Shanti Tigga: हमारे देश में ऐसे बहुत से टैलेंट हैं जिनके बारे में देश की आधी आबादी को मालूम भी नहीं होगा। भारत की पहली महिला जवान भी कहानी भी उन्हीं में से एक है। इनकी जिंदगी की कहानी जितनी प्रेणादायक है उनका अंत उतना ही दुखद है। एक सामान्य परिवार से ताल्लुक़ रखने वाली इस महिला जवान ने अपने सपनों को साकार करने के लिए जिंदगी में बहुत से उतार चढ़ाव देखें। आज हम उनके बारे में ही विस्तार से बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं भारत की पहली महिला जवान शांति ने आखिर क्यों की ख़ुदकुशी और क्या थी इनकी कहानी।
बेहद जांबाज थी भारत की पहली महिला जवान (First Female Jawan Shanti Tigga Indian Territorial Army Story)
शांति तिग्गा, ये वो नाम है जिसने भारतीय फ़ौज में बतौर महिला जवान ज्वाइन किया था। इनसे पहले भारतीय फ़ौज में किसी भी महिला की भर्ती नहीं हुई थी। बता दें कि,एक महिला से भारतीय सेना में बतौर पहली महिला जवान के तौर पर शामिल होना शांति के लिए इतना आसान नहीं था। शांति तिग्गा पश्चिम बंगाल के जलपईगुड़ी की रहने वाली थी। उनकी शादी पहले की लकड़ियों की तरह ही काफी कम उम्र में करवा दी गई थी। शुरुआत में शांति भी किसी आम ग्रामीण महिला की तरह एक गृहणी ही थी, लेकिन उनकी जिंदगी तब बदली जब साल 2005 में उनके उनके पति की मौत हो गई। बता दें कि, शांति तिग्गा के पति रेलवे में थे इसलिए उनकी मौत के बाद वो नौकरी शांति को मिल गई। कम उम्र में विधवा होना और एक बच्चे का भार सर होना बहुत बड़ी बात है। हमारे समाज में ऐसी महिलाओं के लिए केवल एक ही शब्द का इस्तेमाल किया जाता है “बेचारी”, लेकिन शांति ने लोगों की सोच को पूरी तरह से बदल दिया। रेलवे में नौकरी के दौरान शांति को टेरिटोरियल आर्मी के बारे में पता चला। शांति के मन में भी देश सेवा करने का भाव उत्पन्न हुआ। लिहाजा शांति ने भारतीय सेना में शामिल होने के लिए कड़ी मेहनत शुरू कर दी।
ट्रेनिंग सेशन के दौड़ में सबको पछाड़ा
जिस समय में शांति तिग्गा ने भारतीय सेना ज्वाइन किया था उन दिनों में सेना में महिलाओं की भर्ती जवान के तौर पर नहीं होती थी। चूँकि शांति तिग्गा ने अपनी फिजिकल स्ट्रेंथ पर इतना काम किया था कि, टेरिटोरियल आर्मी ट्रेनिंग सेशन के दौरान उन्होनें सभी पुरुष प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ दिया। बता दें कि, डेढ़ किलोमीटर की दौड़ उन्होनें महज पांच सेकंड में पूरी कर ली थी। उनकी चुस्ती फूर्ति की तारीफ लोग करते नहीं थकते थे। आज की तुलना में पहले भारतीय सेना में महिलाओं की नियुक्ति ऑफिसर रैंक से शुरू होती थी, लेकिन शांति ने पहली महिला जवान के तौर पर ज्वाइन किया था। शांति तिग्गा के एक बयान के अनुसार अब उन्होनें बतौर जवान भारतीय सेना ज्वाइन किया था उस समय उन्हें मालूम भी नहीं था सेना में ऑफिसर रैंक से नीचे महिलाओं की नियुक्ति नहीं होती थी। महिलाओं के लिए एक मिसाल देने वाली शांति को सेना में बंदूक हैंडललिंग स्किल्स के लिए “मार्क्समैन” की उपाधि मिली थी। शांति तिग्गा को भारतीय सेना में अभूतपूर्व योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल था।
बेहद दुखद रहा शांति का अंत
अपनी जिंदगी को खुद के हाथों सवांरने वाले शांति तिग्गा का अंत इतना दुखद होगा ये किसी ने नहीं सोचा था। जानकारी हो कि, साल 2013 में 9 मई को अज्ञात लोगों द्वारा शांति का अपहरण कर लिया गया था। इसके एक दिन के बाद ही उन्हें रेलवे स्टेशन पर बेहोशी की हालत में एक पोल से बंधे पाया गया था। इस घटना के बाद शांति ने पुलिस को बताया था कि, अपहरण करने वालों ने उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था। उसी साल 13 मई को शांति की लाश उनके बाथरूम में पाया गया, उन्होनें फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली थी। बता दें कि शांति की मौत के बाद उनपर पैसे लेकर लोगन को नौकरी दिलवाने के आरोप भी लगे थे लेकिन उनकी मौत की असली वजह आजतक लपटा नहीं चल पाया। काफी छान बीन के वाबजूद भी पुलिस को कोई ठोस वजह नहीं मिल पाई और उनकी मौत का राज हमेशा एक लिए राज की बनकर रह गया।
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