Lata Mangeshkar Biography in Hindi: लता मंगेशकर ने जिन दिनों अपने करियर की शुरुआत के उस दौर में काम करना बेहद मुश्किल था, बावजूद इसके उन्होंने कामयाबी की बुलंदी को हासिल किया
लता मंगेशकर एक ऐसा नाम जिसे शायद ही आज से 100 साल बाद भी कोई भूल पाएगा। या ऐसा कहें कि लता मंगेशकर की आवाज और उनका नाम युगों-युगों के लिए अमर हो चुका है। लता मंगेशकर ने कई सारे भाषाओं में हजारों गाने गाए हैं। उनकी आवाज आज भी लोगों के दिलों में घर करती है। ऐसा कहते हैं कि लता मंगेशकर का जीवन संगीत और अपने परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा। उन्होंने कभी भी स्वयं के लिए कुछ नहीं सोचा जो किया अपने परिवार और देश के लिए ही किया। लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर जाने-माने थिएटर आर्टिस्ट और म्यूजिक डायरेक्टर भी रह चुके हैं। जिनके नाम पर आज बॉलीवुड में पुरस्कार भी दिए जाते हैं। उनकी माता एक कुशल गृहणी थी। लता मंगेशकर कि तीन बहनें और एक भाई थें। लता मंगेशकर की बहनों का नाम आशा मंगेशकर, मीना मंगेशकर, और उषा मंगेशकर था। उनके भाई का नाम हृदयनाथ मंगेशकर था। जो कि एक जाने-माने कंपोजर भी रह चुके हैं।
लता मंगेशकर के जीवन में ऐसे कई सारे लम्हे आए जब वह चाहती तो खुद के लिए जी सकती थी लेकिन उन्होंने अपने भाई बहनों के लिए ही जीना बेहतर समझा। दरअसल बेहद ही कम उम्र में लता मंगेशकर के ऊपर परिवार के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी आ गई थी। ऐसे में अगर उनके जहन में शादी को लेकर ख्याल आता भी था तो वह उसे मन से हटा देती थी। उस दौरान किस्मत भी लता का साथ दे रही थी। उनके पास काम की कोई कमी नहीं थी। लता के मन में बस एक ही ख्याल होता था कि वह अपने से छोटे भाई-बहनों को पहले व्यवस्थित कर दें। उसके बाद अपने बारे में कुछ सोचें। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। पहले तो अपने भाई भाई-बहनों की शादी और उनके करियर को सेटल करने में लता व्यस्त रही और फिर बाद में अपने भाई बहन हो के बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी भी लता के ऊपर ही आ गई। फिर वक्त ऐसे ही गुजरता चला गया।
किशोर दा और लता मंगेशकर की वह पहली मुलाकात
लता मंगेशकर ने जिस दौर में अपने करियर की शुरुआत की तो वह दौर 1940 का था। इस दौर में उन्हें फिल्मों में गाने का मौका मिलने लगा था। रिकॉर्डिंग और ट्रेनिंग के लिए लता मंगेशकर अपने घर से लोकल ट्रेन पकड़कर मलाड जाती थी और फिर वहां से बॉम्बे टॉकीज तक का रास्ता पैदल चलकर तय करती थी। इस दौरान कभी-कभार उनके रास्ते में उन्हें किशोर दा भी मिल जाते थें। इत्तेफाक ऐसा था कि लता मंगेशकर किशोर दा को पहचानती तक नहीं थी। हालांकि किशोर कुमार लता मंगेशकर को पहचानते थे। इसीलिए वह कभी-कभार उन्हें देखकर मुस्कुरा दिया करते थे।
लेकिन यह बात लता मंगेशकर को समझ नहीं आई। एक बार की बात है। जब लता मंगेशकर उस दौर के मशहूर निर्देशक खेमचंद प्रकाश के एक फिल्म में गाना गा रही थी। इत्तेफाक से इस फिल्म में किशोर दा भी गाने वाले थें। लेकिन इस बात की जानकारी लता मंगेशकर को नहीं थी। एक दिन जब लता मलाड से पैदल चलते हुए बॉम्बे टॉकीज पहुंची। तो पीछे-पीछे किशोर दा भी स्टूडियो में एंट्री कर गए। यह देखकर लता मंगेशकर घबरा गई। उन्होंने खेमचंद जी से इस बात की शिकायत कर दी कि यह लड़का (किशोर दा) उनका पीछा करता है और आज यह स्टूडियो तक पहुंच गया। लता मंगेशकर की बात को सुनकर खेमचंद ठहाका लगाकर हंस पड़े। उन्होंने हंसते हुए लता मंगेशकर से कहा यह किशोर है अशोक कुमार का छोटा भाई और यह भी इस फिल्म में तुम्हारे साथ गाने वाला है। कुछ इस तरह लता मंगेशकर और किशोर दा की पहली मुलाकात हुई थी।
