कहते हैं कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। यदि कोई व्यक्ति अपने दिल से, अपने दिमाग से जवां है तो शरीर का बुढ़ापा उसे बूढ़ा नहीं बना सकता। उसका दिल, उसका दिमाग हमेशा उसे कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता रहता है। कुछ नया करने की ऊर्जा प्रदान करता रहता है। भागीरथी अम्मा जो कि पिछले वर्ष 105 वर्ष की उम्र में चौथी की परीक्षा देने के कारण सुर्खियों में आ गई थीं, एक बार फिर से वे सुर्खियां बटोर रही हैं। इसकी वजह यह है कि इस परीक्षा का परिणाम प्रकाशित कर दिया गया है। इस परीक्षा में आपको बता दें कि भागीरथी अम्मा फिर से छा गई हैं। उन्होंने 74.5 प्रतिशत अंक इस परीक्षा में प्राप्त करके न केवल प्रथम श्रेणी से, बल्कि बहुत ही अच्छे अंकों के साथ इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया है।
गणित में मिले पूरे अंक
केरल के कोल्लम जिले में त्रिक्कारुवा नाम की पंचायत है, जहां की भागीरथी अम्मा रहने वाली हैं। उन्होंने चार पेपर की परीक्षा दी थी, जिनमें मलयालम, अंग्रेजी, हमारे आसपास की दुनिया एवं गणित शामिल थे। इस परीक्षा में भागीरथी अम्मा ने जहां गणित में पूरे अंक हासिल किए हैं और अपने आप को उन्होंने जीनियस साबित करके दिखाया है, वहीं उन्होंने मलयालम विषय में 75 में से 50 अंक प्राप्त किए हैं। यही नहीं उन्होंने हमारे आसपास की दुनिया में भी इतने ही अंक पाए हैं। इसके अलावा अंग्रेजी की परीक्षा जो कि 50 अंकों की थी, उसमें भी उन्होंने 30 अंक लाकर दिखाए हैं।
भाई की जिम्मेवारी आई कंधे पर
बताया जाता है कि भागीरथी अम्मा की मां की मौत के बाद अपने छोटे भाई की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर आ गई थी। यही वजह थी कि उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। फिर भी उन्होंने अपने हौंसले को कभी कम नहीं होने दिया। उम्र भले ही उनकी बढ़ती गई, लेकिन उनकी पढ़ने की चाहत कभी कम नहीं हुई। ज्ञान की खोज में वे आगे बढ़ना चाहती थीं। ऐसे में उन्होंने आगे पढ़ाई करने की ठान ली। 105 वर्ष की उम्र में उन्होंने पिछले साल नवंबर में चौथी की परीक्षा दी। अब अम्मा ने इस परीक्षा में 74.5 फीसदी अंक लाकर सभी को हैरान कर दिया है। ऐसे में हर कोई उनकी तारीफ करते थकता नहीं नजर आ रहा है।
इन चीजों का है शौक
भागीरथी अम्मा को इस परीक्षा में पास होने पर खुद केरल की साक्षरता मिशन की निदेशक पीएस श्रीकला ने बधाई दी है। भागीरथी अम्मा को गाना गाने का, गाना सुनने का और कविताएं लिखने का बहुत ही शौक रहा है। उन्हें कविताएं पढ़ना भी बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि वे दसवीं की भी परीक्षा जरूर देंगी और पास भी करेंगी।
इतने हुए सफल
गौरतलब है कि चौथी की परीक्षा 11 हजार 593 स्टूडेंट्स ने दी थी। इनमें से सफलता 10 हजार 12 स्टूडेंट्स को मिली। इस तरह से करीब 86 प्रतिशत स्टूडेंट्स इस परीक्षा में पास हुए। परीक्षा में 9 हजार 454 छात्राएं भी पास हुई हैं। केरल के पथानामथिट्टा जिले को यहां सबसे पहला स्थान मिला है, क्योंकि उसका सफलता प्रतिशत 100 फ़ीसदी रहा है। यहां से 385 स्टूडेंट्स ने परीक्षा दी थी और ये सभी इस परीक्षा में पास हुए हो गए।
ललक होनी चाहिए
वैसे, भागीरथी अम्मा से पहले 96 साल की हरिपड्ड की कत्र्यायनी नाम की एक महिला ने भी अपनी पढ़ाई के जुनून को साबित किया था। उन्होंने भी परीक्षा में 100 में से 98 अंक प्राप्त किए थे। उस दौरान ऐसा करने वाली वह पहली महिला भी बन गई थीं। इस तरह से भागीरथी अम्मा जैसे महिलाओं ने यह साबित करके दिखाया है कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई अधिकतम उम्र नहीं होती। आप जिंदगीभर सीखते जाते हैं। बस आपके अंदर चीजों को सीखने की ललक होनी चाहिए।