तिरुपति बालाजी मंदिर का नाम भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में आता है। जिस प्रकार दक्षिण भारत के समुद्री तट और प्राकृतिक हिल स्टेशन पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं, उसी प्रकार तिरुपति बालाजी(Tirupati Balaji Mandir Facts In Hindi) का यह मंदिर भी अपने अज्ञात तथ्यों और मान्यताओं के कारण भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। आइये जानते है इस मंदिर के कुछ अनसुने रहस्यों और मान्यताओं के बारे में।
तिरुपति बालाजी मंदिर के अनसुने रहस्य और मान्यताएँ(Tirupati Balaji Mandir Facts In Hindi)
शेषनाग का प्रतीक है यह मंदिर
आंध्र प्रदेश के चित्तुर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी(Tirupati Balaji Mandir Facts In Hindi) के इस मंदिर में रोज करोड़ों रुपये का चढ़ावा आता है और साथ ही यहां बाल भी दान किए जाते हैं। तिरुमला पर्वत की सात चोटियाँ भगवान शेषनाग के सात सिरों का प्रतीक मानी जाती है, जिन्हें शेषाद्री, नीलाद्री, गरुड़ाद्री, अंजनाद्री, वृषटाद्री, नारायणाद्री और वेंकटाद्री कहा जाता है। सातवी चोटी वेंकटाद्री पर स्थित इस मंदिर को “टेंपल ऑफ़ सेवन हिल्स” भी कहा जाता है।
मूर्ति में गूंजता है सागर का शोर
मंदिर प्रांगढ में स्थित भगवान तिरुपति बालाजी(Tirupati Balaji Mandir Ka Rahasya) की मूर्ति पर कान लगाकर सुनने पर इसमें से सागर की लहरों का शोर सुनाई पड़ता है। इसी कारण इस मूर्ति में हमेशा ही नमी बनी रहती है।
स्वयं प्रकट हुई थी मूर्ति
माना जाता है कि मंदिर में स्थित काले रंग की दिव्य प्रतिमा यहाँ खुद ही जमीन से प्रकट हुई थी। वेंकटाचल पर्वत को लोग भगवान का ही स्वरूप मानते है, इसलिए यहाँ जूते लेकर नहीं जाया जाता।
साक्षात प्रभु का है निवास
माना जाता है कि मंदिर में भगवान वैंकेटश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली हैं क्योंकि ये कभी उलझते नहीं है और हमेशा मुलायम बने रहते हैं।
दिव्य है बालाजी की मूर्ति
यहाँ तिरुपति बालाजी(Tirupati Balaji Mandir Facts In Hindi) की मूर्ति की सफाई के लिए पचाई कपूर का प्रयोग किया जाता है, जिसे अगर पत्थर या दीवार पर रगड़ा जाए तो वह तुरंत चटक जाता है। लेकिन इस मूर्ति को कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
मूर्ति में दर्शन देती देवी लक्ष्मी
गुरुवार को भगवान तिरुपति को चन्दन का लेप लगाया जाता है, जिसे साफ करने पर मूर्ति में देवी लक्ष्मी की प्रतिमा उभर आती है, जो कि बेहद करिश्माई है।
दर्शन के प्रारूप
मंदिर में सुबह, दोपहर व शाम को बालाजी के निशुल्क दर्शन किए जा सकते हैं। इसके अलावा अन्य समय पर दर्शन करने के लिए आपको शुल्क देना होगा। पूरी मूर्ति के दर्शन के लिए शुक्रवार सुबह अभिषेक के समय जाना होता है।
यात्रा के नियम
तिरुपति बालाजी(Tirupati Balaji Mandir Ka Rahasya) के नियमानुसार, तिरुपति के दर्शन करने से पहले कपिल तीर्थ पर स्नान करके कपिलेश्वर के दर्शन करना, फिर वेंकटाचल पर्वत पर बालाजी के दर्शन करना और उसके बाद तिरुण्चानूर जाकर पद्मावती के दर्शन करना अनिवार्य है।
चढ़े फूल ले जाना है मना
मंदिर में चढ़ाए गए फूल, मंदिर के ही एक कुंड में बिना देखे विसर्जित कर दिए जाते हैं। भक्तों को इन फूलों को साथ ना ले जाने की सलाह दी जाती है।
दरवाजे पर है छड़ी
मंदिर के मुख्य द्वार के दाई तरफ एक छड़ी रखी है जिससे बचपन में भगवान तिरुपति के बाल रूप की पिटाई की जाती थी। इसी छड़ी के प्रहार से उनकी ठोड़ी पर चोट लग गयी थी, जिस कारण पुजारियों द्वारा आज भी उस घाव पर चन्दन का लेप लगाया जाता है।
यह भी पढ़ें
- नियमों के साथ 8 महीने बाद खुला मेहंदीपुर बालाजी मंदिर।
- बेहद चमत्कारी है बजरंगबली का यह मंदिर, एकमात्र दर्शन से होंगे सभी दुख – दर्द दूर
बिना तेल के जल रहा दिया
तिरुपति बालाजी मंदिर(Tirupati Balaji Mandir Facts In Hindi) के प्रांगण में रखा एक दिया बिना घी, तेल के हमेशा जलता रहता है और यह भी लोगों को आश्चर्यचकित करता है।