WHO Statement: वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाईजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक़ कोरोना वायरस मारक क्षमता 2009 में फैली महामारी स्वाइन फ़्लू से भी 10 गुना ज़्यादा है। कोरोना वायरस अब तक 1 लाख 34 हज़ार से अधिक लोगों की मौत का कारण बन चुका है। 2019 के दिसंबर माह में कोरोना वायरस रूपी महामारी ने चीन के वुहान शहर से जन्म लिया और आज यह संसार के हर एक कोने में फैल रहा है।
वर्तमान स्तिथि में यह वायरस 20 लाख से ज़्यादा लोग इसके संक्रमण का शिकार हो चुके हैं और क़रीब 1.3 लाख से ज़्यादा मरीज़ अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं। मार्च 2020 में डब्ल्यू.एच.ओ ने इस वायरस को पेंडेमिक यानी कि महामारी का नाम दिया था। आज पूरी दुनिया इस महामारी की मार झेल रही है। मगर इस वायरस के संक्रमण की रफ़्तार इतनी तेज़ है कि इसे रोक पाना मुश्किल होता जा रहा है।
आपको बता दें कि भारत में भी यह वायरस अब तेज़ी से अपने पैर पसार रहा है। भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या अब तक 12,456 हो चुकी है जिनमें अब भी 10 हज़ार से अधिक मामले एक्टिव केस की श्रेणी में हैं। कोविड-19 के संक्रमण से मौतों का मामला अब तक 423 पहुंच चुका है। वहीं 1513 मरीज़ अब तक वायरस की चपेट से सफलता पूर्वक बाहर आ चुके हैं।
WHO Statement – कोरोना वायरस है स्वाइन फ़्लू से ज़्यादा घातक
वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाईजेशन निरंतर वायरस से जुड़ी रिसर्च में जुटा हुआ है। WHO के डॉक्टर्स की टीम के चीफ डॉक्टर टेडरस एडहेनॉम ने मीडिया ब्रीफ़िंग में बताया कि डॉक्टर्स की टीम इस वायरस को बेहतर तरीक़े से समझने में लगातार लगी हुई है। डॉक्टर टेडरस कहते है कि कोरोना वायरस 2009 में फैले स्वाइन फ़्लू से 10 गुना ज़्यादा घातक और मारक है। यह तेज़ी से संक्रमित होता है और इसका संक्रमण मौत का कारण भी बन सकता है।
2009 में स्वाइन फ़्लू ने लिया था महामारी का रूप – WHO Statement
आपको बता दें कि साल 2009 में कोरोना वायरस की तरह स्वाइन फ़्लू नामक बीमारी ने भी महामारी का रूप लिया था। इस महामारी ने भी कई लोगों को अपनी चपेट में लिया था। स्वाइन फ़्लू की शुरआत मैक्सिको और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका से हुई थी। जून 2009 में WHO को इसे महामारी घोषित करने का फ़ैसला लेना पड़ा था। H1N1 वायरस स्वाइन फ्लू के प्रकोप से लगभग 18500 लोगों की मौत हुई थी जिसकी पुष्टि WHO ने खुद की थी। मगर मेडिकल जर्नल लैंसेन्ट के मुताबिक़ यह आंकड़ा 1,51,700 से 5,75,400 के बीच था। इसका कारण यह था कि WHO ने अपने आंकड़ों में अफ़्रीका और दक्षिण-पूर्वी एशिया के मौत के मामलों को अपने आंकड़ों में शामिल नही किया था। स्वाइन फ़्लू का प्रकोप पूरी दुनिया पर लगभग 6 महीनों तक जारी रहा।
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तेज़ी से पैर पसार रहा है कोरोना वायरस – WHO Statement
WHO के चीफ़ के मुताबिक़ कुछ कुछ देशों में कोरोना वायरस अपनी पकड़ तेज़ी से बना रहा है। आपको बता दें कि कुछ देशों के आंकड़ों के अनुसार यह 3 से 4 दिन में दोगुने की तेज़ी से अग्रसर है। WHO चीफ़ का मानना है कि जिन देशों ने संक्रमण से बचने के लिए आइसोलेशन और रिसर्च जैसे जरूरी कदम उठाए हैं उन्होंने इस महामारी पर काफी हद तक लगाम लगा रखी है।
दुनिया के कई देश कर रहे हैं लॉकडाउन का पालन
संक्रमण से बचने के लिए आज दुनिया में कई देशों ने लॉकडाउन कर रखा है। लोगों से अपने अपने घरों में रहने की अपील की गयी है जिससे कि संक्रमण पर काबू पाया जा सके। डॉ. टेडरस बताते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने की गति उसके समाप्त होने की गति से कहीं ज़्यादा है। इसलिए इसे खत्म करने के लिए लॉकडाउन एक बेहतर विकल्प है मगर साथ ही हमे ये भी ध्यान रखना होगा कि देश की सरकारों द्वारा अपनाए जा रहे कदमों को एकाएक रोक पाना भी संभव नही है।