Makar Sankranti: हिन्दू धर्म शास्त्रों में मकर संक्रांति के त्योहार का बहुत बड़ा महत्व है। मकर संक्रांति का त्योहार सूर्य देव को समर्पित होता है। मकर सर्दियों के मौसम में आता है, और मकर सक्रांति के बाद बड़े दिनों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन लोग सूर्य देव को अर्घ्य देकर उनसे प्रार्थना करते हैं। मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य करने से उसका सौ गुना फल प्राप्त होता है।
मकर सक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। (Makar Sankranti)
मकर सक्रांति के दिन भगवान सूर्यदेव धनु राशि छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन तिल का दान या तिल से बनी सामग्री का दान करने से कष्टों से छुटकारा मिलता है।
भारत में यह त्यौहार विभिन्न नामों से जाना जाता है। तमिलनाडु और केरल में पोंगल, कर्नाटक में संक्रांति, पंजाब और हरियाणा में माघी, गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण एवं उत्तराखंड मे उत्तरायणी के नाम से यह त्योहार जाना जाता है।
राजस्थान और गुजरात
मकर संक्रांति के अवसर पर राजस्थान और गुजरात में पतंग उड़ाने की पुरानी पंरपरा है। गुजरात में यह त्यौहार पतंग महोत्सव के नाम से बड़े उल्लास से मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश
मकर संक्रांति का त्योहार उत्तर प्रदेश में घरों में खिचड़ी बनाकर मनाया जाता है। इस दिन लोग तिल के लड्डू, और तिल की गजक और मूंगफली का सेवन और लुत्फ उठाते हैं।
तमिलनाडु
तमिलनाडु में यह त्यौहार पोंगल नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग घर में साफ-सफाई करने के बाद आंगन में आटे और चावल के आटे से रंगोली बनाते हैं। इसके बाद मिट्टी के बर्तन में खीर बनाकर सूर्य देव को भोग लगाया जाता है।
बिहार-झारखंड
बिहार-झारखंड में मकर संक्रांति में खिचड़ी के साथ दही-चूड़ा बनाने की परंपरा है। लोग रात के भोजन में तिल से बने व्यजंन बनाते हैं।
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महाराष्ट्र में इस त्यौहार पर पारंपरिक पूरन पोली खाई जाती है। मकर संक्रांति का त्योहार 3 दिन तक मनाया जाता है। साथ ही तिल से बने व्यंजनों का सेवन किया जाता है।