Karni Mata Temple History In Hindi: भारत एक ऐसा देश है जो अपनी प्राचीन धरोहरों और मान्यताओं के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। हमारे देश में हज़ारो प्राचीन मंदिर हैं जो अपनी धार्मिक विशेषताओं की वजह से दुनिया भर के लोगों को अपनी और आकर्षित करते हैं। ऐसा ही एक मंदिर भारत के उत्तर पश्चमी राज्य, राजस्थान में स्थित है जिसका नाम है करणी माता मंदिर।
20 हज़ार चूहों वाला करणी माता मंदिर
यह मंदिर बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जगह ‘देशनोक’ में स्थित है। यह मन्दिर चूहों के मन्दिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में लगभग 20 हज़ार चूहें रहते हैं जिनमें कुछ सफ़ेद चूहें भी हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि आपको सफेद चूहों के दर्शन हो जाते हैं तो आपकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। यहाँ मौजूद चूहों को काबा कहा जाता है और इन्हें माता का परम भक्त माना जाता है।
चूहों के झूठे प्रसाद से नहीं होती कोई बीमारी
इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहाँ सुबह 5 बजे मंगला आरती की जाती है और शाम सात बजे आरती होती है। चूहों को लड्डू, दूध तथा अन्य खाने पीने की सामग्री परोसी जाती हैं। इस मंदिर में चूहे आराम से चलकर्मी करते हैं और खुले में ही प्रसाद भी खाते हैं, लेकिन आज तक इस शहर में किसी भी तरह की महामारी नहीं फैली और न ही किसी श्रद्धालु को किसी तरह की बीमारी हुई है।
श्रद्धालुओं का मानना है कि करणी माता साक्षात मां जगदम्बा की अवतार हैं। लगभग साढ़े 600 वर्ष पहले इस स्थान पर एक गुफा थी जहाँ मां अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। वह गुफा आज भी मंदिर परिसर में ही मौजूद है। मान्यताओं के अनुसार, करणी माता का जन्म वर्ष 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम रिघुबाई था, रिघुबाई की शादी पास ही के गांव साठिका के निवासी किपोजी चारण से हुई थी। लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से ऊब गया और उन्होंने अपना जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया।
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बीकानेर राजघराने की कुलदेवी हैं माता
इस भव्य मंदिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने 19वीं सदी के आसपास करवाया था। करणी माता बीकानेर राजघराने की कुलदेवी भी हैं और कहा यह जाता है की उनके ही आशीर्वाद से बीकानेर और जोधपुर रियासत की स्थापना हुई थी। इस मंदिर में लोग माँ के दर्शन करने के अलावा यहां की वास्तुकला को को भी देखने आते हैं। मंदिर राजपूत तथा मुगलिया शैली में बना है जिसके दरवाजे ठोस चांदी व छत सोने की बनी है। वर्ष 1999 में हैदराबाद के निवासी कुंदन लाल वर्मा ने इस मन्दिर का विस्तार कराया था।
दो बार लगता है मेला
मां करणी के मंदिर तक पहुंचने के लिए आप बीकानेर से बस, जीप व टैक्सि लें सकते हैं या फिर बीकानेर-जोधपुर रेल मार्ग पर स्थित देशनोक रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं। यहाँ वर्ष में दो बार चैत्र व आश्विन माह के नवरात्रों पर विशाल मेला भी लगता है। इस मेले में दुनियाभर से पर्यटक और श्रद्धालू शामिल होते हैं।