसे एंटी ऑक्सीडेंट तत्व एंटी-कैंसर होते हैं। ये स्किन, लीवर, फेफड़े और गर्भाशय के कैंसर से सुरक्षा करते हैं।
- मोरिंगा के एंटी ऑक्सीडेंट तत्वशरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करते हैं। इसमें मौजूद न्यूट्रीशन हमारे शरीर में एनर्जी की कमी को पूरा करता है और जल्दी थकान नहीं होने देता। इसमें पाए जाने वाले बेहतरीन एमिनो एसिड्स नए टिशूज बनाते हैं जो शरीर के विकास में मदद करते हैं।
- किडनी स्टोन समस्या में भी मोरिंगा बेहद कारगर है। यह किडनी में जमे अनावश्यक कैल्शियम को शरीर से बाहर निकालता है और स्टोन नहीं बनने देता। यह किडनी स्टोन से होने वाले दर्द और जलन को भी कम करता है।
- थायरोयड के मरीज को मोरिंगा जरूर खाना चाहिए। जिनकी थायरोयड ग्लैंड अधिक सक्रिय होती है, मोरिंगा खाने से उनका बढ़ा हुआ थायरोयड कम होने लगता है।
- मोरिंगा एक बढ़िया हेयर टॉनिक है। इसमें मौजूद जिंक, विटामिन और एमिनो एसिड्स मिलकर कैराटिन बनाते हैं, जो बालों की ग्रोथ के लिए बेहद आवश्यक है। मोरिंगा की फली में मिलने वाले बीज में एक खास किस्म का तेल होता है, जिसे बैन ऑइल (Ben oil) कहते हैं। यह तेल बालों को लंबा और घना करता है और डैंड्रफ व बाल झड़ने की समस्या से निजात दिलाता है। मोरिंगा का तेल (Ben Oil) उड़ता नहीं है, इसलिए घड़ियों में प्रयोग किया जाता है। यह आयल कभी खराब नहीं होता। इस तेल में कोई खुशबू नहीं होती इसलिए इसे इत्र, परफ्यूम बनाने में उपयोग किया जाता है।
- मोरिंगा का तेल सोरायसिस, एक्जिमा रोग में लगाने से भी बहुत फायदा होता है। इस तेल के क्लिनजिंग और एंटीसैप्टिक गुण एक्ने और ब्लैकहैड्स को भी खत्म कर देते हैं। मोरिंगा के तेल मे मौजूद विटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट तत्व चेहरे की झुर्रियाँ और महीन लकीरें दूर करते हैं।
- मोरिंगा के फूलों की चाय न्यूट्रीशंस से भरपूर होती है। यह चाय यूरिन इन्फैक्शन और सर्दी-जुकाम में राहत देती है। मोरिंगा के फूल सलाद के रूप में भी खाए जाते हैं। मोरिंगा अनिंद्रा, अस्थमा, हाइपरटेंशन, Rheumatoid, आर्थराइटिस, एनीमिया, आंत का अल्सर भी ठीक करता है और घाव भी जल्दी भरता है। डिप्रेशन, बेचैनी, थकान, भूलने की बीमारी मे भी यह बेहद लाभदायक है।
- मोरिंगा स्वास्थ्य लाभ के अतिरिक्त पानी साफ़ करने में भी कारगर है, जिसका सदियों से प्रयोग होता आ रहा है। इसके बीजों को कूटकर पानी में मिलाने से हानिकारक शैवाल और प्रदूषक तत्व अलग हो जाते हैं। मोरिंगा जानवरों के लिए एक बढ़िया चारा भी है, इसको खाने से दूध देने वाले जानवर अधिक दूध देते हैं और मांस के लिए पाए जाने वाले मवेशी खूब स्वस्थ रहते हैं।
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