Banaras Me Ghumne Ki Jagah: क्या आप जानते हैं बनारस क्यों प्रसिद्ध है? ये बात बताने की जरुरत नही है लेकिन फिर भी कुछ ऐसी जानकारियाँ आज हम आपसे शेयर करना चाहेंगे जो शायद आप जानते भी होंगे और नही भी। बनारस, वाराणसी या काशी का नाम सुनते ही हमें देश की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति से जुड़े होने का ख़याल हमारे दिमाग में आता है। बनारस, उत्तर प्रदेश राज्य का सबसे प्राचीन नगर है। यह हिन्दू धर्म के सभी नगरों में से एक पवित्र नगर माना जाता है। हिन्दू धर्म के अलावा इसे बौद्ध और जैन धर्म में भी पवित्र माना गया है। वैसे तो पुरे देश भर में बहुत सी जगह है घूमने की पर आज हम आपको बताने जा रहे है वाराणसी में घूमने की जगह (baranas me Ghumne ki Jagah) कौन कौन सी हैं।
यहाँ के सभी मंदिरों में से काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) एक है जो बहुत प्रसिद्ध है। भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी यह काशी नगरी महादेव को अत्यंत प्रिय है, इसलिए यह धर्म, कर्म और मोक्ष की नगरी मानी जाती है। कहा जाता है की यहाँ बहने वाली गंगा नदी सबसे पवित्र नदी है और इस नदी में स्नान करने मात्र से ही सारे पाप धुल जाते हैं। हिन्दू धर्म में मृत्यु के पश्चात् शव को जलाया जाता है। एक मान्यता के अनुसार, अगर किसी का शव बनारस के गंगा नदी के तट पर बसे मणिकर्णिका घाट पे जलाया जाता है तो उसकी आत्मा को जीवन-मरण के चक्र से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है और वो सीधा मोक्ष को प्राप्त होता है।
बनारस में घूमने की जगह(Banaras Me Ghumne Ki Jagah)
आईये जानते हैं ऐसी ही कुछ और भी रोचक जानकारियों और मान्यताओं के बारे में जो बनारस से जुड़ी हुई हैं, और साथ में जानेंगे कि वाराणसी में घूमने की जगह (Varanasi me Ghumne ki Jagah) कौन-कौन सी लोकप्रिय जगह हैं जिसकी वजह से बनारस प्रसिद्ध है और जहाँ हमें जाना चाहिए:
- गंगा नदी (Ganges River)
बनारस की सबसे पवित्र और सबसे बड़ी नदी गंगा नदी है। बनारस इसी नदी के किनारे बसा हुआ है। यह नदी अपने आप में ही हमारे देश की एक सांस्कृतिक धरोहर को समेटे हुए है। बनारस के ज्यादातर मंदिर इसी नदी के आस-पास स्थित हैं। बनारस में कुल 88 घाट हैं जो की गंगा नदी के तट पर बसे हैं। देश-विदेश से हमारे श्रद्धालु भक्त और पर्यटक यहाँ गंगा नदी में स्नान करने आते हैं। हम सब जानते हैं की इंसान गलतियों का पुतला है और अपनी गलतियों के कारण ही जाने-अनजाने में कभी-कभी कुछ पाप भी कर बैठता है। हिन्दू धर्म के अनुसार, गंगा नदी में स्नान मात्र से ही माँ गंगा सारे पाप धो देती है।
जैसा की हम सब जानते ही हैं की गंगा नदी को साफ़ सुथरा रखने के लिए हमारी सरकार समय-समय पर कुछ न कुछ कड़े कदम उठाती रहती है जिससे की नदी की स्वच्छता और पवित्रता बनी रहे।
1991 में गंगा आरती की शुरुआत दशाश्वमेध घाट पर हुई थी और तभी से ये आरती बहुत प्रसिद्ध है क्योंकि उस समय यहाँ का नज़ारा देखने योग्य होता है। गंगा आरती हर रोज शाम को होती है। यहाँ की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है और इसको देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी, बड़े-बड़े सेलिब्रिटी और वीवीआयीपी आते हैं। इस बात से आप ये अंदाज़ा भली-भांति लगा सकते हैं कि बनारस की गंगा नदी के किनारे होने वाली गंगा आरती वाराणसी में घूमने की जगह (Varanasi me Ghumne ki Jagah) में से एक है।
- दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat)
