भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण के बारे में एक, दो नहीं बल्कि कई सारी कथाएं मशहूर हैं। इन कथाओं में उनकी मोहक लीलाओं के बारे में बताया गया है। मनुष्य रूप में अवतार लेकर भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीला से सृष्टि का काफी ज्यादा कल्याण किया है। महाभारत युद्ध के रणनीतिकार से लेकर ऐसे अनेकों लीला जो सिर्फ और सिर्फ भगवान कृष्ण ही कर सकते थे। वासुदेव पुत्र कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था जो कि उत्तर प्रदेश का ही एक हिस्सा है। हम सभी बचपन से कृष्ण पर आधारित तमाम टीवी कार्यक्रम तथा फिल्मों में इस बात को देखते आये हैं कि किस तरह से कृष्ण का जन्म कंस मामा के कारागार में हुआ था। लेकिन श्री कृष्ण को एक दो नहीं बल्कि कई सारे कार्य को पूरा करने के लिए इस धरती पर भेजा गया था। इसलिए वह बहुत ही सुरक्षित तरीके से बचकर वहां से निकल आए थे।
आज के समय में श्री कृष्ण के जन्म स्थान मथुरा में एक बहुत ही बड़ा मंदिर बना हुआ है, जिसके अंदर जेल का प्रतीक भी बना हुआ है। मगर मुस्लिम शासकों ने इस मंदिर को कई बार छतिग्रस्त करने का प्रयास किया और इसका नामोनिशान मिटाना चाहा। हालांकि, वे ऐसा कर नहीं पाये। बाद में औरंगज़ेब के शासन काल में इस मंदिर के समीप ही एक मस्जिद बना दी गयी थी। मथुरा में मौजूद इस विशाल मंदिर को श्रीमद् भागवत भवन के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में राधा-कृष्ण, लक्ष्मी-नारायण तथा भगवान जगन्नाथजी जी की बेहद ही अलौकिक प्रतिमा स्थापित की गयी है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि यहां पर अन्य कई देवी-देवताओं की मूर्तियां तथा तस्वीरें हैं। यहां पर बड़ा सा शिवलिंग भी है जो की पूर्ण रूप से पारे का बना हुआ है और दिखने में बहुत ही अद्भुत सा लगता है।
मंदिर परिसर के अंदर श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए एक छोटा तीर्थ मंदिर भी है, जो तरह-तरह के आभूषणों से सजे भगवान कृष्ण को समर्पित है। यदि पौराणिक कथाओं की मानें तो बताया गया है कि मथुरा में स्थित इस मंदिर को सर्वप्रथम कृष्ण के प्रपौत्र वज्रांभ द्वारा बनवाया गया था, जिसे आगे चलकर सदी दर सदी पुनरुद्धारित किया जाता रहा। सावन के महीने में मथुरा के इस मंदिर में देश के कोने-कोने से आए भक्तों का तांता लग जाता है। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का समारोह लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और साथ ही तरह-तरह की रास लीलाएं भी रचाई जाती है।
चूंकि भगवान श्री कृष्ण जी की प्रतिष्ठा और उनके भक्त न सिर्फ भारत देश में ही हैं बल्कि विश्व के कई हिस्सों में हैं। ऐसे में मथुरा में स्थित कृष्ण जन्मभूमि को पर्यटन की दृष्टि से भी देखा जाता है, जहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक कृष्ण के जन्म और उनके जीवन से जुड़ी कई सारी बातें जानने के लिए आते हैं।
वैसे तो हम सभी जानते हैं कि मथुरा स्थित कृष्ण जन्म भूमि देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। लेकिन बावजूद इसके यह स्थान कई सारे विवादों से भी घिरा हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहीं पर मुस्लिमों की पाक इमारत जामा मस्जिद भी बनी हुई है। अगर इस मंदिर के इतिहास की बात की जाए तो आपको बता दें कि सर्वप्रथम ईसवी सन से पूर्व 80-57 में मिले शीला लेख से यह साफ तौर पर पता चलता है कि किसी वसु नाम के व्यक्ति ने श्री कृष्ण जन्म स्थान पर एक मंदिर, तोरण द्वार तथा वेदिका का निर्माण कराया था। जिसका उल्लेख ब्राम्ही लिपि में साफ-साफ मिलता है।
इसके अलावा लगभग 800ई में दूसरा मंदिर निर्माण कराया गया था जो कि विक्रमादित्य के काल में बनवाया गया था। बताते चलें कि जिस दौरान मथुरा के शासक के रूप में महाराजा विजयपाल थे, उस दौरान सन 1150ई में कृष्ण जन्म स्थान पर एक और नये मंदिर का निर्माण कराया गया। आखिरी बार इस स्थान पर एक बार फिर से बहुत ही विशाल और भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया जो कि मुगल बादशाह जहांगीर के शासन काल में हुआ था। लेकिन 1669ई में औरंगजेब ने इस मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया और यहां पर एक ईदगाह बनवा दी, जिसके बाद से ही हमेशा इस स्थान पर तनाव की स्थिति बनी रहती है।
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