Sabarimala Temple Issue in Hindi: सबरीमाला मंदिर 800 साल से अस्तित्व में है, जहां महिलाओं के प्रवेश पर विवाद चल रहा है। केरल के इस मंदिर में उच्चतम न्यायालय द्वारा हर वर्ग और उम्र की महिला के मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति देने के बाद भी करीब 10 महिलाओं के समूह को मंदिर में प्रवेश करने पर रोका गया। जिस पर अगले हफ्ते सुनवाई करने का फैसला हुआ है।
महिलाओं के हक में कोर्ट सुना चुका है फैसला
बता दें कि 28 सितंबर 2018 का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ था। जब उच्चतम न्यायालय द्वारा सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी। इसके बावजूद आंध्र प्रदेश से 30 लोगों के समूह में 10 महिलाओं को पम्पा ( मंदिर का द्वार) से ही लौटा दिया गया। क्योंकि उनकी उम्र 10 से 50 साल के बीच थी। उन सभी महिलाओं ने आरोप लगाया है कि मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने के फैसले के बाद भी उन सभी को प्रवेश करने से रोका गया। विवाद को लेकर प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस की दलीलों पर गौर किया जिन्हें मंदिर में प्रवेश से रोका गया। उन्होंने इन सभी मामलों को देखते हुए अगले हफ्ते सुनवाई करने का फैसला दिया है।
बता दें कि सबरीमाला विवाद को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका को पांच जजों की बेंच ने पिछले साल सितंबर महीने में भगवान अयप्पा के मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। जिसके बाद लोगों के बीच हिंसा भी हुआ। इस दौरान प्रर्दशनकारीयों ने पत्रकारों को भी निशाना बनाया था।
क्या है मंदिर की परंपरा
बता दें कि 800 साल पहले से चली आ रही परंपरा के अनुसार महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। करीब 10 साल से ज्यादा वर्ष से यह मामला कोर्ट में चल रहा है। केरल के इस ऐतिहासिक मंदिर में 10 से 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश करने पर पाबंदी है। सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा विराजमान हैं जो कि ब्रहचारी है। ऐसा माना जाता है कि मलिकापुरधम्मा अयप्पा से विवाह करना चाहती थी। परन्तु अयप्पा ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने एक शर्त रखी कि जिस साल उनके श्रद्धालु उनके दर्शन करने नहीं आएंगे तभी वे उनसे विवाह करेंगे परन्तु ऐसा कभी हुआ नहीं। यहीं वजह है कि वहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।