Types of Yoga in Hindi : योग….यानि वो क्रिया जो आपको बाहर से ही नहीं बल्कि अंदर से भी स्वस्थ बनाती है। सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक विकारों को भी रखती है आपसे दूर। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई, जिसका अर्थ होता है जुड़ना। यानि योग का कार्य खुद को खुद से जो़ड़ना ही है। जब आप से खुद से जुड़ेंगे तो खुद को महसूस भी करेंगे। और महसूस करना सबसे जरूरी होता है। उसी से आप अपने भीतर छुपी नकारात्मकता को पहचान कर उसे दूर कर पाते हैं। योग जीवन को सही तरीके से जीने का सलीका सिखाता है। गीता में भी श्रीकृष्ण ने कहा है- योग: कर्मसु कौशलम यानि कि योग से कर्मों में कुशलता आती है। योग की इसी महत्ता को देखते हुए ही पूरे विश्व में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
तो चलिए आज हम भी आपको विभिन्न योगासनों की जानकारी दे रहे हैं साथ ही बता रहे हैं उनसे होने वाले अनेकों फायदे।
1. शीर्षासन
चूंकि ये आसन सिर के बल खड़ा होकर किया जाता है इसीलिए इसे शीर्षासन कहते हैं। इस आसन को करने से पाचनतंत्र तो ठीक रहता ही है साथ ही मस्तिष्क में रक्त संचार भी बढ़ता है। जिससे व्यक्ति की स्मरण शक्ति भी सही रहती है।
2. सूर्य नमस्कार
अगर आप अपने शरीर को निरोगी और स्वस्थ बनाए रखना चाहते हैं तो सूर्य नमस्कार से बेहतर और कुछ नहीं होता। सूर्य नमस्कार पहले दाएं पैर से किया जाता है और फिर बाएं पैर से। लेकिन अगर आप रोज़ाना सूर्य नमस्कार करेंगे तो कुछ ही दिनों में आप इसके फायदे खुद ही जान लेंगे।
3.कटिचक्रासन
कटि का अर्थ होता है कमर लिहाज़ा कटिचक्रासन का मतलब हुआ कमर का चक्रासन। यह आसन खड़े होकर किया जाता है और इसको करने से इससे कमर, पेट, कूल्हे को स्वस्थ रखा जाता है। खासतौर से ये आसन करन से कमर की चर्बी कम होती है।
4.पादहस्तासन
इस आसन में अपने दोनों हाथों से अपने पैर के अंगूठे को पकड़ने के साथ-साथ पैर के टखना भी पकड़ा जाता है। हाथों से पैरों को पकड़कर किए जाने के कारण ही यह आसन पादहस्तासन कहलाता है।
5.ताड़ासन
चूंकि इस आसन में शरीर की स्थिति ताड़ के पेड़ के समान रहती है, इसीलिए इसे ताड़ासन कहा जाता है। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। और अगर आप ये आसन रोज़ाना करते हैं तो इससे आपके पैरों में मजबूती आती है।
6. विपरीत नौकासन
ये आसन पीठ के बल लेटकर किया जाता है। और चूंकि इसमें शरीर का आकार नौका के समान प्रतीत होती है। इसलिए इसे नौकासन कहते हैं। इससे मेरुदंड को शक्ति मिलती है तो साथ ही ये शरीर की दुर्बलता को भी दूर करता है और आप मोटापे का शिकार नहीं होते।
7. हलासन
इस आसन में शरीर का आकार हल जैसा बनता है, इसीलिए इसे हलासन कहते हैं। इस आसन को पीठ के बल लेटकर किया जाता है। इससे शरीर में Flexibility यानि लचीलापन आता है।
8. सर्वांगासन
ये आसन भी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस आसन में सभी अंगो का व्यायाम हो जाता है। इसी कारण इसे सर्वांगासन कहते हैं। इस आसन को भी पीठ के बल लेटकर किया जाता है। जिससे दमा, मोटापा, दुर्बलता और थकान जैसे विकार दूर हो जाते हैं।
9. शवासन
शवासन आपके मस्तिष्क को शांत रखने के लिए सबसे उत्तम आसन है। इसमें शरीर को मुर्दे समान बना लिया जाता है समझो आपमें प्राण ही ना हो। इसीलिए इस आसन को शवासन कहा जाता है। यह पीठ के बल लेटकर किया जाता है और इससे आपको मानसिक शांति मिलती है।
10. मयूरासन
इस आसन को जब आप करते हैं तो आपके शरीर की आकृति मोर की तरह नज़र आती है। यहीं कारण है कि इसे मयूरासन कहा जाता है। इस आसन को बैठकर किया जाता है। और इससे वक्षस्थल, फेफड़े, पसलियाँ और प्लीहा को काफी फायदा पहुंचता है।
11. पश्चिमोत्तनासन
इस आसन को पीठ के बल किया जाता है और चूंकि इससे पीठ में खिंचाव होता है, इसीलिए इससे उदर, छाती और मेरुदंड की कसरत होती है। अगर आपको पीठ में दर्द की शिकायत रहती है तो आपके लिए पश्चिमोत्तनासन सबसे बेहतर है।
12. वक्रासन
ये आसन बैठकर किया जाता है। और अगर आपका मेरूदंड झुका हुआ है तो आप इस आसन की मदद से उसे सीधी पॉजीशन में ला सकते हैं। साथ ही इस आसन के अभ्यास से लीवर, किडनी भी स्वस्थ बने रहते हैं।
13. मत्स्यासन
इस आसन में शरीर का आकार मछली जैसा बनता है, इसलिए यह मत्स्यासन कहलाता है। यह आसन से आंखों की रोशनी बढ़ती है और गला साफ रखता है।
14. सुप्त-वज्रासन
यह आसन वज्रासन की स्थिति में सोए हुए किया जाता है। हालांकि वज्रासन बैठकर किया जाता है लेकिन इस आसन में पीठ के बल लेटना पड़ता है, इसिलिए इसे सुप्त-वज्रासन कहते है। इससेघुटने, वक्षस्थल और मेरुदंड को आराम पहुंचता है।
15. वज्रासन
सुप्त वज्रासन से बिल्कुल अलग ये बैठकर किया जाता है जिससे शरीर में रक्त संचार बढ़ता है। ये आसन पाचन क्रिया के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। लिहाज़ा खाना खाने के बाद इस आसन में कुछ देर ज़रूर बैठना चाहिए।
16. पद्मासन
पद्मासन को भी बेहद फायदेमंद माना जाता है। इस आसन से रक्त संचार तो बढ़ता ही है साथ ही खून में शुद्धता भी बनी रहती है। यह तनाव को दूर करता है और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
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