Pitta Dosha in Hindi: वह तत्व जो हमारे शरीर को गर्मी देता है उसे ही हम पित्त कहते हैं। पित्त के महत्त्व को आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि जब तक हमारा शरीर गर्म है तब तक जीवन है और जब शरीर की गर्मी समाप्त हो जाती है अर्थात शरीर ठंडा हो जाता है तो उसे मृत घोषित कर दिया जाता है। पित्त शरीर का पोषण करता है, यह शरीर को बल देने वाला है। लारग्रंथि, अमाशय, अग्नाशय, लीवर व छोटी आंत से निकलने वाला रस भोजन को पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयुर्वेद के अनुसार पित्त दोष शरीर की चयापचय अभिक्रियाओं को नियंत्रित करता है।
हालांकि, आपको यह भी जान लेना चाहिए कि जब पित्त बढ़ जाता है, तो व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे स्किन रैश, हार्टबर्न, डायरिया, एसिडिटी, बालों का समय से पहले सफ़ेद होना या बाल पतले होना, नींद न आना, चिड़चिड़ापन, पसीना आना और क्रोध आदि। तो चलिए आज हम जानते हैं पित्त दोष बढ़ने से क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं।
अक्सर ऐसा देखा गया है कि सर्दियों के मौसम में और युवावस्था के दौरान पित्त के बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है। अगर आप पित्त प्रकृति के हैं तो ऐसे में आपके लिए यह जानना बेहद ही आवश्यक हो जाता है कि आखिर किन कारणों से पित्त बढ़ रहा है।
पित्त बढ़ने के कारण(Pitt ka Ilaj Kaise Kare)
- चटपटे, नमकीन, मसालेदार और तीखे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करना
- अक्सर ही मानसिक तनाव और गुस्से में रहना
- अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना
- असमय खाना खाना या बिना भूख के ही भोजन करना
- अत्यधिक सम्भोग करना
- तिल का तेल, सरसों, दही, छाछ, खट्टा सिरका आदि का अधिक मात्रा में सेवन करना
- मछली, भेड़ व बकरी के मांस का अधिक सेवन करना
ये कुछ ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से पित्त बढ़ता है, जो कि हमारे शरीर के लिए काफी ज्यादा नुकसानदायक माना जाता है।
पित्त दोष का इलाज(Pitt ka Gharelu Ilaj in Hindi)
पित्त का मुख्य कार्य विभिन्न चयापचय की प्रक्रिया को नियंत्रित और शरीर में हार्मोन को नियमित करना है। पित्त हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं में मौजूद है लेकिन इसकी क्रिया और मात्रा अलग-अलग स्थानों और अंगों के अनुसार अलग-अलग होती है। पित्त दोष के असंतुलित होते ही पाचक अग्नि कमजोर पड़ने लगती है और खाया हुआ भोजन ठीक से पच नहीं पाता है। पित्त दोष के कारण उत्साह में कमी होने लगती है साथ ही ह्रदय और फेफड़ों में कफ इकठ्ठा होने लगता है। ऐसी स्थिति में यहां पर बताये गए कुछ उपाय और कुछ जड़ी बूटियों व औषधियों का सेवन करें जिसमे अग्नि तत्व अधिक हो, इससे पित्त दोष को संतुलित किया जा सकता है।
इलायची
इलायची पित्त दोष से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए ठंडे मसाले की तरह कार्य करती है, क्योंकि यह लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाती है तथा प्रोटीन के चयापचय में सहायक होती है।
त्रिफला
त्रिफला शरीर में सभी प्रकार के दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। त्रिफला आंवला, हरड़ और बहेड़ा नामक तीन फलों के मिश्रण से बना चूर्ण है। आंवला प्राकृतिक एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह काम करके प्रतिरक्षा प्रणाली को पोषण प्रदान करता है। हरड़ में लेक्सेटिव गुण पाए जाते हैं और बहेड़ा तरोताजा करने वाली जड़ी-बूटी है, जो विशेष रूप से श्वसन तंत्र के अच्छी तरह कार्य करने में सहायक होती है। आंत से जुड़ी समस्याओं में भी त्रिफला खाने से काफी राहत मिलती है। त्रिफला के सेवन से आंतों से पित्त रस निकलता है, जो पेट को उत्तेजित करता है और अपच की समस्या को दूर करता है।
केसर
केसर की विशिष्टता यह है कि यह ठंडक पहुंचाता है जबकि अन्य रक्त वाहक गर्मी उत्पन्न करते हैं। ऐसे व्यक्ति जो बढ़े हुए पित्त दोष के कारण ऑर्थराइटिस, हेपिटाईटिस और मुंहासों की समस्या से परेशान हैं उनके लिए केसर बहुत लाभकारी होता है। खोजों से पता चला है कि इस हर्ब में एंटी-ऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं तथा इसमें सूजन और कैंसर से रक्षा करने का गुण भी पाया जाता है। इन औषधियों का सेवन करने के अलावा इस समस्या से निपटने के लिए आपको प्रातःकाल में कुछ योग क्रिया, सूर्य नमस्कार, टहलना, आदि जैसी आदतों को अपनाने से काफी लाभ मिलता है।
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