Rare Exotic Plants Grows Sakshi Bharadwaj: पेड़-पौधे लगाना प्राकृतिक रूप से तो अच्छा माना ही जाता है, साथ ही यह सेहत के लिए भी कई प्रकार से फायदेमंद होता है। आजकल लोग घर में ही गार्डनिंग करते हैं। कई लोगों को इसका शौक होता है और वे अपने घरों में ही खाली जगहों पर जैसे की गार्डन एरिया या फिर टेरेस पर अपनी पसंद के पेड़-पौधे लगाते हैं। घर में पेड़-पौधे लगाने से व्यक्ति का मन और दिमाग भी शांत रहता है।


“जींस में है गार्डनिंग”


आपको जानकर हैरानी होगी कि इन पौधों(Rare Exotic Plants) को लगाने के लिए साक्षी(Sakshi Bharadwaj) ने गमलों के अलावा इस्तेमाल हो चुकी चीजों जैसे कि कोकोनट शेल,पानी की बोतल और कैंस का इस्तेमाल किया है। साक्षी का कहना है कि गार्डनिंग उनकी जींस में है। प्रकृति से प्यार की वजह से ही साक्षी ने माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई की।
साक्षी ने बताया कि, “साल 2019 में मैं मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी में कृषि की असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम करने लगी थी। इस दौरान मुझे पौधों को उगाने में एक अलग ही रूचि जागी, क्योंकि मैं छात्रों को इस विषय में पढ़ाया करती थी। मैं चाहती थी कि जो कुछ भी उन्हें मैं पढ़ाऊं वो सब मुझे एक्सपीरियंस से आये। इसके लिए मैंने पढ़ाने से पहले प्रैक्टिकली चीजों को करना शुरू किया”।
2020 में आया ख्याल


साक्षी ने विदेशी पौधों(Rare Exotic Plants) को उगाने के बारे में बात करते हुए बताया, “पहले मैं केवल आसानी से उपलब्ध हो जाने वाले देसी पौधों को ही उगाया करती थी। साल 2020 में मैंने सोशल मीडिया पर एक कम्युनिटी ज्वाइन की जहां लोग विदेशी पौधों के बारे में बातें करते थे और उसके बारे में काफी जानकारी रखते थे। वे घर पर ही अर्बन गार्डनिंग करते थे, जबकि मैं छोटे-मोटे पौधे जैसे गुलाब और गुड़हल के फूल ही लगा रही थी”।
साक्षी अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहती हैं, “इसके बाद मैं कुछ लोगों से मिली और कुछ Exotic Plants जैसे Monsteras, Philodendrons और Bengonias ले आई। मैंने इन पौधों को सीमेंट के पॉट में लगाया, जबकि मेरे घर में गार्डनिंग के लिए अच्छी-खासी खाली जगह मौजूद थी। दरअसल, मेरे घर के ग्राउंड पर सैंकड़ों लाल चीटियां हैं, जो पौधों को ख़राब कर देती हैं, इसलिए पौधे ख़राब न हों, उन्हें मैंने सीमेंट के पॉट में लगाया”।
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साक्षी ने कहा, “मैंने काफी सारे सीमेंट के गमले खरीद लिए थे, फिर मैंने सोचा कि सीमेंट के पॉट खरीदने की जगह क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जो कि इको फ्रेंडली भी हो। मैं हर रोज़ नारियल पानी पीती हूं, तो मैंने सोचा क्यों न पोधों को इन्हीं में उगाया जाए। नारियल का छाल पानी प्रतिधारण के लिए बेस्ट रहेगा और कभी टूटेगा भी नहीं”। इस तरीके से साक्षी भारद्वाज(Sakshi Bharadwaj) आज इतने सारे पेड़-पौधे लगाकर लोगों के लिए एक मिसाल बन गई हैं।