Satara History सतारा की यात्रा है स्वर्णिम इतिहास की घटनाओं को पुनर्जीवित करने के अनुभव। मराठा इतिहास के पन्ने पलटने से पता लगता है मराठा साम्राज्य का इतिहास। सहयाद्रि पर्वत श्रृंखला के पीछे से सूर्य निकलता है तो लगता है की हाथ में केसरी ध्वज लहराते हुए कोई और नहीं, छत्रपति वीर शिवाजी महाराज भोंसले आ रहे हैं।
सतारा अजिंक्यतारा पठार के कदमों तले बसा हुआ शहर है।(Satara History)
ग्रेट वॉल ऑफ सतारा का दूसरा नाम अजिंक्यतारा पठार भी हैं, यहाँ पठार की तरफ जाती हुई सड़क ट्रैकिंग करने वालों के लिए बहुत पसंदीदा है।
सतारा की आबादी चार लाख है, इस शहर की इस्थापना 17वीं शताब्दी में शाहू जी महाराज ने बसाया था। शाहू जी महाराज वीर छत्रपति शिवाजी के पौत्र और वीर संभा जी के पुत्र तथा मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। सतारा में बने दुर्ग की दीवारें मराठा साम्राज्य का इतिहास बताती हैं।
सातारा में आज छत्रपति शिवाजी महाराज की तेरहवीं पीढ़ी राज कर रही है। सातारा का राजमहल लगभग 200 वर्ष पुराना है। पीले रंग से रंगा और महल पर की गई महीन नक्काशी का देखते ही बनता है। इसके एक हिस्से में मां भवानी का भी मंदिर है जहाँ शिवाजी माथा टेका करते थे।
महाराष्ट्र की सभ्यता खूब देखने को मिलती है जैसे यहाँ की स्त्रियां नऊवारी साडि़यां और पैठणी में सजी-धजी, बालों में फूलों की वेणी, माथे पर कुमकुम और चंद्रकोर लगाए मिल जाएंगी। और पुरुष सफेद कुर्ता-पायजामा और नेहरू टोपी लगाए दिखते हैं।
सतारा नाम इसे सात पहाडि़यों से घिरा होने के कारण मिला है। इन सात पहाडि़यों के नाम हैं-अजिंक्यतारा, सज्जनगढ़, यवतेश्र्वर, जरंडेश्र्वर, नकदीचा डोंगर, कितच डोंगर, पेध्या और भैरोबा जिन पर किले और मंदिर बने हुए हैं।