Halahal Review: जहाँ एक तरफ शिक्षा समाज के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है वहीं इसमें सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार भी है। समाज में मौजूद करप्ट शिक्षा पद्धति को उजागर करती एक फिल्म “हलाहल”(Halahal) इरोस नाउ पर रिलीज़ कर दिया गया है। इस फिल्म का एक डायलाग इन दिनों काफी मशहूर हो रहा है। इसमें वेबसेरीज का अहम किरदार कहता है कि, “इस देश में बच्चा पैदा कर उन्हें एजुकेशन दिलाने से अच्छा है कि, एक कुत्ता पाल लो।” आइये जानते हैं इस फिल्म में क्या है ख़ास और क्यों देखनी चाहिए।
गैंग्स ऑफ़ वासेपुर के डेफिनेट ने लिखी है हलाहल की कहानी
अगर आपने गैंग्स ऑफ़ वासेपुर देखी होगी तो आपको डेफिनेट जरूर याद होगा। इरोस पर रिलीज़ हुई फिल्म “हालाहल”(Halahal Review) की कहानी डेफिनेट यानि कि, जीशान कादरी ने लिखी है और इसमें उनका साथ दिया है जिब्रान नूरानी ने। इस फिल्म के निर्देशक हैं रणदीप झा। हलाहल के मुख्य किरदारों की बात करें तो, बरुन सोबती और सचिन खेड़ेकर अहम किरदार में हैं। यूँ तो एजुकेशन सिस्टम पर आजतक बहुत सी फिल्में बनी हैं लेकिन यह फिल्म उन सबसे थोड़ी अलग है। यहाँ आपको मध्य प्रदेश में अब तक के सबसे चौकानें वाले घोटालों के बारे में जानकारी मिलेगी। हलाहल में आप देखेंगे कि, किस तरह से मेडिकल की परीक्षा में असली परीक्षार्थी की जगह पर नकली परीक्षार्थी परीक्षा देता है। हलाहल एक ऐसा कटु सत्य है जो समाज की सच्चाई को बयां करती है। आज कल हर माँ बाप को अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा देने के लिए इस करप्ट शिक्षा व्यवस्था का सामना करना पड़ता है।
क्या है हलाहल की कहानी ?
इस फिल्म की कहानी शुरू होती है अर्चना शर्मा नाम की गाज़ियाबाद की एक कोचिंग टीचर की मौत से। अर्चना हाईवे पर एक रोड एक्सीडेंट में मारी जाती है और उसके बाद उसकी लाश को सड़क किनारे जला दिया जाता है। जहां पुलिस इसे आत्महत्या मानती है वहीं अर्चना के पिता डॉ शिव शर्मा इसे हत्या मानते हैं। इस सीरीज में बरुन सोबती ने इंस्पेक्टर युसूफ का किरदार निभाया है और अर्चना के पिता के किरदार में सचिन खेड़ेकर नजर आ रहे हैं। कहानी चलती है तो मालूम चलता है अर्चना के अकाउंट में 12 लाख रूपये थे। इधर इंस्पेक्टर युसूफ को फर्जी परीक्षार्थियों का रैकेट चलाने वाले की जानकारी मिलती है। इस वेब सीरीज की कहानी यूपी पंजाब की है, शिक्षा घोटाले के बारे में जानने के लिए जरूर देखें।
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बरुन सोबती और सचिन खेड़ेकर के किरदार को काफी अच्छा लिखा गया है। बरुन सोबती के डायलाग और उनकी अदाकारी बेहतरीन है। निर्देशक रणदीप झा ने इस फिल्म को बेहतरीन ढंग से बनाया है।