भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानि 6 सितंबर से हर मनोकामना को पूरा करने वाले 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat) का आरंभ होगा। माना जाता है कि महालक्ष्मी के ये 16 दिनों के व्रत जीवन में खुशहाली, समृद्धि व सुख शांति लाते हैं। महालक्ष्मी के ये जीवन से दरिद्रता का नाश करते हैं, भक्तों का घर धन-दौलत और वैभव लाते हैं। यानि इस व्रत को करने से आपके घर में मां लक्ष्मी सदा के लिए विराजती हैं। इस व्रत में मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा की जाती है। उनके निमित्त व्रत किया जाता है। मंत्र जाप होता है और फिर होती हैं मां लक्ष्मी प्रसन्न। आज हम आपको महालक्ष्मी व्रत की पूरी जानकारी देंगे। ये व्रत कब से कब तक है, इस व्रत की पूजा विधि क्या है और वो कौन सा मंत्र है जिसका इन 16 दिनों तक जप करने से आप पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहेगी। ये हम आपको बता रहे हैं।
कब से कब तक हैं महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat 2019 Date)
16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर अश्विनी कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक चलते हैं। जो इस बार 6 सितंबर से शुरू होकर 22 सितंबर तक चलेंगे। आइए अब आपको इस व्रत की पूरी पूजा विधि बताते हैं।
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि (16 Days Mahalakshmi Vrat 2019 Puja Vidhi)
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आज आपको नहा धोकर तय जगह पर साफ सफाई के बाद निर्धारित मुहूर्त में कलश स्थापना करनी है।
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कलश पर लाल कपड़े में लपेटकर एक कच्चा नारियल रख दें।
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एक लकड़ी की चौकी लें और उस पर सफेद रेशमी कपड़ा बिछाकर, महालक्ष्मी की तस्वीर स्थापित करें। लेकिन ध्यान रखें कि अगर तस्वीर की जगह आप कोई मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो पाटे पर सफेद की बजाय लाल वस्त्र बिछाएं।
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अब मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं। चाहे तो 16 दिनों तक अखंड जोत जला सकते हैं लेकिन अगर संभव ना हो तो सुबह-शाम देवी मां के आगे घी का दीपक जलाएं।
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रोज़ाना मेवे व मिठाई का भोग भी देवी महालक्ष्मी को लगाना चाहिए।
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घर में जितने सदस्य हैं, उतने लाल रेशमी धागे या कलावे के टुकड़े लेकर उसमें 16 गांठे लगानी है और उसके बाद सभी सदस्यों को वो धागा अपने दाहिने हाथ की कलाई पर बांध लेना चाहिए।
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जब पूजा संपन्न हो जाए तो ये धागा खोलकर वापस लक्ष्मी जी के चरणों में आपको रख देना है।
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त (Mahalakshmi Vrat Shubh Muhurt)
वहीं अगर शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना हो तो शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं। 6 सितंबर की शाम 05 बजकर 25 मिनट तक विष्कुम्भ योग है लिहाज़ा इस दिन सुबह के समय कलश स्थापना नहीं की जा सकती है। इस दिन कलश स्थापना के लिए शाम तक का इंतज़ार करना होगा।
शाम 05ः25 बजे से 06ः37 बजे तक
रात 09ः28 बजे से 10ः53 बजे तक
रात 12ः19 बजे से 01ः44 बजे तक का मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ है। आप इस समय कलश स्थापना कर सकते हैं।
महालक्ष्मी जी का मनोकामना पूर्ति मंत्र
वहीं अगर आप मां लक्ष्मी की विशेष कृपा चाहते हैं तो महालक्ष्मी व्रत के 16 दिनों के दौरान आप देवी लक्ष्मी के विशेष मंत्र का जप आपको करना चाहिए। ये मंत्र है –
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”