Arctic Warning: कोरोना वायरस के चलते जहां पूरी दुनिया इस समय लॉकडाउन है वहां कुछ ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं कि लॉकडाउन के चलते प्रकृति को बेहद फायदा हो रहा है। लॉकडाउन के कारण वातावरण काफी शुद्ध हो गया है, कोई वायु प्रदूषण नहीं, नदियों का पानी साफ हो गया है, अंटार्कटिकाा के ऊपर ओजोन लेयर में हुआ विशाल छेद भी धीरे-धीरे अपने आप भर रहा है। लेकिन अब जानकारी मिली है कि उत्तरी ध्रुव पर आर्कटिक के ऊपर ओजोन लेयर में एक विशाल छेद हो गया है। वैज्ञानिकों की मानें तो यह छेद लगभग 10 लाख वर्ग किलोमीटर का है। लेकिन यह छेद अंटार्टिका के ओजोन लेयर के छेद के सामने काफई छोटा है। आइए जानते हैंं क्या है आर्कटिक के ऊपर इस छेद होने की वजह?
भीषण ठंड है छेद का कारण (Massive Hole Opens in Ozone Layer Over the Arctic)
आर्कटिक के ऊपर ओजोन लेयर में हुए इस छेद की वजह वातावरण में हो रहा बदलाव है। इस समय उत्तरी ध्रुव पर पिछले वर्षों के मुकाबले काफई ज्यादा ठंड है। अंटार्कटिक और आर्कटिक दोनों ही ध्रुवों पर सर्दी के मौसम में ओजोन कम हो जाती है लेकिन ज्यादा ठंड की वजह से आर्कटिक के ऊपर यह छेद बन गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ‘यह छेद ध्रुवों पर बहुत कम तापमान, सूर्य की रोशनी, बहुत बड़े हवा के भंवर और क्लोरोफ्लोरो कार्बन पदार्थों से बनता है’।
आर्कटिक पर इस वर्ष भीषण ठंड पड़ने की वजह से पृथ्वी के समताप मंडल पर एक ध्रुवीय चक्रवात बन गया है। जब सूर्य की रोशनी वहां पड़ी तो ओजोन खत्म होना शुरू हो गया।
ओजोन में हुई अधिक गिरावट
वैज्ञानिकों ने कॉपरनिक्स सेंटियल – 5पी सैटेलाइट से कुछ आंकड़े हासिल किये। इन आंकड़ों के आधार पर उन्होंने पाया कि आर्कटिक के ऊपर बने ओजोन लेयर की मात्रा में अधिक गिरावट आई है। इसी कारण ओजोन की परत में बहुत बड़ा छेद हो गया है। पृथ्वी के वायुमंडल के समतापमंडल की परत में सबसे नीचे वाले हिस्से में ओजोन की अधिक मात्रा पाई है जिसे ओजोन परत कहते हैं।
अंटार्कटिका में ओजोन परत में आ रहा सुधार (Hole in Ozone Layer Over The Arctic)
आपको बता दें कि ओजोन हमारी पृथ्वी की सतह पर सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को रोक देती हैं, जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन होने को लेकर कई समस्याएं हो सकती हैं। ओजोन परत में छेद होने की और भी वजहें हैं जैसे पृथ्वी पर बढ़ता प्रदूषण। अंटार्कटिका के ऊपर बना ओजोन लेयर में छेद का मुख्य कारण वायु प्रदूषण ही है। रिसर्च की मानेंं तो अंटार्कटिका में सबसे ज्यादा प्रदूषण दक्षिणी एशिया के चीन से आता है। क्योंकि चीन में काफी महीनों से लॉकडाउन है इसीलिए अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत का छेद अपने आप ही भरने लगा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि “ओजोन होल में पिछले कुछ साल से आ रहा सुधार 1987 से लागू मांट्रियाल प्रोटोकॉल लागू होने के कारण संभव हो सका है, जिसके तहत दुनियाभर में क्लोरोफ्लोरो कार्बन पदार्थ के उत्सर्जन पर प्रतिबंध लगाया गया।”
- रामायण विवाद: सोनाक्षी के सपोर्ट में आकर शत्रुघ्न सिन्हा ने मुकेश खन्ना पर साधा निशाना
- वनप्लस 8 सीरीज टीजर: पहली बार ग्रीन कलर ऑप्शन में आएगा फोन
- लॉकडाउन इफेक्ट: यूट्यूब (Youtube) ने दिया दर्शकों को ये खास तोहफा !
ऐसे हो सकता है जीवन को नुकसान
ओजोन की परत में छेद होने के कारण काफी परेशानियां का सामना करना पड़ सकता है। यह एक सार्वजनिक चिंता की बात है। ओजोन में छेद होने के कारण इससे आर्कटिक क्षेत्र में गर्मी बढ़ेगी और वहां मौजूद बर्फ पिघलना शुरू कर देगी। वहीं बात करें सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों की तो वह सीधे पृथ्वी की सतह यानी जिस पर हम रहते हैं वहां पड़ेगी जिसके कारण सूखा पड़ सकता है, गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। सबसे ज्यादा खतरा स्किन कैंसर होने का है। इन किरणों से फसलें तबाह हो जाएंगी, खाने के लिए कुछ भी नहीं उगाया जा सकेगा और नदियां भी सूख जाएंगी। साफ शब्दों में कहें तो ओजोन परत हटने से पृथ्वी पर जीवन जीना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।