Malvika Iyer Motivational Speaker: जिंदगी में परिस्थितियां कभी अनुकूल होती हैं तो कभी प्रतिकूल। प्रतिकूल परिस्थितियां इम्तिहान लेती हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों को भी जीवन में पार किया जा सकता है बशर्ते कि इरादे बुलंद हों। तमिलनाडु की रहने वाली मालविका अय्यर इसका जीता-जागता उदाहरण हैं, जिनके दोनों हाथ ग्रेनेड विस्फोट में उड़ गए, मगर इसके बावजूद अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने आज मोटिवेशनल स्पीकर (Malvika Iyer Motivational Speaker) के तौर पर दुनियाभर में अपनी पहचान बना ली है।
मालविका का जन्म तमिलनाडु के तंजौर जिले में हुआ था। मालविका के पिता इंजीनियर के तौर पर राजस्थान के बीकानेर में काम कर रहे थे। इसलिए मालविका का परिवार बीकानेर चला गया था। मालविका का जब 13 साल की थीं, तभी एक ग्रेनेड विस्फोट में उनकी दोनों हथेलियां उड़ गई थीं।
जिंदगी की पहली जीत (Malvika Iyer Motivational Speaker)
ठीक होने के बाद मालविका ने अपने आपको संभाला और अपने इरादों को बुलंद करते हुए क्रैश कोर्स में अपना पंजीकरण करवा लिया। उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। एक राइटर की मदद ली और बोर्ड एग्जाम भी दे दिया। रिजल्ट मालविका का बहुत ही बेहतरीन रहा। उन्होंने राज्य में अच्छा बैंक भी हासिल कर लिया। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम उनसे इतने प्रभावित हुए कि राष्ट्रपति भवन में भी उन्होंने मालविका को आमंत्रित किया। मालविका के मुताबिक उनकी जिंदगी की यह पहली जीत थी।
मालविका ने सोच लिया था कि पीछे मुड़ कर तो अब देखना ही नहीं है। इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद सोशल वर्क में उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। मालविका ने फिर दिव्यांगों पर पीएचडी भी कर ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर की मोटिवेशनल स्पीकर (Malvika Iyer Motivational Speaker) के रूप में आज मालविका काम कर रही हैं। दिव्यांगों के हक के लिए भी मालविका हमेशा आवाज उठाती रहती हैं।
पीएम मोदी ने सौंपा ट्विटर हैंडल
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अपने ट्विटर हैंडल को जिन सात महिलाओं को सौंपा गया था, मालविका अय्यर भी उनमें से एक थीं। मालविका वर्कशॉप का आयोजन करती हैं और प्रेरक बातें लोगों को बताती हैं। इनके जरिए दिव्यांगजनों के प्रति लोगों को वे जागरूक बनाने का काम कर रही हैं। लोगों के दिव्यांगजनों के प्रति नजरिए को बदलकर मालविका की यह कोशिश है कि समाज में आमजनों की तरह ही दिव्यांगों को भी अपना लिया जाए।
संयुक्त राष्ट्र में आमंत्रित
संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में दिव्यांगजनों के अधिकारों पर बात करने के लिए मालविका अय्यर को आमंत्रित किया जा चुका है। यही नहीं, वर्ल्ड इकोनॉमिक्स फोरम में इंडिया इकोनॉमिक समिट के दौरान भी उन्होंने संबोधित किया था। दुनियाभर में अब तक 300 से भी ज्यादा प्रेरक भाषण मालविका अय्यर दे चुकी हैं।
ये सपने टूट गए
अपनी हथेलियों को गंवाने की वजह से मालविका को अपने कई सपनों की कुर्बानी भी देनी पड़ी है। मालविका एक अच्छी कत्थक नृत्यांगना भी थीं, लेकिन अब वे ठीक से नृत्य नहीं कर पाती हैं। सपना उनका फैशन डिजाइनर बनने का भी था, मगर वह पूरा हो नहीं पाया। मालविका कहती हैं कि एक वक्त ऐसा था, जब इन चीजों के बारे में सोच कर मन व्यथित हो जाता था। फिर मैंने खुद को समझा लिया। अब दिव्यांगजनों के प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए मैं प्रयासरत हूं।
मालविका ने बताया कि कॉलेज के शुरुआती दिन मेरे लिए बड़े संघर्षपूर्ण रहे थे। मेरे भविष्य को लेकर हर कोई चिंता प्रकट करता था। मैं अपने हाथों को ढकी रखती थी। किसी से मैं उस हादसे की चर्चा नहीं करती थी। बकौल मालविका हर परिस्थिति में मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया। मेरे परिवार से ही मुझे मजबूती मिली।
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ग्रेनेड विस्फोट में अपनी दोनों हथेलियां गवां चुकीं मालविका अय्यर, जो कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर की मोटिवेशनल स्पीकर हैं, उनका जीवन उन सभी के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है, जो जिंदगी में प्रतिकूल हालात के शिकार हो गए हैं।