बनारस के गंगा नदी के किनारे बसे हुए घाटों में से एक घाट है दशाश्वमेध घाट, जो की सबसे पुराण घाट मन जाता है और सबसे सुन्दर भी। दशाश्वमेध का अर्थ होता है दस घोड़ों की बलि । एक मान्यता के अनुसार यहाँ पर बहुत बड़ा यज्ञं करवाया गया था और उसमे दस घोड़ों की बलि दी गयी थी। वाराणसी के 88 घाटों में से पांच घाट सबसे ज्यादा पवित्र माने गए हैं। ये पांच घाट हैं: अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, आदिकेशव घाट, पंचगंगा घाट तथा मणिकर्णिका घाट। इन घाटों को सामूहिक रूप से ‘पंचतीर्थ’ कहा जाता है।
- अस्सी घाट(Assi Ghat)
यह वही घाट है जहाँ अस्सी नदी और गंगा नदी का संगम है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माँ दुर्गा ने शुम्भ-निशुम्भ नाम के राक्षस का अपनी तलवार से वध करने के बाद उस तलवार को यहाँ फेंक दिया था जिसकी वजह से अस्सी नदी की उत्पत्ति हुई है। इसी घाट पे एक पीपल का बहुत बड़ा बृक्ष है जिसके नीचे भगवान शिव का शिवलिंग और भगवान अस्सींगमेश्वारा का मंदिर भी है जिसके दर्शन करने के लिए बहुत से श्रद्धालु आते हैं।
- मणिकर्णिका घाट(Manikarnika Ghat)
कहा जाता है की इंसान के मरने के बाद उसका दोबारा जन्म होता है और यह जीवन का जन्म-मृत्यु का चक्र हमेशा चलता रहता है। इसी जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने के लिए आत्मा को मोक्ष मिलना बहुत जरूरी होता है। हिन्दू धर्म में मणिकर्णिका घाट हिन्दुओ के लिए मोक्ष का स्थान है। मान्यता यह है की मृत्यु के बाद जिसका शव मणिकर्णिका घाट पे जलाया जाता है उसकी आत्मा को मुक्ति मिल जाती है और उसको जन्म-मृत्यु के चक्र से भी हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। इस घाट पे चिता की आग कभी शांत नहीं होती है, हर वक़्त किसी न किसी शव का दाह-संस्कार हो रहा होता है।
मणिकर्णिका घाट के बारे में बहुत से तथ्य सुनने को मिलते हैं। एक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने भगवान शिव जी की तपस्या करके यह वरदान माँगा था की सृष्टि के विनाश के समय काशी को नष्ट न किया जाए।
एक दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने यहाँ पर भगवान शिव और माता पार्वती के स्नान के लिए यहाँ एक कुंड का निर्माण किया था जिसे लोग मणिकर्णिका कुंड के नाम से जानते हैं। स्नान के दौरान माता पार्वती का कर्ण फूल कुंड में गिर गया था जिसको भगवान शिव ने ढूंढ निकला था। तभी से इसका नाम मणिकर्णिका घाट पड़ गया।
आने वाले कुछ समय में मणिकर्णिका घाट का भी काया पलट होने वाला है क्यूंकि नए कॉरिडोर प्रोजेक्ट में मणिकर्णिका घाट में भी कुछ बदलाव होने वाले हैं।
- धमेख स्तूप (Dhamek Stupa)
धमेख स्तूप वाराणसी के सारनाथ (Sarnath) में स्थित है। यह स्तूप सम्राट अशोक के समय में बना था। ऐसा माना जाता है की डिअर पार्क में स्थित धमेख स्तूप ही वह स्थान हैं जहाँ महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्यों को प्रथम उपदेश दिया था। धमेख स्तूप एक ठोस गोलाकार बुर्ज की तरह दिखता है। इसका व्यास 28.35 मीटर (93 फुट) और ऊँचाई 39.01 मीटर (143 फुट) है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए कुछ खास नियम बनाये गए हैं जैसे कि स्तूप परिसर में हैं शांत रहना साथ ही चप्पल या जूते पहन के अंदर नहीं आना, इसके अलावा मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल भी यहां मना किया जाता है। यह भी एक वाराणसी में घूमने की जगह (Varanasi me Ghumne ki Jagah) है, जहाँ आकर आपको हमारे इतिहास के कई पन्ने पलटने का मौका मिलता है।
आने वाले समय में इस स्तूप परिसर में पर्यटकों के मनोरंजन हेतु कुछ और भी व्यवस्था कि जा रही है। एक जानकारी के अनुसार आने वाले समय में “Light and Sound Show” दिखाया जाएगा जिसमे महात्मा बुद्ध से जुड़ी हुईं जानकारियाँ दिखाई जाएंगी।
