दुनिया में वैसे तो कुछ दूरी तय करने पर रंग-रुप, वेशभूषा और संस्कृति सब कुछ बदल जाता है। लेकिन कई बार कुछ ऐसी अद्भुत चीज़ें भी देखने को मिलती हैं, जिन्हें प्रकृति का नायाब तोहफा कहा जा सकता है। आमतौर पर आपने मिट्टी और काले रंग समेत पीठ (कवच) पर चेक्स की डिजाइन वाले कछुए देखे होंगे लेकिन नेपाल में एक सुनहरे रंग(Golden Turtle) का कछुआ सुर्खियों में छाया हुआ है।
Golden Turtle: कछुए में विष्णु का रुप?
डेली मेल में छपी खबर के मुताबिक इस कछुए को भगवान विष्णु का अवतार (Incarnation of Lord Vishnu) के रुप में देखा जा रहा। मिथिला वाइल्डलाइफ ट्रस्ट के अनुसार, जिसने कछुए को एक भारतीय फ्लैपशेल कछुए या लिसेमिस पंचाटा एंडर्सनी के रूप में पहचाना। यह कछुआ अपने अनुपम रंग के चलते खूब ट्रेंड हो रहा है। कछुआ सोने(Golden Turtle) के गोले की तरह नजर आ रहा है, जिसे क्रोमैटिक ल्यूसिज्म कहते हैं।
इस रंग के कछुए को नेपाल में पहली बार देखा गया है। ट्रस्ट के अनुसार, धनुशधाम संरक्षित वन में पशु रक्षक चंद्रदीप सदा द्वारा कछुए को बचाया गया था। इस खोज ने ऑनलाइन एक बड़ी चर्चा पैदा कर दी है, और कछुए की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।
कमल देवकोटा जो कि पेशे से एक सरीसृप विशेषज्ञ हैं, उन्होंने हाल ही में देव नारायण मंडल और हाइनरिक कैसर के साथ कछुए पर एक शोध पत्र प्रकाशित किया, इस शोध पत्र में उन्होंने इस कछुए का आध्यात्मिक महत्व बताया था।
उन्होंने कहा, “न केवल सुनहरे जानवर, बल्कि कछुओं का नेपाल में महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं में कछुए का ऊपरी खोल आकाश को दर्शाता है और निचला खोल पृथ्वी को दर्शाता है।”
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ग्लोबल वॉयस संगठन के साथ एक ईमेल साक्षात्कार में, श्री देवकोटा ने स्पष्ट किया: “हमारी टीम के सदस्य, चंद्रदीप सदा, ने 14 अप्रैल, 2018 को धनुषाधाम नगर पालिका, नेपाल से इस दुर्लभ स्वर्ण कछुए(Golden Turtle) को बचाया। बाद में, देव नारायण मंडल ने इसे एक भारतीय फ्लैपशेल कछुए के रूप में पहचाना। हमने इसके बारे में और शोध किया और पाया कि रंग का विचलन प्रकृति में काफी दुर्लभ है।”