Construction of Ram Temple in Ayodhya: करीब 134 साल पुराने अयोध्या राम मंदिर विवाद अब जाकर खत्म हो चुका है। शनिवार 9 अप्रैल के दिन कोर्ट ने राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाया। साथ ही कोर्ट ने सरकार को यह भी आदेश दिया कि तीन महीने के भीतर सरकार एक बोर्ड का गठन करे ताकि बोर्ड मंदिर निर्माण की दिशा में जल्द से जल्द महत्वपूर्ण कदम उठा सके। भले ही कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े की दलील को खारिज कर दिया हो लेकिन माननीय कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि बोर्ड में निर्मोही अखाड़े का भी एक सदस्य शामिल किया जाए।
अब देशभर के लोगों को इस बात का इंतजार है कि कब राममंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो और वो राम लला का दर्शन करने के लिए राम की जन्म स्थली अयोध्या का रुख करें। इसी बीच अब खबर यह आ रही है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अगले साल अप्रैल में शुरु होने की संभावना है। दरअसल अगले साल यानि 2020 के अप्रैल महीने में राम नवमी पड़ने वाली है और इसी समय राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरु हो जाएगा। 2 अप्रैल 2020 को राम नवमी का त्योहार पड़ने वाला है। यह दिन भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है। इस बारे में बात करने पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि, “राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण शुरू करने के लिए इससे बेहतर कोई तिथि नहीं हो सकती है। एक ट्रस्ट की स्थापना के लिए तीन महीने की समय सीमा फरवरी में समाप्त हो रही है और तब तक सभी तैयारियां पूरी हो जाएंगी। हालांकि, हम तिथि पर प्रतिबद्ध होने से पहले सरकार के साथ चर्चा करेंगे।”
वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि निर्माण कार्य की तैयारी जनवरी में ‘मकर संक्रांति’ के दिन से शुरू हो जाएगी। विहिप नेता ने बताया कि विहिप कभी नहीं चाहेगी कि मंदिर के लिए एक नया ‘शिलान्यास’ कार्यक्रम हो, क्योंकि यह काम पहले ही नवंबर 1989 में हो चुका है। विहिप चाहती है कि मंदिर को मशहूर आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा द्वारा तैयार की गई डिजाइन के अनुसार ही बनाया जाए। प्रसिद्ध मंदिर वास्तुकार ने 1989 में पूर्व विहिप प्रमुख अशोक सिंघल के अनुरोध पर डिजाइन तैयार की थी और इसे देश भर के भक्तों के बीच प्रसारित किया गया था। लेकिन यहां आपको बता दें कि यह फैसला अब सरकार के द्वारा बनाए गए बोर्ड के हाथ में है कि वह मंदिर के लिए नई डिजाइन बनवाए या फिर विहिप द्वारा तैयार किए गए डिजाइन के आधार पर एक मंदिर का निर्माण कराया जाए।
आपको यहां यह भी साफ कर दें कि सोमपुरा की डिजाइन के आधार पर, अयोध्या में कारसेवकपुरम में मंदिर का एक मॉडल रखा गया है। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने सरकार से उम्मीद लगाते हुए यह कहा कि, “हम उम्मीद करते हैं कि नए मंदिर का निर्माण उसी के अनुसार होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने और स्तंभों के निर्माण पर काम बहुत आगे बढ़ गया है और इनका उपयोग निर्माण में किया जाना चाहिए।
विहिप प्रमुख ने उम्मीद जताई है कि मोदी सरकार मौजूदा राम जन्मभूमि न्यास और विहिप के प्रस्तावित ट्रस्ट सदस्यों में शामिल होगी, जो अब तक मंदिर निर्माण की तैयारियों की देखरेख कर रहे थे। विश्व हिंदू परिषद में इस बात की भी जानकारी दी है कि अब जल्द ही मंदिर निर्माण के लिए फंड जुटाने के तौर तरीकों पर काम करने वाली है। साथ ही इसके लिए अब एक मार्गदर्शी मंडल भी तैयार किया जाएगा।
मंदिर निर्माण के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक कारसेवकपुरम में कार्यशाला में पत्थरों की नक्काशी भी इस महीने के अंत तक एक बार फिर से शुरू होने की उम्मीद है, उम्मीद जताई जा रही है कि राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद अब जो कारीगर अपने घर अयोध्या को छोड़कर गुजरात और राजस्थान चले गए हैं वह वापस लौट आएंगे। विहिप नेता ने अपने दावे में कहा है कि मंदिर के पूर्ण निर्माण के लिए 1.25 लाख घन फुट पत्थर की नक्काशी की गई है और पूरे मंदिर के निर्माण के लिए 1.75 लाख घन फुट पत्थर की आवश्यकता होगी।
सूत्रों का दावा है कि मंदिर निर्माण में लगभग चार वर्ष लगेंगे, जिसका मतलब है कि यह 2024 के आम चुनाव से पहले यह श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए तैयार हो जाएगा।
विहिप नेता ने यह भी कहा, “केंद्र और उत्तर प्रदेश में सत्ता में भाजपा के होने के साथ, हमें विश्वास है कि कोई देरी नहीं होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना पूरा सहयोग दिया है और मंदिर निर्माण के लिए बुनियादी ढांचे के मामले में मदद करेंगे। इसे सुगम बनाने के लिए निर्बाध बिजली की आपूर्ति और सड़कों के चौड़ीकरण की मुख्य रूप से हमें आवश्यकता है।”