रॉयल्टी को लेकर लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी का झगड़ा
60 के दशक में लता मंगेशकर ने अपने गानों के लिए रॉयल्टी लेना शुरू कर दिया था। साथ ही वह चाहती थी कि गाने की रॉयल्टी हर सिंगर को मिले। इस बात के लिए लता मंगेशकर ने मुकेश और तलत महमूद के साथ एक एसोसिएशन बनाया। एसोसिएशन बनाने के बाद उन्होंने रिकॉर्डिंग कंपनी एचएमवी और प्रोड्यूसर से इस बात की मांग की कि गायकों को गानों की रॉयल्टी मिलनी चाहिए। लेकिन उनकी मांग पर कोई सुनवाई नहीं हुई। फिर क्या था लता मंगेशकर और उनकी टीम में शामिल लोगों ने एचएमवी के लिए रिकॉर्ड ही करना बंद कर दिया। इसके बाद कुछ निर्माता और रिकॉर्डिंग कंपनी एचएमवी मोहम्मद रफी के पास पहुंचे और उन्होंने उनसे पूछा कि आखिर सिंगर्स क्यों जिद पर अड़े हैं। जब उन्हें गाने का पैसा मिल जाता है, तो रॉयल्टी क्यों चाहिए। मोहम्मद रफी कंपनी और प्रोड्यूसर्स की बातों में आ गए। उन्होंने कहा कि मुझे अपने गानों के लिए कोई रॉयल्टी नहीं चाहिए। इस बात की जानकारी जब मुकेश को लगी तब वह लता मंगेशकर के पास पहुंचे और उन्होंने कहा कि “लता दीदी हमें आज ही रफी साहब को बुलाकर उनसे बात कर लेनी चाहिए।“
इसके बाद मुकेश ने मोहम्मद रफी से मुलाकात की। लेकिन जब उन्होंने अपने मन की बात मोहम्मद रफी से कही तो वह गुस्से में तमतमा गए और उन्होंने कहा “मुझे क्या समझा रहे हो। ये जो महारानी बैठी है। इसी से बात करो।” तब लता ने भी गुस्से में कह दिया, “आपने मुझे सही समझा। मैं महारानी ही हूं.”
इसके बाद मामला और बिगड़ गया बात यहां तक पहुंच गई कि मोहम्मद रफी ने लता मंगेशकर के साथ गाना गाने से ही मना कर दिया। यह सुनकर लता मंगेशकर और भड़क गई और उन्होंने कहा कि मैं खुद आपके साथ कभी गाना नहीं गाऊंगी। इसके बाद लता मंगेशकर ने कई संगीतकारों को फोन करके यह कह भी दिया कि मैं आइंदा से मोहम्मद रफी के साथ गाना नहीं गाना चाहती। मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर का यह झगड़ा करीब साढ़े तीन साल तक चला।
आखिर कौन रही लता मंगेशकर के पसंदीदा अभिनेत्री
करीब 40 से लेकर 70 के दशक तक लता मंगेशकर का रिश्ता सभी अभिनेत्रियों के साथ बढ़िया था। इस लिस्ट में नरगिस दत्त, मीना कुमारी, वहीदा रहमान, साधना, सायरा बानो तक का नाम शामिल था। इसके अलावा दिलीप कुमार और लता मंगेशकर के बीच एक भाई बहन का रिश्ता था। कहते हैं कि दिलीप कुमार लता मंगेशकर को छोटी बहन मानते थें। वहीं अगर 90 के दशक की बात करें लता मंगेशकर को रानी मुखर्जी और काजोल से बहुत ज्यादा लगाव रहा है। एक इंटरव्यू के दौरान लता मंगेशकर के ने कहा था कि उन्हें मजरूह सुल्तानपुरी जी की पत्नी के हाथों का बना खाना बेहद पसंद आता है। इतना ही नहीं उन्होंने लता मंगेशकर को बहुत कुछ बनाना भी सिखाया है
एक इंटरव्यू के दौरान लता मंगेशकर ने कहा था कि जब उन्होंने काम करना शुरू किया था। तो वह दौर काफी मुश्किलों से भरा था। रिकॉर्डिंग के लिए यहां से वहां भागना पड़ता था। कभी बारिश में भीगना पड़ता था, तो कभी धूप में जलना पड़ता था। लेकिन जब काम कर लेते थे उसके बाद बहुत संतुष्टि मिलती थी। इतना मेहनत करने के बाद जब रिकॉर्डिंग करते थे और फिर अपने ही गानों को सुनते थे तो बड़ा सुकून मिलता था।
लता मंगेशकर जाने-माने गायक मुकेश को मुकेश भैया कहकर पुकारती थी। हर किसी के साथ लता मंगेशकर का रिश्ता पारिवारिक था। लेकिन फिर भी उन्होंने किसी के साथ अपना पूरा जीवन व्यतीत करने के बारे में कभी नहीं सोचा। क्योंकि उनके लिए हमेशा सर्वोपरि उनका काम और उनका परिवार ही रहा।
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