Infectious Disease in Animals: पूरा भारत मौजूदा समय में कोरोना महामारी से जूझ रहा है, इस वायरस के संक्रमण की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में अगर कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य की बात करें, तो अभी तक महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। एक तरफ जहां महाराष्ट्र कोरोना महामारी का प्रकोप झेल रहा है। तो वहीं इसी बीच महाराष्ट्र में अब एक और संक्रामक बीमारी सरकार के लिए सिर दर्द बन गई है।
जानवरों में दिखे लक्षण
दरअसल वेबसाइट आज तक की खबर के मुताबिक यहां इस बार यह संक्रामक बीमारी(Infectious Disease) इंसानों में नहीं बल्कि जानवरों में फैल रही है। जिसके चलते जानवरों में अजीब तरह की बीमारी देखने को मिल रही है। उन्हें बुखार आ रहा है, लूज मोशंस आ रहे हैं, जिसके बाद जानवर धीरे-धीरे चारा खाना बंद कर दे रहे हैं। यही नहीं इस संक्रमण की वजह से जानवरों की पीठ पर बड़ी-बड़ी गुठली दिखने लगती है।
महाराष्ट्र के हिंगोली और अमरावती जिले में यह बीमारी देखने को मिली है। लंपी(Lumpy) नाम की इस बीमारी का असर ये होता है कि इससे ग्रसित होने के बाद जानवर कुछ भी खाना बंद कर देता है। इस बीमारी के फैलने से अब वहां के लोगों में डर फैल गया है।
किसानों को हो सकता है भारी नुकसान
बताया जा रहा है कि अगर जल्द से जल्द इस बीमारी(Infectious Disease) का सही इलाज नहीं ढूंढा गया, तो इससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। क्योंकि यह बीमारी जबड़ों से फैलकर जानवर के पूरे शरीर में अपना असर दिखाना शुरू कर देती है। बीमारी के बढ़ने के बाद इसका इलाज मुश्किल होता है और इसमें जानवरों की जान भी जा सकती है।
यह भी पढ़े
- कोरोना संकट के बीच डगमगाती अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने दिए टिप्स!
- कोरोना की इस वैक्सीन को भारत में ट्रायल के लिए सरकार ने दी अनुमति, मिल सकता है पॉजिटिव रिजल्ट!
इस बीमारी को लेकर जानवरों के डॉक्टर विष्णु गायकवाड का कहना है कि इस बीमारी(Infectious Disease) में जानवरों के शरीर पर गुठली सी निकली आती है। इसके साथ ही जानवर बुखार से ग्रसित हो जाता है। साथ ही जानवरों में डिहाइड्रेशन(Dehydration) की समस्या भी होने लगती है। यह बीमारी साथ में होने से फैलती है, जिसमें जानवरों को एक-दूसरे से दूर बांधना पड़ेगा। उनका कहना है कि किसी जानवर को किसी दूसरे जानवर का चारा पानी न दिया जाए। हालांकि अभी तक यह बीमारी किसी व्यक्ति में नहीं निकली है और अगर इसका प्राथमिक स्टेज पर ही इलाज किया तो यह कंट्रोल में आने की संभावना है।