अगर आप बनारस घूमने आये हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) नहीं गए तो आपका आना व्यर्थ है क्यूंकि काशी में भगवान शिव का भव्य मंदिर है जिसको “काशी विश्वनाथ मंदिर” के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर गंगा नदी के साथ में स्थित है। यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिन्दू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है और यह कई हजारों वर्षो पुराना मंदिर है। एक मान्यता के अनुसार गंगा नदी में स्नान करने और इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से मोक्ष कि प्राप्ति होती है। अपने इतिहास को पढ़ने से पता चला कि अहिल्याबाई होलकर ने काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) बनवाया जिस पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई। हमारी राय माने तो काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के साथ-साथ अन्नपूर्णा मंदिर भी जरूर जाएँ जो कि उसी प्रांगण में बना हुआ है क्यूंकि यह भी वाराणसी में घूमने की जगह (Varanasi me Ghumne ki Jagah) में शामिल है।
ऊपर दी हुई जानकारियों को पढ़ने के बाद अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि अपना बनारस इतनाक्यों प्रसिद्ध है। ये तो कुछ भी नहीं हैं। अभी और भी बहुत कुछ है बनारस में देखने, जानने और सुनने के लिए।
इनके अलावा और कौन-कौन सी हैं वाराणसी में घूमने की जगह (Varanasi me Ghumne ki Jagah), जिनको देखना चाहिए जैसे कि :
- संकट मोचन हनुमान मंदिर (Sankat Mochan Hanuman Mandir)
- श्री दुर्गा मंदिर (Shri Durga Temple)
- तुलसी मानस मंदिर (Tulsi Manasa Mandir)
- भारत माता मंदिर (Bharat Mata Mandir)
- दरभंगा घाट (Darbhanga Ghat)
- तिब्बतन मंदिर (Tibetan Mandir)
- बटुक भैरव मंदिर (Batuk Bhairav Mandir)
- बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (Banaras Hindu यूनिवर्सिटी BHU)
- विश्वनाथ गली (Vishwanath Gali)
- रामनगर फोर्ट (Ramnagar Fort)
- चुनार फोर्ट (Chunar Fort)
- चाइनीज टेम्पल (Chinese Temple)
- इस्कॉन (ISKCON Varanasi)
- St Mary’s Church, Varanasi
- आलमगीर मस्जिद (Alamgir Mosque)
- Varanasi Fun City
- Aqua World
- Vindham Waterfalls
- Lakhaniya Dari Waterfall
- Rajdari Waterfalls
- Devdari Waterfall
- Mukkha Falls
- Tanda Falls
- जंतर-मंतर (Jantar Mantar)
तू बन जा गली बनारस की
अगर आप भी खाने-पीने के शौकीन हैं तो आपको एक बार बनारस जरूर जाना चाहिए।
बनारस का नाम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है यहाँ के खान-पान को लेकर। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ यहाँ की मशहूर कचौड़ी (Banaras ki Kachori Gali) और जलेबी के बारे में, जिसका नाम सुनते ही मुँह में पानी आने लगता है। यहाँ की गलियां खाने-पीने के नए-नए व्यंजनों से भरी होती हैं। कहीं रस मलाई तो कहीं चटपटी चाट और साथ में पान की दुकान जरूर मिलेगी आपको । यहाँ व्यंजनों के मामले में हर गली-मोहल्ले खास हैं। ‘राम भंडार’ की प्रसिद्ध कचौड़ी का स्वाद तो आप कभी भूल ही नहीं सकते हैं।
इसके अलावा यहाँ की मशहूर कचौड़ी गली में राजबंधु की प्रसिद्ध मिठाई की दुकान में गोल कचौड़ी, काजू की बर्फी और हरितालिका तीज पर केसरिया जलेबी के क्या कहने, और बगल में ही ठठेरीबाजार में प्रसिद्ध श्रीराम भंडार की तिरंगी बर्फी का तो कोई जवाब ही नहीं है। अगर आपको दक्षिण भारत का स्वादिष्ट व्यंजन खाने का मन है तो पहुँच जाईये केदारघाट की संकरी गलियों में जहाँ की इडली व डोसा दक्षिण भारत की याद दिलाता है।
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यहाँ की कुछ और भी गलियां हैं जो काफी प्रसिद्ध हैं जैसे चटपटी चाट के लिए काशी चाट भंडार, अस्सी घाट के भौकाल चाट, दीना चाट भंडार आदि काफी लोकप्रिय है। ठठेरी बाजार की ताजी और रसभरी मिठाईयां बहुत ही लोकप्रिय हैं। दूध, दही और मलाई का स्वाद लेने के लिए ‘पहलवान की लस्सी’ का बहुत नाम है, आप उसका भी आनंद ले सकते हैं।