सर्दियों का मौसम पास आ रहा है और हर बार की तरह लोगों को अपने आप को सर्दी से बचाकर रखना होगा। इस बार तो लोगों को और भी ज्यादा सावधानियां बरतनी होंगी। क्योंकि कोरोना महामारी के बीच सर्दियों में लोगों को ठंड लगने और जुकाम खांसी की समस्या होने पर कोविड-19 संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होगा। यही नहीं अगर सर्दियों में किसी भी शख्स को सर्दी या फिर खांसी होती है, तो लोग यही समझेंगे कि आपको भी कोरोना(Coronavirus) संक्रमण हो गया है। ऐसे में अपने आपको बचाकर रखने की ज्यादा जरूरत है।
क्योंकि कोविड-19(Covid-19) और नॉर्मल फ्लू इनफेक्शन(Flu Infection) दोनों ही सूरत में लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा दावा भी किया है, जिससे लोगों को बडी राहत मिलेगी। दरअसल वैज्ञानिकों का दावा है कि कोविड-19 और नॉर्मल फ्लू इनफेक्श के बीच दो समान्य से लक्षणों को गौर कर फर्क किया जा सकता है। बस इसके लिए सावधान होने की जरूरत है।
ऐसे करें कोविड-19 और फ्लू में अंतर का पता
दरअसल पहला लक्षण यह है कि आम तौर पर नॉर्मल फ्लू इनफेक्शन(Flu Infection) में किसी भी व्यक्ति को एक सप्ताह के भीतर ही सारे लक्षण दिख जाते हैं और यह बीमारी ज्यादा लंबे समय तक नहीं चलती। जबकि कोविड-19 वायरस(Coronavirus) से संक्रमित होने पर बीमार शख्स में तीन सप्ताह से ज्यादा तक इसका असर रह सकता है। यही नहीं कभी-कभी तो तीन सप्ताह बीत जाने पर भी लोगों का संक्रमण ठीक नहीं हुआ है, इसके कई मामले भी सामने आए हैं।
जबकि दूसरा लक्षण ये है कि कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद लोगों की सूंघने और स्वाद लेने की शक्ति चली जाती है। कोरोना(Coronavirus) संक्रमित केसों में ऐसी शिकायतें सामने भी आई हैं। हालांकि नॉर्मल फ्लू से संक्रमित होने पर ऐसा नहीं होता है। नॉर्मल फ्लू इनफेक्शन में लोगों की सूंघने और स्वाद लेने की शक्ति बनी रहती है। दोनों बीमारियों में यह सबसे बड़ा अंतर है।
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दोनों एक साथ होना खतरनाक
इस मामले को लेकर पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसके मुताबिक कोविड-19 और फ्लू का इनफेक्शन एकसाथ होने पर इंसान की मौत का खतरा लगभग डबल हो जाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 20 जनवरी स 25 अप्रैल के बीच देश में 20000 ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं। जहां मरीज फ्लू और कोविड-19 दोनों से संक्रमित पाए गए थे। इनमें से ज्यादातर मरीजों की हालत काफी गंभीर थी। इनफेक्शन के इस कॉम्बिनेशन से यहां 43 फीसदी लोगों की मौत हुई थी।