Bhagwan Ko Lagaye Bhog Ko Kitni Der Baad Khaye: लगभग सभी हिन्दू धर्म के घरों में किसी न किसी देवी देवता को पूजा जाता है और उनकी सेवा सच्चे मन और श्रद्धा के साथ की जाती है। सभी लोग पूजा की विधी और समय का ध्यान रखते हैं और सभी काम उसी के अनुसार करना पसंद करते हैं। अपने ईष्ट को खुश रखने के लिए सभी भक्त तरह-तरह के प्रसाद चढ़ाते हैं और प्रार्थना करते हैं कि, उनकी सभी मनोकामनाएं जल्द से जल्द पूर्ण हों और वो जल्द से जल्द सफल हो जाएं। भक्त-जन भगवान को जो भोग लगाते हैं उसको लेकर उनके मन में एक सवाल हमेशा रहता है कि अब हम इस प्रसाद का सेवन करें की न करें? आज के इस स्पेशल लेख में हम आपके इसी सवाल को सुलझाने के लिए आए हैं और हम आपके सभी सवालों का जवाब विस्तार से बताएंगे।
इस विधि से लगाएं अपने ईष्ट को भोग
- आपके घर में जो भी देवी देवता उपस्थित हैं और इसके साथ ही जिनके प्रति आप आस्था रखते हैं उन सबकी पूजा के बाद उन्हें भोग अवश्य लगाएं, भोग लगाते समय शास्त्रों में वर्णित चीजों को मानना जरूरी है अन्यथा आपके भोग लगाने का कोई भी पुण्य लाभ आपको नहीं मिलेगा। अगर आप सभी नियमों का पालन नहीं करते हैं तो भगवान आपके भोग को स्वीकार नहीं करते हैं।
- जब भी भगवान के भोग को लगाएं तो उन बर्तनों को अन्य बर्तनों से दूर रखें और इसके साथ ही उन्हें कभी भी उन बर्तनों में भोग न लगाएं जिनमें आप भोजन ग्रहण करते हैं नहीं तो आपको कोई भी पुण्य लाभ नहीं मिलेगा और आपका भोग भी अशुद्ध माना जाएगा।
- जब भगवान को भोग लगाएं तो मंदिर को पर्दे की सहायता से ढँक देना चाहिए ताकि भगवान को भोजन के दौरान किसी भी प्रकार का विघ्न न महसूस हो और वो एकांत में अपना भोग ग्रहण करें।
- भगवान के भोग को लगाते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि, भोग को सीधे ही जमीन पर न रखें बल्कि उसे आसन पर रखें, भगवान को भोग चढ़ाते वक्त किसी आसन या फिर चौकी का इस्तेमाल जरूर करें अन्यथा भगवान आपके भोग को ग्रहण नहीं करेंगे।
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भगवान के भोग को कितनी देर के बाद खाना चाहिए(Bhagwan Ko Lagaye Bhog Ko Kitni Der Baad Khaye)
भगवान को भोग लगाने के बाद उन्हें 15 से 30 मिनट के बीच एकांत में छोड़ देना चाहिए ताकि वो बिना किसी व्यवधान के भोग को ग्रहण कर सकें। जिस प्रकार से हम अपने भोजन को आराम से खाते हैं उसी प्रकार से भगवान भी आपके द्वारा चढ़ाए गए भोग को ग्रहण करते हैं।
15 से 20 मिनट के बाद उस भोग को उतार लीजिए और सीधे उसको प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लीजिए, भोग को नीचे उतारने के बाद ज्यादा देर तक उसे खुला नहीं छोड़ना चाहिए।