Nag Panchami: सावन के महीने में भगवान शिव की अराधना का विशेष महत्व है। सावन के मौसम में नाग पंचमी का त्यौहार भी पड़ता है। आपको बता दें कि भले ही सांप ज़हरीले क्यों न हों लेकिन हिंदू धर्म में इन साँपों का पूजन किया जाता है। हिंदू धर्म में साँपों का उतना ही महत्व है जितना भगवान शिव का। ये तो सभी जानते होंगे की भगवान शिव अपने गले में साँप धारण करे रहते हैं।
बता दें कि भगवान शिव के गले में स्थान पाने वाले नागों की हिंदू धर्म में पूजा की जाती है। इसलिए नाग पंचमी पर नागों की पूजा करके उनको दूध पिलाया जाता है। यह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। स्कंद पुरान की मानें तो इस दिन नागों की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन नाग देवता के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है।
क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी (Nag Panchami)?
नागपंचमी मनाने के पीछे कोई एक कारण नहीं हैं। इसे मनाने के पीछे कई प्रचलित कहानियां हैं। एक मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उसे भगवान शिव ने पी लिया । तभी से उनके मुख से विष की कुछ बूंदें नीचे गिरी और नाग के मुख में समा गईं। इसके बाद सर्प जाति विषैली हो गई। सर्पदंश से बचाने के लिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है।
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कैसे करें नागों की पूजा
- नाग पंचमी के दिन आप जरवाजे के दोनों तरफ गोबर से नाग की आकृति बना लें। अब धूप और फूल लेकर इस आकृति की पूजा करें।
- इस आकृति की पूजा करते वक्त आप इंद्राणी देवी की पूजा करें।
- इनको दही, दूध, जल, पुष्प, नेवैद्य आदि चीज़ों से उनकी पूजा करें।
- अगर आप इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएँगे और बाद में स्वयं भोजन करेंगे तो आपको अत्यंत लाभ मिलेगा।
- इस दिन रसोई में भोजन बनाने से पहले कुछ मीठी चीज़ पहले बनाएं।
- इ दिन द्रव्य दान करने वाले लोगों पर कुबेर दी की दृष्टि बनी रहती है।
-ऐसा माना जाता है कि अगर किसी जातक के घर में किसी की मत्यू साँप के डसने से हुई है तो इसे बारह महीने तक यानी एक साल तक पंचमी का व्रत करना चाहिए। - इस व्रत को करने से जातक के खानदान या कुल में साँपो का कोप नहीं रहता है।