Tandav Web Series Review: सैफ अली खान(Saif Ali Khan) और डिंपल कपाड़िया(Dimple Kapadia) की वेब सीरीज तांडव(Tandav Web Series) आखिरकार अमेजॉन प्राइम(Amazon Prime) पर रिलीज हो गई है। यह बात जरूर है कि दर्शकों को काफी धैर्य भी रखना पड़ रहा है, लेकिन जिस तरीके से इसकी कहानी बुनी गई है, यह दर्शकों को खुद से जोड़ कर रख पाने में कामयाब साबित हो रही है।
राजनीति और धोखा
तांडव वेब सीरीज(Tandav Web Series) में यह देखने को मिल रहा है कि राजनीति और धोखा साथ-साथ चलते हैं। कुर्सी का खेल ही ऐसा है कि यहां सही या फिर गलत के साथ कोई भी नहीं होता है। सिर्फ राजनीति का हर कोई साथ देता है। तांडव में सत्ता और ताकत को ही राजनीति का मूल अर्थ बताया गया है।
आइए जानते हैं, कैसी है ‘तांडव’ वेब सीरीज (Tandav Web Series Review)
तांडव की कहानी कुछ ऐसी है कि दक्षिणपंथी पार्टी जन लोक दल तीसरी बार चुनाव जीतने जा रही है और यह भी साफ है कि फिर से देवकी नंदन (तिग्मांशु धूलिया) ही प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, लेकिन नतीजे आने से ठीक पहले खबर आती है देवकी नंदन की मौत हो गई है। ऐसे में उनका बेटा समर प्रताप सिंह (सैफ अली खान) कुर्सी का दावेदार होता है, लेकिन खेल कुछ इस तरीके से पर्दे के पीछे चलता है कि देवकी नंदन की करीबी अनुराधा किशोर प्रधानमंत्री बन जाती है।
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डायलॉग है खास
तांडव का एक डायलॉग भी दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचता है, जिसमें एक पुलिस अधिकारी यह कहता है कि ”आतंकवादी अब बॉर्डर के पार से नहीं आ रहे। ये तो यहां के विश्वविद्यालयों में तैयार हो रहे हैं।”
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तब और पसंद आती
बुनावट यदि थोड़ी और कसी होती तो तांडव दर्शकों को और ज्यादा पसंद आती। डीनो मोरिया, सुनील ग्रोवर, मोहम्मद जीशान अयूब और कृतिका कामरा ने भी अली अब्बास जफर के निर्देशन में बनी पॉलिटिकल थ्रिलर ड्रामा ‘तांडव‘ में उम्दा अभिनय किया है।