Independence Day 2021: दुनिया के हर आजाद राष्ट्र का अपना झंडा होता है। यह एक स्वतंत्र देश का प्रतीक है। 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों से भारत की आजादी(Independence Day) से कुछ दिन पहले 22 जुलाई 1947 को हुई संविधान सभा की बैठक के दौरान भारत के राष्ट्रीय ध्वज को अपने वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था। आजादी के बाद 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 के बीच तिरंगे को ही भारत के राष्ट्रीय ध्वज की मान्यता दी गई और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के बाद से तिरंगे को भारत गणराज्य के राष्ट्रीय ध्वज की पहचान मिली। भारत में तिरंगा शब्द भारतीय राष्ट्रीय ध्वज(National Flag) को संदर्भित करता है।
भारत का राष्ट्रीय ध्वज में सबसे पहले केसरी, मध्य में सफेद और बराबर अनुपात में सबसे नीचे गहरे हरे रंग का है। ध्वज की लंबाई तक की चौड़ाई का अनुपात दो से तीन है। सफेद बैंड के केंद्र में एक गहरे नीले रंग का चक्र है, जो उसका प्रतिनिधित्व करता है। चक्र का डिजाइन उस पहिए का है जो अशोक की सारनाथ लॉयन कैपिटल के अबेकस पर दिखाई देता है। इसका व्यास सफेद बैंड की चौड़ाई के अनुमानित है और इसमें 24 स्पोक्स हैं।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज(National Flag) तिरंगे का इतिहास उतना ही रोमांचक है जितना भारत की आजादी की लड़ाई से जुड़ा ये किस्सा है। दरअसल हमारे तिरंगे से जुड़ी कहानियों में से एक फ्रांसीसी क्रांति से भी जुड़ा माना जाता है, उस वक्त फ्रांस का झंडा भी तिरंगा हुआ करता था। 1831 में हुई फ्रांसीसी क्रांति ने नेशनल्जिम को जन्म दिया। फ्रांस में हुई इस घटना के बाद भारत में भी 1857 में क्रांति की आग भड़की थी। 20 वीं शताब्दी में हुए स्वदेशी आंदोलन के वक्त भी एक झंडे की जरूरत महसूस की गई। इसके बाद 7 अगस्त 1906 को बंग आंदोलन में पहली बार तिरंगा फहराया गया, हालांकि ये आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज नहीं था।
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साल 1931 में खिलाफत आंदोलन के वक्त तीन रंग का झंडा अस्तित्व में आया, जो आगे चलकर कांग्रेस का झंडा बना और फिर इसे ही कुछ बदलावों के साथ राष्ट्रीय ध्वज मान लिया गया। खिलाफत अंदोलन के वक्त झंडा स्वराज इंडिया का था। आजादी(Independence Day) के बाद तिरंगा झंडा फहराने की इजाजत सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही थी। लेकिन साल 2002 में एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे बाकी दिनों में भी फहराने की मंजूरी दे दी।